नई दवा करेगी बच्चों में ध्यान की कमी का इलाज
७ अप्रैल २०२१अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने छह से 17 साल के बच्चों में एडीएचडी के इलाज के लिए केल्ब्री नाम की इस दवा को हरी झंडी दिखा दी है. यह एक कैप्सूल के रूप में आती है और इसे रोज खाना पड़ता है. दूसरी एडीएचडी दवाओं की तरह केल्ब्री एक स्टीमुलेंट या एक नियंत्रित पदार्थ नहीं है, जिसकी वजह से आसानी से इसका दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है.
अभी तक जो दवाएं उपलब्ध थीं, जैसे रिटालिन, लगभग उन सभी में एम्फीटामाईन या मिथाइलफेनिडेट जैसे स्टीमुलेंट हैं. केल्ब्री को सुपरनस नाम की कंपनी ने बनाया है. इसके साथ आत्महत्या के बारे में विचार आने की संभावना की चेतावनी दी जाती है. दवा को लेकर हुए अध्ययन में एक प्रतिशत से कम वालंटियरों में इस तरह के असर देखने को मिले. सुपरनस ने दवा का दाम नहीं बताया है, लेकिन संभव है कि यह कई दूसरी एडीएचडी दवाओं से ज्यादा ही होगा.
अमेरिका में करीब 60 लाख बच्चे और किशोर इस रोग से प्रभावित हैं. इनमें से कई लोगों को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनमें ध्यान देने में परेशानी, काम पूरे करने में परेशानी, बेचैनी और आवेग शामिल हैं. जानकारों का मानना है कि संभव है कि यह दवा उन लोगों को पसंद आएगी जो अपने बच्चों को स्टीमुलेंट नहीं देना चाहते हों.
जॉन्स ऑपकिंस स्कूल ऑफ मेडिसिन में मनोविज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डेविड गुडमैन कहते हैं कि यह दवा उन बच्चों के लिए भी एक विकल्प हो सकती है जो पदार्थों के दुरुपयोग की समस्या से जूझ रहे हों, जो स्टीमुलेंटों के दुष्प्रभावों से दूर रहना चाह रहे हों या जिन्हें अतिरिक्त रूप से थेरेपी की आवश्यकता हो.
गुडमैन ने बताया कि दवाएं लेने वाले एडीएचडी के अधिकांश रोगियों को लम्बा असर करने वाले स्टीमुलेंट दिए जाते हैं जिनका दुरुपयोग करके उनसे नशा करना आसान नहीं होता. सुपरनस ने एक अध्ययन कराया जिसमें छह से 11 उम्र तक के 477 बच्चों ने यह नई दवा छह हफ्तों तक ली. इन बच्चों में उस समूह के मुकाबले ध्यान कम देने और हाइपरएक्टिविटी के लक्षणों में 50 प्रतिशत तक की कमी देखी गई जिसमें दूसरे बच्चों को सिर्फ प्लेसिबो दिया गया था.
कुछ अध्ययनों में विलोक्साजीन के नाम से भी जाने जाने वाली इस दवा ने वालंटियरों में लक्षणों को एक सप्ताह के अंदर कम कर दिया. इसके आम दुष्प्रभावों में नींद आना, आलस, भूख में कमी और सिर में दर्द शामिल हैं. एडीएचडी के शिकार वयस्कों में इस दवा के परीक्षणों का आखिरी चरण चल रहा है. बच्चों के मुकाबले इस रोग से पीड़ित वयस्कों की संख्या कम है लेकिन बाजार बढ़ रहा है क्योंकि अभी बहुत कम व्यस्क एडीएचडी की दवा लेते हैं.
विलोक्साजीन यूरोप में कई दशकों तक डिप्रेशन के इलाज की दवा के रूप में बिकी, लेकिन एफडीए ने अमेरिका में उसके इस्तेमाल की अनुमति कभी दी नहीं. लगभग दो दशक पहले उसे बनाने वाले कंपनी ने दवा की बिक्री बंद कर दी क्योंकि जोलोफ्ट और प्रोजैक जैसी लोकप्रिय दवाइयां बाजार पर हावी हो गई थीं.
सीके/एए (एपी)