नीट, जेईई परीक्षा टलवाने के लिए ऑनलाइन अभियान
२४ अगस्त २०२०भारत में इस वक्त कोरोना वायरस महामारी से हर क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित है. स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. स्कूली बच्चे ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं और कॉलेज में भी इसी तरह से पढ़ाई हो रही है लेकिन इस बीच अंडर ग्रैजुएट कार्यक्रम में दाखिला लेने के लिए होने वाली परीक्षा को लेकर छात्रों का एक बड़ा तबका मांग कर रहा है कि कोरोना काल में इसे टाल देना चाहिए.
सितंबर में कोविड-19 के बीच राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट), संयुक्त प्रवेश परीक्षा 2020 (जेईई) होनी है. नीट की परीक्षा मेडिकल कॉलेजों में दाखिला के लिए होती है, जो कि 13 सितंबर को निर्धारित है. इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला के लिए जेईई मुख्य परीक्षा 1 से 6 सितंबर और जेईई एडवांस्ड परीक्षा 27 सितंबर को निर्धारित है.
छात्रों की दलील
परीक्षा टालने के लिए छात्र अपनी-अपनी दलीलें दे रहे हैं. छात्रों का कहना है कि कोरोना वायरस के बीच में वह परीक्षा केंद्र तक कैसे जाएंगे. कुछ इलाकों में बाढ़ की भी स्थिति है और वहां के छात्र कह रहे हैं कि बाढ़ और बिजली कटौती के बीच परीक्षा के लिए बैठना मुश्किल भरा काम है. कुछ छात्र बाढ़ के साथ-साथ कोरोना वायरस का भी खतरा जता रहे हैं.
रविवार 23 अगस्त को हजारों छात्रों ने दिनभर की भूख हड़ताल की और सोशल मीडिया पर परीक्षा को टालने के लिए अनेक तरह के हैश टैग चलाए. छात्रों ने अपनी बातों को सरकार के कान तक पहुंचाने के लिए मौजूदा हालात के फोटो भी डाले. कुछ छात्रों का कहना है कि परीक्षा केंद्र उनके घर से 150 किलोमीटर दूर है और केंद्र तक पहुंचने के लिए बस और ट्रेन सेवा भी नहीं चल रही है. छात्र सवाल कर रहे हैं कि परीक्षा केंद्र तक वे कैसे पहुंचेंगे जब बस और ट्रेन ही नहीं चलेगी.
कुछ राज्यों के छात्रों के परीक्षा केंद्र गृह नगर से दूर अन्य शहर में हैं और वे पूछ रहे हैं कि होटल और गेस्ट हाउस बंद होने की सूरत में वे कहां ठहरेंगे. साथ ही अभिभावक भी अपने बच्चों की सेहत को लेकर चिंतित हैं क्योंकि परीक्षा केंद्रों में सैकड़ों की संख्या में छात्र जुटेंगे और आशंका है कि सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों की अनदेखी हो सकती है.
हालांकि कुछ छात्र और छात्राएं इसके उलट राय रखते हैं. जेईई के लिए इस साल परीक्षा में बैठने जा रही नोएडा की इफरा तबस्सुम डीडब्ल्यू से कहती हैं, "परीक्षा तो होनी चाहिए नहीं तो पूरा एक साल बर्बाद हो जाएगा. कोरोना महामारी के दौरान सारे काम हो रहे हैं तो परीक्षा होने में क्या परेशानी है. मुझे परीक्षा देने में कोई दिक्कत नहीं है."
12वीं के नतीजों के आधार पर इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले पर इफरा कहती हैं कि इस तरह से एडमिशन नहीं होना चाहिए. वह कहती हैं कि इससे बहुत सारे छात्रों के साथ अन्याय होगा. उनके मुताबिक 12वीं का बोर्ड हर राज्य का अलग होता है और वहां की परीक्षा का पैटर्न भी अलग होता है. इफरा कहती है, "कई राज्यों में बच्चे 12वीं में बहुत ज्यादा अंक ले आते हैं." इफरा जैसे लाखों बच्चे जेईई की प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए दो-दो साल घर से दूर रहकर कोचिंग करते हैं. ऐसे में कई लोगों का मानना है कि 12वीं के बोर्ड के अंकों के आधार पर दाखिला हो जाएगा तो उन जैसे छात्रों की मेहनत बेकार जाएगी.
शुक्रवार को ही शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा था कि निर्धारित परीक्षाएं सितंबर में ही कराईं जाएंगी.
17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षाएं-जेईई (मुख्य) और नीट को पहले से तय तारीखों पर कराने को लेकर रास्ता साफ कर दिया था. कोरोना वायरस को वजह बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में परीक्षा टालने की अपील की गई थी लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया. याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था, "क्या देश में सबकुछ रोक दिया जाए? क्या छात्रों के एक कीमती साल को यूं ही बर्बाद होने दिया जाए? जिंदगी को ऐसे रोका नहीं जाता."
इस बीच परीक्षा कराए जाने को लेकर भी राजनीति हो रही है. कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल परीक्षा को टालने की मांग कर रहे हैं. कई विपक्षी नेता छात्रों द्वारा परीक्षा को टालने को लेकर की जा रही मांगों के समर्थन में ट्वीट भी कर रहे हैं. कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान, राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी परीक्षा को टालने या फिर वैकल्पिक इंतजाम कराने की मांग कर चुके हैं. दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी निर्धारित परीक्षा को टालने के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं.
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