गैर-मुस्लिम भी कर सकते हैं "अल्लाह" शब्द का इस्तेमाल
११ मार्च २०२१क्वालालंपुर हाई कोर्ट के फैसले की पुष्टि मामले से जुड़े वकील ने की है और मीडिया द्वारा भी इस पर रिपोर्ट की गई. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद बुधवार को इस मामले में फैसला आया है और गैर-इस्लामी प्रकाशनों में अल्लाह शब्द के इस्तेमाल पर लगी रोक को हटा दिया गया. जिल आयरलैंड नाम की ईसाई महिला ने मुकदमा किया था कि उसके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. ईश्वर के लिए अरबी शब्द लंबे समय से मलेशिया में विभाजनकारी है.
ईसाइयों ने इस्लामीकरण को उजागर करने के लिए इसका इस्तेमाल करने से रोकने की कोशिशों की शिकायत की थी, लेकिन कुछ मुसलमानों ने ईसाइयों पर सीमा को लांघने का आरोप लगाया था. 2008 में अधिकारियों ने क्वालालंपुर एयरपोर्ट से जिल आयरलैंड से मलय-भाषा की धार्मिक किताबें और सीडी जब्त की थी. यब जब्ती 1986 के गृह मंत्रालय के उस आदेश के तहत की गई थी जिसके मुताबिक ईसाई प्रकाशनों में अल्लाह शब्द का इस्तेमाल प्रतिबंधित था.
कई मलय-भाषी ईसाई कहते हैं कि इस शब्द का उपयोग देश में सदियों से किया जा रहा है, खासतौर पर मलेशिया के बोर्नियो द्वीप पर. आयरलैंड के वकील के मुताबिक अदालत ने बुधवार को फैसला दिया की कि संविधान ने आयरलैंड को समानता का अधिकार दिया है और वह शिक्षा और धर्म का पालन करने के लिए प्रकाशनों को आयात करने की हकदार थीं.
उन्होंने कहा, "कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि गृह मंत्रालय द्वारा 1986 का निर्देश...गैरकानूनी और असंवैधानिक था."हालांकि गृह मंत्रालय ने कोर्ट के इस फैसले पर तुरंत टिप्पणी नहीं दी. 2015 में मलेशिया के सर्वोच्च न्यायालय कैथोलिक चर्च द्वारा एक ईसाई प्रकाशन में "अल्लाह" शब्द का इस्तेमाल करने की अपील को खारिज कर दिया था, क्योंकि एक ट्रिब्यूनल ने कहा था कि यह शब्द बहुसंख्यक मलय मुस्लिमों द्वारा ही इस्तेमाल किया जा सकता है. 2010 की जनगणना के अनुसार ईसाई मलेशिया की आबादी का लगभग नौ फीसदी हिस्सा हैं.
एए/सीके (रॉयटर्स)
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