विद्रोही हैं लीबिया के असली प्रतिनिधिः जर्मनी
१३ जून २०११पिछले महीनों के दौरान जर्मन विदेश मंत्री की इस बात के लिए आलोचना हो रही थी कि लीबिया में नो फ्लाई जोन के लिए सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर मतदान में जर्मनी तटस्थ था. इससे उभरी राजनयिक विडंबना को दूर करने की कोशिश करते हुए जर्मन विदेश मंत्री ने कहा कि उनकी यात्रा से साबित हो जाता है कि जर्मनी लीबिया की लोगतांत्रिक ताकतों का मित्र व साझीदार है.
बेनगाजी पहुंचने के बाद जर्मनी के दोनों मंत्री सीधे विद्रोहियों की राष्ट्रीय अस्थायी काउंसिल के मुख्यालय पहुंचे. गीडो वेस्टरवेले ने कहा कि यह काउंसिल लीबियाई जनता का वैधानिक प्रतिनिधि है. यहां पत्रकारों के सामने उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य एक है, गद्दाफी के बिना एक लीबिया. राष्ट्रीय काउंसिल ही लीबियाई जनता का वैधानिक प्रतिनिधि है." इस समय उनके साथ विद्रोहियों की सरकार के विदेश मंत्री अली एल एस्सावी भी मौजूद थे. उपस्थित लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनके वक्तव्य का स्वागत किया.
इस बीच गद्दाफी ने एक बार फिर से कहा है कि वे लीबिया नहीं छोड़ेंगे. उनका कहना है कि लीबिया में वे किसी सरकारी पद पर नहीं हैं, और न ही सम्राट हैं. इसलिए उनके लिए कोई पद छोड़ने का सवाल ही नहीं पैदा होता.
लीबिया के पूर्वी हिस्से पर विद्रोहियों का नियंत्रण है, और इस बीच लड़ाई पश्चिम की ओर फैलती जा रही है. विद्रोही सू्त्रों के अनुसार त्रिपोली के नजदीक स्ट्रैटेजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नगर जविया में दो दिन से भारी लड़ाई चल रही है. विद्रोहियों के एक प्रतिनिधि ने सूचना दी कि शनिवार को 13 विद्रोहियों और आम नागरिकों की मौत हो गई. लड़ाई की वजह से त्रिपोली से ट्यूनीशिया तक जाने वाली सड़क बंद कर देनी पड़ी. इससे अलग लीबिया की सरकार का कहना है कि जाविया में कोई खास लड़ाई नहीं हो रही है. अरब टीवी अल जजीरा के अनुसार लीबिया के तीसरे सबसे बड़े नगर मिसराटा के नजदीक डाफनिया में लड़ाई हो रही है. इसके अलावा विद्रोहियों की ओर से जाफरान और जिनतान के बीच के इलाके में सरकारी सेना के ठिकानों पर हमले किए जा रहे हैं. जिनतान पर अभी भी विद्रोहियों का कब्जा बना हुआ है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: ए जमाल