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समाज

बेटी पढ़ेगी, बढ़ेगी और स्कूटी चलाएगी

२० अगस्त २०२०

असम सरकार ने लड़कियों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए नई तरकीब निकाली है. राज्य सरकार ने 12वीं के बोर्ड परीक्षा में प्रथम श्रेणी पाने वाली छात्राओं को इनाम में स्कूटी देने का फैसला किया है.

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तस्वीर: Reuters/A. Verma

असम सरकार को उम्मीद है कि इनाम के तौर पर स्कूटी देने से छात्राएं कॉलेज जाने के लिए प्रोत्साहित होंगी. कई बार सार्वजनिक परिवहन के खतरों को आगे की शिक्षा के लिए बाधा के रूप में देखा जाता है. असम के शिक्षा मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन से कहा, "इससे कई छात्राओं को अपने कॉलेज जाने में परेशानी से मुक्ति मिलेगी."

मंत्री के मुताबिक मुफ्त स्कूटी उन छात्राओं को मिलेगी जिन्होंने 12वीं के बोर्ड की परीक्षा में 60 फीसदी अंक हासिल किए हैं. छात्राओं को इनाम के तौर पर स्कूटी अक्टूबर के मध्य तक दी जाएगी. सरमा के मुताबिक, "हम इसे लड़कियों को सशक्त करने के तौर पर भी देखते हैं और उन्हें स्वतंत्र बनाना चाहते हैं."

चाइल्ड राइट्स एंड यू (सीआरवाई) के मुताबिक लंबी दूरी और सुरक्षित परिवहन की कमी के कारण ही लड़कियों की क्लास छूटती है और वे कॉलेज जाना छोड़ देती हैं. सीआरवाई के मुताबिक उसके 2019 के सर्वे से पता चला है कि तीन में से एक लड़की 10 साल की उम्र में स्कूल छोड़ देती है, स्कूली शिक्षा पूरी होने के छह या आठ साल पहले ही उनका स्कूल से नाता टूट जाता है.

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12वीं में प्रथम श्रेणी लाने वाली छात्राओं को मिलेगी स्कूटी.तस्वीर: SAM PANTHAKY/AFP/Getty Images

गैर लाभकारी संगठन प्रथम के मुताबिक स्कूल नहीं जाने वाली लड़कियां जिनकी उम्र 11 से 14 वर्ष के बीच है, वे 2018 में 5 फीसदी रह गई, एक दशक पहले यह आंकड़ा 10 फीसदी थी. 

कई बार यौन उत्पीड़न के मामले भी पढ़ाई छुड़वाने के लिए जिम्मेदार होते हैं, भीड़ भरी बस में छेड़छाड़, टैक्सी में असहज व्यवहार और शाम होने के बाद रेप की घटनाएं. सिर्फ दिल्ली में ही हर रोज महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 40 मामले दर्ज होते हैं. हालांकि निर्भया कांड के बाद लड़कियों की सुरक्षा को लेकर कानून सख्त किए गए.

लड़कियों के मन से डर दूर करने के लिए कई राज्य सरकारें मुफ्त में साइकिल बांट रही हैं और इसके अलावा बालिकाओं के लिए कई कल्याणकारी कार्यक्रम चला रही हैं. लेकिन सीआरवाई के शोध से पता चलता है कि कई इनाम लड़कियों तक पहुंच ही नहीं पाते या फिर ऐसी योजना का विज्ञापन खराब तरीके से किया जाता है या उसे ठीक से लागू नहीं किया जाता.

असम में स्कूटी योजना को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं. नलबाड़ी जिले की गीताश्री इस योजना से खुश हैं और कहती हैं कि उसकी घंटे भर की बस और ऑटो की यात्रा खत्म होगी. गीताश्री कहती हैं, "स्कूटी से मैं 20 मिनट में सफर पूरा कर लूंगी."

फिर भी, अन्य लोगों के लिए खराब बुनियादी ढांचे का संकट बना हुआ है. स्वीटी बसक ने ट्वीटर पर लिखा, "मैं गुजारिश करूंगी कि आप ब्रॉडबैंड कनेक्शन दें... तकनीकी रूप से मजबूत होना यह इस वक्त की जरूरत है."

एए/एके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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