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जर्मन सांसदों की बगली कमाई पर बहस

१४ अक्टूबर २०१२

जर्मनी में एसपीडी के चांसलर उम्मीदवार पेअर श्टाइनब्रुक की बगली आमदनी से पैदा हुआ विवाद अभी थमा नहीं है. संसद अध्यक्ष नॉर्बर्ट लामर्ट ने सांसदों की साइड इनकम के नियमों को कड़ा करने पर संशय जताया है.

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तस्वीर: Reuters

सत्ताधारी सीडीयू के लामर्ट ने कहा कि पारदर्शिता हर लोकतांत्रिक व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है लेकिन उसे अपने आप में साध्य नहीं बनना चाहिए. उन्होंने कहा कि, "गंभीरता से कोई पारदर्शी सांसद नहीं चाहेगा." संसद अध्यक्ष ने कहा कि पारदर्शिता की बढ़ती मांगों के बावजूद अतिरिक्त आय के बारे में जानकारी देने के नियमों की संवैधानिकता पर संदेह कम नहीं होंगे.

जर्मन संसद के सदस्यों को जीवनयापन और प्रतिनिधि के रूप दफ्तर चलाने के लिए सदस्यता भत्ता मिलता है. इसके अलावा अन्य स्रोतों से भी उनकी आमदनी होती है, जिसमें बड़ी बड़ी कंपनियों के बोर्ड पर होने या भाषण देना शामिल है. पेअर श्टाइनब्रुक को चांसलर उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा के बाद भाषण से होने वाली उनकी आय को लेकर विवाद शुरू हो गया.

जर्मन संसद के नियमों के अनुसार सांसदों को 1000 यूरो तक की मासिक अतिरिक्त आय की सूचना नहीं देनी पड़ती. उससे ज्यादा होने वाली आय के बारे में सही आंकड़ा देने के बदले तीन केटेगरी बतानी होती है. साढ़े तीन हजार तक, सात हजार तक या सात हजार से ज्यादा. श्टाइनब्रुक ने अपने ज्यादातर भाषणों को सात हजार से ज्यादा वाली केटेगरी में रखा है. उसके हिसाब से उन्होंने कम से कम लगभग सात लाख यूरो कमाए. यह राशि ज्यादा भी हो सकती है. इसके बाद श्टाइनब्रुक ने मामले को एक चार्टर्ड अकाउटेंट को जांच के लिए दिया है और कमाई पर अधिक जानकारी देने की घोषणा की है.

संसद अध्यक्ष की आलोचना के बीच विपक्षी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के संसदीय दल के नेता फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने कहा है कि वे आने वाले हफ्ते साइड इनकम पर एक सख्त कानून का मसौदा पेश करेंगे. इसमें 5 लाख यूरो से ज्यादा की आमदनी पर ठोस जानकारी मांगी जाएगी . यह अभी तक 7000 यूरो से ज्यादा वाली केटेगरी में ही आता है.

श्टाइनमायर ने चांसलर उम्मीदवार की कड़ी आलोचना करने वाले एफडीपी पर दुहरे मापदंड का आरोप लगाया. एफडीपी के महासचिव पैट्रिक डोरिंग जर्मन रेल के बोर्ड में हैं और उसके लिए धन लेते हैं. इसके अलावा विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले भी संसदीय दल का नेता रहते हुए अपने भाषणों के लिए फीस लेते रहे हैं. एसपीडी का आरोप है कि वह सालों से सांसदों के अतिरिक्त आय के मामले में पारदर्शिता चाहती रही है, लेकिन सीडीयू और एफडीपी उसे रोकते रहे हैं.

इस बीच ग्रीन पार्टी ने संसद प्रमुख की कड़ी आलोचना की है. पार्टी के संसदीय मैनेजर फोल्कर बेक का कहना है, "बगली आमदनी में पारदर्शिता संसदीय फैसलों की ईमानदारी की सुरक्षा करती है और इसलिए कभी साध्य नहीं है." उन्होंने कहा, "मुद्दा यह है कि लोग समझ पाएं कि सांसद का अतिरिक्त आर्थिक काम उसके संसदीय काम पर कोई प्रभाव नहीं डालता." और इसमें आय कितनी ज्यादा है, उसकी भूमिका होती ही है. ग्रीन पार्टी का कहना है कि लक्ष्य हितों के टकराव को रोकना है.

वामपंथी पार्टी डी लिंके ने मांग की है कि अतिरिक्त आय की सीमा तय की जानी चाहिए. पार्टी प्रमुख कात्या किपिंग का कहना है, "यदि अतिरिक्त आय सांसद के वेतन से ज्यादा हो तो वेतन में उसी अनुपात में कटौती की जानी चाहिए." उन्होंने कहा कि जो संसदीय आय से दोगुने से ज्यादा दूसरे कामों से कमाएगा उसे कोई संसदीय वेतन नहीं मिलेगा. किपिंग ने कहा, "यदि कोई डोरिंग की तरह संसदीय आय से कम से कम तिगुना अतिरिक्त काम से कमा रहा है तो सवाल लाजिमी है कि वह किसकी सेवा कर रहे हैं."

एमजे/ओएसजे (डीपीए, रॉयटर्स)

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