तालिबान ने जारी किया सभी ब्यूटी पार्लर बंद करने का फरमान
५ जुलाई २०२३तालिबान ने एक आदेश जारी कर देश के तमाम ब्यूटी पार्लर बंद करने को कहा है. नैतिकता मंत्रालय की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि एक महीने के भीतर महिलाओं के सभी ब्यूटी पार्लर बंद कर दिये जाएं. महिलाओं को घरों से बाहर निकलने से रोकने के लिए उठाये गये बहुत से कदमों में से यह एक और है.
इस आदेश का असर उन हजारों महिलाओं पर होगा जो छोटे उद्योगों के जरिये अपनी रोजी-रोटी कमा रही हैं. अक्सर ये छोटे ब्यूटी पार्लर ही उन घरों में आय का एकमात्र स्रोत होते हैं. इनके बंद हो जाने से उनका अन्य महिलाओं और परिवारों के साथ संपर्क का एक और रास्ता पूरी तरह बंद हो जाएगा.
काबुल में एक पार्लर की मालिक ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, "ज्यादा अच्छा तो ये होता कि इस समाज में महिलाएं होती ही ना. काश कि मेरा वजूद ही ना होता. काश कि हम अफगानिस्तान में पैदा ना हुए होते या यहां ना रह रहे होते.”
बदतर होते हालात
अगस्त 2021 में सत्ता कब्जाने के बाद से तालिबान ने महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां लगाई हैं. उनका हाई स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढ़ना बंद कर दिया गया है. उन्हें पार्कों, मेलों और जिम आदि सार्वजनिक स्थानों पर जाने की मनाही है. घर से बाहर हर वक्त उन्हें पर्दे में रहने का हुक्म दिया गया है. इसके अलावा उनके संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं या अन्य सामाजिक संस्थाओं में काम करने पर रोक है. हजारों महिलाओं को या तो सरकारी नौकरियों से निकाला जा चुका है या फिर उन्हें घर बैठे ही तनख्वाह दी जा रही है ताकि वे घर से बाहर ना निकलें.
नैतिकता मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद सादिक आकिफ मुहाजिर ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में ब्यूटी पार्लर बंद करने के आदेश की पुष्टि की लेकिन इसकी वजह बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, "जब वे बंद हो जाएंगे तब हम कारणों को मीडिया के साथ साझा करेंगे.”
मुहाजिर ने कहा कि दुकानों को बंद करने के लिए समय दिया गया है ताकि वे अपने सामान को समय रहते इस्तेमाल कर लें और उन्हें कोई नुकसान ना हो. आदेश में कहा गया है कि यह फरमान सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा के कहने पर जारी किया गया है.
दो दशकों में जब अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों की सेनाएं देश में मौजूद थीं तो काबुल और अफगानिस्तान के अन्य शहरों में बड़ी संख्या में ब्यूटी पार्लर खुले थे. उन्हें पुरुषों से दूर महिलाओं द्वारा मिलने-जुलने के एक सुरक्षित स्थान के रूप में देखा जाता था. साथ ही ये ब्यूटी पार्लर महिलाओं के लिए आय के स्रोत के रूप में भी काम कर रहे थे.
एक ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली महिला नीलाब ने कहा, "महिलाएं बातचीत करने और गॉसिप करने के लिए आती थीं. यहां ना कोई झगड़ा होता था ना कोई शोर-शराबा. जब हम यहां खुशनुमा चेहरे देखते हैं तो हमें भी अच्छा लगता है. सलून की भूमिका बहुत अहम है. ये जगह हम लोगों को बहुत राहत देती है.”
एक अन्य सलून मैनेजर ने कहा कि उसके यहां 25 महिलाएं काम करती हैं जो अपने-अपने परिवारों के लिए रोजी-रोटी का जरिया हैं. उन्होंने कहा, "वे सब बहुत दुखी हैं.”
तालिबान की भारत में ट्रेनिंग पर विवाद
पिछले हफ्ते ही अफगानिस्तान के लिए विशेष दूत रिचर्ड बेनेट ने संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद की एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था कि देश में महिलाओं और लड़कियों की स्थिति "दुनिया में सबसे बदतर हालात में से है.” रिपोर्ट कहती है, "महिलाओं के खिलाफ बेहद गंभीर, व्यवस्थागत और संस्थागत भेदभाव तालिबानी विचारधारा और शासन के मूल में है. इस कारण लैंगिक अलगाव की चिंताएं भी पैदा हुई हैं.”
महिलाओं की भलाई कैसे?
मंगलवार को अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के मिशन (यूएनएएमए) ने तालिबान से यह आदेश वापस लेने का आग्रह किया था. एक ट्वीट में मिशन ने कहा, "महिलाओं के खिलाफ यह नयी पाबंदी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डालेगी और महिला उद्यमियों के लिए सरकारी समर्थन के विरुद्ध है.”
तालिबान के सुप्रीम लीडर अखुंदजादा को बहुत कम सार्वजनिक जगहों पर देखा जाता है. वह अपने जन्मस्थल कंधार से ही आदेश जारी करते हैं. पिछले महीने उन्होंने कहा था कि इस्लामिक नियमों को अपनाकर महिलाओं को पारंपरिक अत्याचारों से बचाया जा रहा है और उनके ‘सम्मानित और स्वतंत्र इंसान' के दर्जे को फिर से स्थापित किया जा रहा है.
ईद उल अजहा के मौके पर एक बयान जारी कर अखुंदजादा ने कहा कि महिलाओं को इस्लामिक शरिया के मुताबिक आरामदायक और खुशहाल जिंदगी मुहैया कराने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं. हालांकि बहुत सी महिलाएं इस बात से इत्तेफाक नहीं रखतीं. 24 साल की राहा मंगलवार को घर में एक उत्सव के लिए तैयार होने ब्यूटी पार्लर आई थीं.
यूनिवर्सिटी में जाने से रोकी जा चुकीं राहा कहती हैं, "महिलाओं के लिए अपनी कहे जा सकने लायक बस यही जगह बची थी और अब उसे भी वे छीन लेना चाहते हैं. हम सबके सामने ये सवाल है कि वे क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं.”
वीके/एए (एएफपी)