जंगल की आग पर काबू पाने के तरीकों में बदलाव की जरूरत
२६ अगस्त २०२३धरती पर मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन, जंगल की आग को इतना भयावह बना चुका है कि उस पर काबू पाने की बहुत पहले से चली आ रही रणनीतियां अब कारगर नहीं रहीं और अब उनसे निपटने के लिए नयी सोच की मांग कर रही हैं. जानकारों का ये कहना है. चार दशकों से वनाग्नि पर शोध कर रहे, तस्मानिया यूनिवर्सिटी में पायरोजियोग्राफी और फायर साइंस के प्रोफेसर डेविड बाउमैन कहते हैं, "अग्निशमन दल सहसा ही ऐसी आग से बावस्ता हैं जो बेकाबू है, अंधाधुंध है."
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उदाहरण के लिए, अग्निशमन कर्मी आमतौर पर रात के समय आग बुझाने का अभियान शुरू करते हैं जब तापमान ठंडा हो जाता है और हवा ठहर जाती है. लेकिन बाउमैन कहते हैं कि अब तो आग "पूरी रात सुलगी रहती है मानो रात भी दिन हो." वो ऑस्ट्रेलिया में दिसंबर में भड़की जंगल की आग को लेकर चिंतित हैं जो अभी तक सुलगी हुई है.
कनाडा में, अग्निशमन कर्मियों ने ऐसी बेतहाशा, ऊंची उठती आग की सूचना दी है जिसकी आंच में विमान से गिराई जाने वाली बौछारें भी मैदान पर गिरने से पहले भाप बनकर उड़ जा रही हैं. कनाडा में आग का सीजन अक्टूबर तक रहता है लेकिन 2023 में ये अपने सबसे भयानक रूप में हैं. यूनान के आकार का इलाका इन हजारों आगों ने निगल लिया है- पिछले साल से 10 गुना ज्यादा. इस आग से लाखों टन सीओटू निकली है जो कमोबेश नीदरलैंड्स के पूरे साल भर के उत्सर्जन के बराबर है.
जलवायु परिवर्तन से बढ़ा आग का खतरा?
हवाई से लेकर ग्रीस और कनाडा तक फैली जंगल की आग की कोई एक तय वजह नहीं है. उसकी वजहें पेचीदा हैं. भू-उपयोग (लैंड यूज) में परिवर्तन और खराब वन प्रबंधन, जंगल की आग को सुलगाने में भूमिका निभाते हैं.
लेकिन अमेरिका के पश्चिमोत्तर राज्य इडाहो की बोयजे स्टेट यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर मुज्तबा सादेह के मुताबिक, दुनिया के कई हिस्सों में आग के जोखिमों को बढ़ाने में मनुष्य निर्मित जलवायु परिवर्तन की भूमिका भी देखी जा रही है. तपिश भरे ज्यादा दिन और कम होती बारिशों से आग और भयंकर होकर सुलग सकती है क्योंकि मिट्टी सूख जाती है और रूखी-सूखी वनस्पति चिंगारी का काम करती है.
सादेह कहते हैं, "जंगल की बड़ी आगों के लिए सूखा, गर्म मौसम और तेज हवाएं रेसिपी का काम करती है और ये स्थितियों कई इलाकों में इधर ज्यादा से ज्यादा बनने लगी हैं. शुष्कता और अधिक गर्मी बढ़ाती है, और तपिश से और सूखा बढ़ता है."
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ज्यादा सघन और व्यापक तौर पर भड़कने वाली आग इस कदर गर्मी पैदा करती है कि वे अपना ही मौसमी पैटर्न बना देती हैं, हवाओं के रुख पर असर पड़ता है और आग और तेजी से ज्यादा बड़े इलाके में फैलने लगती है. 20221 में अमेरिकी राज्य ओरेगॉन में इसी वजह से बड़े पैमाने पर आग भड़की थी.
