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फ्रांस में कट्टरपंथ रोकने के लिए नया कानून क्यों चाहिए

१७ फ़रवरी २०२१

फ्रांस की संसद के निचले सदन ने देश को कट्टरपंथ से बचाने और फ्रांसीसी मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए भारी बहुमत से एक नया बिल पास कर दिया है. बीते कुछ सालों में कट्टरपंथ फ्रांस के लिए एक बड़ी समस्या बन के उभरी है.

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Frankreich | Religion | Religiöse Symbole
तस्वीर: Fred de Noyelle/Godong/picture alliance

 इस नए बिल के कानून बन जाने के बाद फ्रांस में मस्जिदों, मदरसों और स्पोर्ट्स क्लबों की निगरानी बढ़ जाएगी.फ्रांस की सरकार इसी कट्टरपंथ से मुकाबले के लिए एक नया बिल लेकर आई है. दो हफ्ते तक व्यापक रूप से बहस करने के बाद सरकार ने यह बिल 151 के मुकाबले 347 मतों से पास किया. 65 सांसद इस दौरान गैरहाजिर रहे. लंबे समय से इस बिल को लेकर देश में चर्चा चल रही है और अब इसने कानून बनने की राह में पहली बाधा पार कर ली है.

फ्रांस में चरमपंथी हमले और सैकड़ों लोगों के सीरिया के युद्ध में शामिल होने के लिए जाने के साथ ही माली में चरमपंथियों से लड़ते हजारों सैनिकों को देखने के बाद इस बात में कोई संदेह नहीं कि कट्टरपंथ देश के लिए कितना बड़ा खतरा बन रहा है. हालांकि आलोचक इसे राष्ट्रपति माक्रों की मध्यमार्गी पार्टी के लिए राजनीतिक कदम मान रहे हैं. फ्रांस में अगले साल राष्ट्रपति चुनाव होने हैं.

Frankreich Demonstration und Solidaritätskundgebung für getöteten Lehrer in Paris
तस्वीर: Michel Euler/AP Photo/picture-alliance

सैमुअल पैटी

"सपोर्टिंग रेसपेक्ट फॉर द प्रिंसिपल्स ऑफ द रिपब्लिक" यानी गणराज्य के सिद्धांतों के सम्मान को समर्थन नाम के इस बिल में फ्रांसीसी जीवन के ज्यादातर पहलुओं को शामिल किया गया है. मुसलमान, कुछ सांसद और कुछ दूसरे लोग हालांकि इसका विरोध कर रहे हैं. उन्हें डर है कि इस बिल के जरिए  सरकार लोगों की आजादी में दखल दे रही है और इस्लाम पर उंगली उठा रही है जो फ्रांस का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है. इस कानून ने संसद के निचले सदन की बाधा तो पार कर ली है जहां माक्रों की पार्टी बहुमत में है लेकिन इसे अभी रूढ़िवादी पार्टी के बहुमत वाली सीनेट से गुजरना है. वहां का रास्ता इतना आसान नहीं होगा. सीनेट में यह बिल 30 मार्च के बाद ही आएगा.

बीते साल अक्टूबर में पेरिस में एक टीचर की हत्या और फिर नीस के चर्च पर हुए हमले में तीन लोगों की मौत के बाद इस कानून को सरकार जरूरी बताने लगी. इस कानून की एक धारा जान बूझ कर किसी के बारे में निजी जानकारी दे कर उसकी जान को खतरे में डालने को आपराधिक बना देगी. इसे "पैटी लॉ" कहा जा रहा है जो स्कूल टीचर सैमुअल पैटी के नाम पर है. सैमुअल पैटी के बारे में एक वीडियो में जानकारी दी गई थी. उन्होंने स्कूल में बच्चों को पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाया था. इसके बाद उनका सिर काट कर उनकी हत्या कर दी गई.

नए कानून के बिल पर राजनीति

Frankreich Konferenz zur Bekämpfung des Terrors in der Sahelzone - Paris Emmanuel Macron
फ्रांस में अगले साल राष्ट्रपति चुनाव होने हैं. तस्वीर: Francois Mori/dpa/picture alliance

