फुकुशिमा की तितलियों पर जहर का असर
१७ अगस्त २०१२तितलियों पर रिसर्च करने के बाद नेचर प्रकाशन समूह के एक ऑनलाइन जर्नल में वैज्ञानिकों ने कहा है, "हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि फुकुशिमा बिजली घर से निकले रेडियोधर्मी कणों ने तितलियों को शारीरिक और आनुवांशिक नुकसान पहुंचाया है." तितलियों को पर्यावरण का एक बहुत उपयोगी और अच्छा निशान माना जाता है. वैज्ञानिकों के एक दल ने 144 तितलियों को फुकुशिमा और उसके आसपास के इलाके से परमाणु हादसे के दो महीने बाद मई 2011 के मध्य में जमा किया.
इन लोगों ने देखा कि छोटे पंख और आंखों को नुकसान हुआ था और यह करीब 12.4 फीसदी तितलियों में मिला. दूसरी पीढ़ी की तितलियों में आंकड़ा 18.3 फीसदी तक जा पहुंचा. वैज्ञानिकों ने तीसरी पीढ़ी आते आते इस दुष्प्रभाव को 33.5 फीसदी तक बढ़ते देखा. तीसरी पीढी की तितलियों को प्रभावित तितलियों और सामान्य तितलियों के बीच संपर्क के जरिये जन्म दिया गया था. तितलियों का परीक्षण दक्षिण में ओकिनावा की प्रयोगशाला में किया गया. यह जगह फुकुशिमा के बिजली घर से करीब 1750 किलोमीटर दूर है. यह जगह उन इलाकों में है जहां परमाणु हादसे का सबसे कम असर हुआ है.
2011 के सितंबर में वैज्ञानिकों के दल ने 238 और तितलियों को पकड़ा. इनमें असामान्य तितलियों का कुल आंकड़ा 28.1 फीसदी तक जा पहुंचा. इन तितलियों की दूसरी पीढ़ी में तो प्रभावितों की तादाद दोगुनी ज्यादा हो कर 59.1 फीसदी तक जा पहुंची. वैज्ञानिकों ने यह भी देखा कि इन तितलियों के पांवों और एंटेना में अक्सर विकृति भी देखी जाने लगी. इसके अलावा उनके रंगों की संरचना में गड़बड़ नजर आई. इन नतीजों से यह पता चला कि मई में तितलियों को हुई परेशानी सितंबर आते आते खतरनाक रूप से और ज्यादा बढ़ गई. टीम मानती है, "फुकुशिमा प्लांट में हुए हादसे के कारण रेडियोधर्मी विकिरण के कारण आनुवांशिक बदलाव इसकी वजह रहे." मार्च 2011 में फुकुशिमा के छह रिएक्टरों में से तीन में हुए मेल्टडाउन के बाद भारी मात्रा में रेडियोधर्मी तत्वों का विकिरण हुआ.
परमाणु बिजली घर के आस पास रहने वाले लाखों लोगों को अपना घर छोड़ कर जाना पड़ा. बाद में सेहत पर विकिरण के असर के डर ने और लोगों को भी फुकुशिमा छोड़ कर जाने पर मजबूर किया. हालांकि आलोचकों का कहना है कि जापान की केंद्रीय और स्थानीय सरकारों ने विकिरण के प्रभाव को कम कर के बताया और उसकी छवि एक सुरक्षित जगह के रूप में बनाने की कोशिश की.
एनआर/एमजे (डीपीए)