कुछ अध्ययनों ने पाया है कि जंगलों की आग के सीजन भी धरती के गर्म होने की वजह से लंबे खिंचने लगे हैं. जैसे कि भूमध्यसागरीय जलवायु में बसंत की आखिरी बारिश और पतझड़ के पहले वर्षण के बीच का समय लंबा रहने लगा है. ये ऐसी खतरनाक स्थितियां बना देता है जिसमें हवाएं, आग को और प्रचंड बना रही हैं.
ये स्थितियां हमेशा आग नहीं भड़कातीं लेकिन गर्म, सूखे मौसम की अपेक्षाकृत लंबी अवधियां दिनबदिन आग के जोखिम में वृद्धि कर देती हैं. आग अक्सर आसमानी बिजली कड़कने, बिजली के किसी फॉल्ट और कुछ मामलों में आगजनी से भी सुलग उठती है.
आग से लड़ने वाले हथियारों की दौड़
जिस नए नए ढंग से जंगल की आग इधर भड़कने लगी हैं, उसने ऐसे नए तरीकों के लिए रास्ता बनाया है जो आग बुझाने पर ध्यान केंद्रित करने की पूर्व की मान्यता से बिल्कुल अलग, तैयारी और वक्त रहते हालात संभालने पर जोर देते हैं.
अग्नि विज्ञानी बाउमैन कहते हैं कि राजनीतिज्ञों और सरकारों को बड़ी महंगी प्रौद्योगिकीय खरीदों के लिए उकसाया जा सकता है जैसे कि आग बुझाने वाले हवाई वॉटर बॉम्बर हैं. लेकिन इनको चलाना महंगा सौदा है, वे मिट्टी को खराब कर देते हैं और बाजदफा कोहरे या हवा में गड़बड़ी की वजह से बेअसर रह जाते है.
बाउमैन कहते हैं, "एक ऐसी स्थिति आपके समक्ष आ जाती है जहां आग इतनी प्रचंड हो उठती है कि उससे फिर लड़ा नहीं जा सकता." बाउमैन के मुताबिक बचाव की एक योजना है. वो कहते हैं अगर तस्मानिया द्वीप पर उनके गृहनगर होबार्ट में कभी आग लगी तो उनके पास एक साइकिल और एक कयाक है.
बड़े महंगे उपायों को वो महंगे अस्पताल खड़े करने की तरह देखते हैं. उनके मुताबिक धुएं की दरों में कटौती और लोगों को स्वास्थ्यवर्धक भोजन खाने की ओर उन्मुख करने जैसे बचाव के उपाय किए जाने चाहिए.
आग का जोखिम कम करने के उपाय
मुज्तबा सादेह कहते हैं कि ज्यादा कड़ी निर्माण संहिताएं, आग के अपरिहार्य जोखिम से घरों को बचा सकती हैं. ज्वलनशील पदार्थों से बनने वाली छतों और पोर्चों पर खासतौर से आग की चपेट में आने का खतरा ज्यादा रहता है. सादेह कहते हैं कि घरों को दूर दूर बनाना और आग का सीजन शुरू होने से पहले ही आसपास की वनस्पति और झाड़-झंखाड़ को साफ करने से भी आग को फैलने से रोका जा सकता है.
सादेह कहते हैं कि 100 से ज्यादा लोगों की जानें लेने वाली हवाई के लहाइना की आग कम विनाशकारी हो सकती थी अगर आसपास की जमीन पर खरपतवार और घास को साफ कर दिया जाता जो वहां खाली पड़े खेतों में पनप उठी थी.
