यूएन: तालिबान के कब्जे के बाद एक हजार से अधिक नागरिक मारे गए
२८ जून २०२३संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को कहा कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता हासिल करने के बाद से देश में अलग-अलग हमलों में नागरिक हताहतों की संख्या में पिछले वर्षों की तुलना में काफी कमी आई है.
भीड़भाड़ वाली जगहें, धार्मिक स्थल निशाने पर
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (यूएनएएमए) की रिपोर्ट के मुताबिक युद्ध और आतंकवाद के दौर के मुकाबले देश में हताहतों की संख्या में भारी कमी के बावजूद देश में यह स्थिति है.
हालांकि ऐसी हत्याओं का सिलसिला अभी भी जारी है और देश के विभिन्न प्रांतों में किए गए घातक हमलों के कारण अभी भी नागरिकों की मौत हो रही है या घायल हो रहे हैं.
यूएनएएमए की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से इस साल मई के अंत तक घातक हमलों में 1,095 नागरिक मारे गए और 3,774 घायल हुए.
इन आंकड़ों की तुलना में तालिबान के सत्ता में वापस आने से पहले 2020 में ऐसे हमलों में कुल 3,035 अफगान नागरिक मारे गए और 8,820 घायल हुए.
संयुक्त राष्ट्र: नागरिक समाज का "गला घोंटा" जा रहा
हमलों में महिलाएं और बच्चे मारे गए
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अगस्त 2021 से मई 2023 तक अफगानिस्तान में हुए तीन-चौथाई हमले आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) विस्फोट द्वारा किए गए थे. यूएनएएमए के मुताबिक आईईडी के जरिए भीड़ भाड़ वाले बाजार, स्कूल और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया.
यूएनएएमए की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 21 महीने की अवधि के दौरान खूनी हमलों में मारे गए अफगान नागरिकों में 92 महिलाएं और 287 बच्चे शामिल थे.
यूएनएएमए की इस रिपोर्ट के जारी होने के साथ ही अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों की ओर से एक बयान भी जारी किया गया. बयान के मुताबिक मुख्य रूप से शिया हजारा समुदाय को निशाना बनाकर स्कूलों, शैक्षिक संस्थानों और अन्य स्थानों पर किए गए हमलों में कम से कम 95 लोग मारे गए.
अफगानिस्तान में तालिबान के दूसरे कार्यकाल के दौरान किए गए अधिकांश घातक हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट की स्थानीय आतंकवादी शाखा ने ली थी, जिसे इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासन के नाम से जाना जाता है.
वर्तमान अफगानिस्तान में आईएसआईएस की यह क्षेत्रीय शाखा एक आतंकवादी सुन्नी मुस्लिम संगठन है, जो तालिबान का मुख्य प्रतिद्वंद्वी चरमपंथी संगठन है.
एए/वीके (एएफपी, डीपीए, रॉयटर्स)