दलाई लामा ने फिर मांगी सच्ची स्वायत्तता
१० मार्च २००९हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने कहा कि तिब्बतियों की जिंदगी नर्क बन चुकी है. दलाई लामा ने कहा कि वह चीन से सच्ची और सार्थक स्वायत्तता चाहते हैं. 10 मार्च 1959 को तिब्बत की राजधानी ल्हासा में विद्रोह हुआ, जो नाकाम रहा और इसके बाद दलाई लामा को भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी. दलाई लामा बीते पचास साल से हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला में रह रहे हैं.
दलाई लामा ने चीन पर आरोप लगाया है कि स्वायत्तता की मांग को कुचलने के लिए बीते कुछ सालों में चीन ने लाखों लोगों को मारा है और कई पूजा स्थलों को भी नष्ट किया है. जर्मनी में दलाई लामा के विशेष प्रतिनिधि केलसांग गीआल्टसेन कहते हैं, ''ल्हासा से आने वाली ख़बरें बेहद निराशाजनक हैं. ल्हासा की स्थिति एक सैनिक कब्ज़े के बराबर है. भारी संख्या में सैनिक और सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं. इसके अलावा राजनीतिक दुष्प्रचार चलाया जा रहा है. मसलन मठों, दफ़्तरों और स्कूलों में तथाकथित देशभक्ति की शिक्षा के अभियान चलाए जा रहे हैं. दरअसल तिब्बतियों पर दलाई लामा को ठुकराने के लिए दबाव डाला जा रहा है.''
इस बीच, दिल्ली और काठमांडू में भी सैकड़ों तिब्बतियों ने चीन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया. दिल्ली में प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा जबकि काठमांडू में कुछ प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई. किसी भी तरह के हिंसक विरोध प्रदर्शन की आशंका के चलते तिब्बत की राजधानी ल्हासा में चीन सरकार ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए थे. तिब्बत जाने की कोशिश कर रहे कई विदेशी पत्रकारों को बीजिंग में हिरासत में ले लिया गया. बीजिंग में मंगलवार को चीन सरकार के ख़िलाफ़ पत्रकारों और मनावाधिकार संगठनों ने प्रदर्शन भी किया.