सरकार का मानना है कि इस बिल के कानून बनने के बाद फ्रांस में चरमपंथ से लड़ने की सरकार की कोशिशें मजबूत होंगी. हालांकि विरोध करने वाले कह रहे हैं कि जिन उपायों की बात हो रही है वो मौजूदा कानूनों में शामिल हैं. कुछ लोगों का मानना है कि इस बिल के पीछे राजनीतिक मंशा छुपी हुई है. मंगलवार को वोटिंग से कुछ दिन पहले गृहमंत्री गेराल्ड डारमानी ने टीवी पर हुई बहस के दौरान धुर दक्षिणपंथी नेता मारीन ले पेन पर कट्टरपंथी इस्लाम के प्रति "नरम" रहने का आरोप लगाया. डारमानी ने यह भी कहा कि ले पेन को विटामिन लेने की जरूरत है. इस बयान का मकसद यह बताना था कि मौजूदा सरकार धुर दक्षिणपंथियों के मुकाबले इस्लामी कट्टरपंथियों से निपटने में ज्यादा सख्ती दिखा रही है. हालांकि ली पेन ने बिल को बहुत कमजोर बताया और इसके बदले अपनी तरफ से नया बिल लाने की बात कही. ली पेन ने 2022 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी पेश की है. 2017 में वह माक्रों से हार गई थीं.

ली पेन की नेशनल रैली पार्टी के उपाध्यक्ष ने बीएपएम टीवी से कहा कि बिल, "अपने लक्ष्य से चूक गया" क्योंकि यह कट्टरपंथी इस्लाम की सोच पर हमला नहीं करता है. बिल में मुसमान या इस्लाम का नाम नहीं लिया गया है. इसके समर्थकों का कहना है कि सरकार इसे कट्टरपंथ के खिलाफ लेकर आई है जो फ्रांसीसी मूल्यों को खत्म कर रहा है, खासतौर से धर्मनिरपेक्षता और लैंगिक समानता को, जो देश की बुनियादी उसूल हैं. राष्ट्रपति माक्रों का मानना है कि कट्टरपंथी फ्रांस में एक "विपरीत समाज" बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

बिल का ड्राफ्ट तैयार करने से पहले सभी धर्मों के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श किया गया. फ्रांस में मुसलमानों के संगठन फ्रेंच काउंसिल फॉर मुस्लिम फेथ ने भी इसे समर्थन दिया है.

Frankreich Nizza | Polizisten kontrollieren Passanten
तस्वीर: Louai Barakat/Imageslive/Zuma/picture alliance

यह बिल वर्जिनिटी सर्टिफिकेट यानी कुआंरेपन के प्रमाणपत्र पर भी रोक लगाएगा ताकि बहुविवाह और जबरन विवाह जैसी कुरीतियां किसी खास धर्म से जुड़ी ना रहें. इसके साथ ही बिल में यह भी प्रावधान है कि बच्चे तीन साल की उम्र में नियमित स्कूल शुरू कर दें. सरकार मानती है कि होम स्कूल के माध्यम से बच्चों को धार्मिक विचारों की शिक्षा दी जाती है और जिसे रोकने की मंशा है. किसी सरकारी कर्मचारी को धमकी देने वाले को जेल की सजा हो सकती है. इसे भी सैमुअल पैटी से जोड़ कर देखा जा रहा है. अगर किसी कर्मचारी को धमकी मिली है तो उसके बॉस को तुरंत इस पर कार्रवाई करनी होगी बशर्ते कर्मचारी इसके लिए सहमत हो.

मुस्लिम संस्थाओं पर नजर

बिल में एक प्रावधान मस्जिदों और उन्हें चलाने वाली संस्थाओं के लिए यह सुनिश्चित करने का भी है कि उन्हें किसी विदेशी हितों या फिर घरेलू सलाफियों के इस्लाम की कठोर व्याख्या के तहत नहीं चलाया जा रहा है. संस्थाओं को इसके लिए करार पर दस्तखत करने होंगे कि वो फ्रांसीसी मूल्यों का सम्मान करेंगे और अगर कहीं इसका उल्लंघन हुआ तो सरकारी धन वापस करेंगे. बिल में बताए बदलावों को शामिल करने के लिए फ्रांस को 1905 में बने एक कानून में थोड़ा सुधार करना होगा जो चर्च और सरकार के बीच अंतर सुनिश्चित करता है.

कुछ मुसलमानों का कहना है कि उन्हें संदेह के वातावरण की गंध आ रही है. पेरिस की ग्रैंड मॉस्क में शुक्रवार की नमाज के लिए आए टैक्सी ड्राइवर बाहरी अयारी का कहना है, "थोड़ा संदेह है, एक मुसलमान, मुसलमान होता है बस. हम कट्टरपंथियों की बात करते हैं जिन्हें मैं नहीं जानता. एक ग्रंथ है, एक पैगंबर हैं और पैगंबर ने हमें सिखाया है." जिन कट्टरपंथियों को सजा हुई उनके बारे में वह कहते हैं, उनका अपराध है, "इस्लाम को पीछे छोड़ना, वो मुसलमान नहीं हैं."

एनआर/एके (एपी)

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