प्रचंड मौसमी घटनाओं का अध्ययन करने वाले सिविल इंजीनियर सादेह ने कहा कि लहाइना की आग ने ये दिखा दिया कि बुनियादी ढांचा, आग के सामने कितना निरुपाय और कमजोर होता है. दूसरी तरफ आग से बचकर भागने की कोशिश करते लोगों के निकास के रास्ते भी खराब इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से बाधित हुए. सादेह कहते हैं, "बहुत से लोग अपनी कारों में ही जल कर मर गए. पूर्वी अमेरिका के कुछ हिस्सों में तूफानों से बचाव के शेल्टर बनाए गए हैं. क्या अब उन इलाकों में फायर शेल्टर बनाने के बारे में सोचने का समय आ गया है, जिन्हें खाली कराना मुश्किल है?"
ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत में निजी फायर शेल्टरों को लेकर सरकारी नीति निर्देश अमल में आ गए हैं. वे भूमिगत बंकरों की तरह दिखते हैं
निर्धारित स्थानों पर नियंत्रित दहन
पिछले साल अमेरिका के कृषि विभाग की वन सेवा ने जंगलों की आग से निपटने के लिए एक नई रणनीति जारी की थी, और उसे "भू-प्रबंधन अभ्यासों में एक महत्वपूर्ण बदलाव" करार दिया था. इसमें पाया गया कि अमेरिका के एक साथ सटे 48 राज्यों (डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलम्बिया सहित) का एक चौथाई हिस्सा, जंगल की आग के लिहाज से औसत से बहुत अधिक खतरे की जद में है. इसकी एक वजह है, लंबे समय से कुदरती आग बुझाने पर फोकस. जंगल की आग के पारिस्थितिकीय लाभ भी हो सकते हैं क्योंकि वे मृत जैविक पदार्थ और अन्य सघन वनस्पति की सफाई कर देती हैं जिनमें वरना आग लगने की आशंका बनी रहती है.
अमेरिकी की इस अग्निशमन रणनीति के तहत बड़े व्यापक स्तर पर निर्धारित स्थानों पर आग लगाने और जंगल की छंटाई करने को कहा गया है. ये आग कुदरती तौर पर भड़कने वाली आग जैसी ही होती है, लेकिन साथ ही साथ बेकाबू आग के बढ़ते खतरे का मुकाबला भी करती है.
इस पद्धति के तहत, हल्की स्थितियों में जानबूझकर आग लगाई जाती है जिससे ज्वलनशील वनस्पति का स्तर नियंत्रण में रहे. ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी अमेरिका के आदिवासी समूह, यूरोपीय उपनिवेशीकरण के बहुत पहले से ही "नियंत्रित दहन" की विधि अपनाते रहे थे.
लेकिन इस रणनीति को भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. गर्म होती जलवायु ने उन दिनों की संख्या में कटौती कर दी है जो अग्निशमन कर्मियों के पास, जंगल में नियंत्रित दहन के लिए उपलब्ध थे. और अतिशय स्थितियों में, ईंधन कटौती का बहुत ही सीमित असर पड़ सकता है क्योंकि आग पेड़ों की कैनोपी पर ही फैलती जाती है, नीचे उतना नहीं फैलती.
कनाडा में उन दूरस्थ स्थानों के लिए आग को खुदबखुद बुझने देने की नीति अमल में है, जहां मनुष्यों पर कोई सीधा खतरा नहीं लेकिन आग से निकले धुँए की विशाल मात्रा खतरनाक हो सकती है. कनाडा में फैलने वाली जंगल की आग के धुंए ने इस सीजन में पूर्वी अमेरिकी तट क्षेत्र तक हवा की गुणवत्ता के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी.
तमाम शोधकर्ता और नीति निर्माता एक समाधान को लेकर एकमत नजर आते हैं और वो ये कि जीवाश्म ईंधनों को जलाने से बड़े पैमाने पर धरती को गर्म कर रहे कार्बन उत्सर्जनों को तत्काल प्रभाव से कम से कम करना ही होगा. लेकिन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर मनुष्यता अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को हासिल कर भी लेती है, जंगलों की आग तब भी कम नहीं होगी. 0रिपोर्ट के लेखकों का कहना है, "इस आग के साथ रहना, हमें सीखना होगा."