आंतरिक सुरक्षा में कितना बड़ा खतरा हैं रोहिंग्या?
४ जून २०१८केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर समेत सभी राज्य सरकारों को अवैध आप्रवासियों को रोकने के निर्देश दिए हैं. इन आप्रवासियों में म्यांमार से आने वाले रोहिंग्या भी शामिल हैं. गृह मंत्रालय ने इस संबंध में जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव समेत अन्य राज्यों को चिट्ठी लिखी है. मंत्रालय ने राज्य सरकारों से इस मामले की जल्द से जल्द समीक्षा करते हुए जानकारी साझा करने को कहा है. इस चिट्ठी में रोहिंग्या और अन्य विदेशी आप्रवासियों को लेकर गहरी चिंता जताई गई है, जो गैरकानूनी ढंग से जम्मू कश्मीर समेत भारत के अन्य इलाकों में रह रहे हैं.
मंत्रालय के मुताबिक, "गैरकानूनी ढंग से रह रहे ये आप्रवासी सुरक्षा व्यवस्था के लिए चुनौती साबित हो सकते हैं." मंत्रालय ने कहा, "ऐसी भी खबरें मिली हैं कि कई रोहिंग्या और अन्य विदेशी लोग अपराध, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों, मनी लॉड्रिंग, फर्जी दस्तावेज तैयार करने जैसे कामों में शामिल हैं.
इनमें से कई फर्जी पैन कार्ड और वोटर कार्ड के साथ देश में रह रहे हैं. इनमें ज्यादातर लोगों ने गैर-कानूनी ढंग से देश में प्रवेश किया है. इसलिए हमें पहले से कहीं ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है."
गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को दिए निर्देशों में कहा है:
- निर्धारित जगहों पर ही इन्हें रखा जाए. इनकी गतिविधियों और कामकाज पर पुलिस और खुफिया एजेंसियां सख्त निगरानी रखें.
- इन सभी की निजी जानकारी का ब्यौरा रखा जाए. इसमें नाम, जन्मतिथि, सेक्स, जन्मस्थान, राष्ट्रीयता आदि की जानकारी शामिल होनी चाहिए.
- अवैध ढंग से रह रहे रोहिंग्या समेत अन्य गैरकानूनी आप्रवासियों का बायोमैट्रिक परीक्षण भी किया जाना चाहिए, ताकि ये भविष्य में अपनी पहचान न बदल सकें.
- इसके साथ ही ये सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी रोहिंग्या शरणार्थी को आधार कार्ड या अन्य कोई दस्तावेज न जारी किए जाए.
- रोहिंग्या समेत विदेशी शरणार्थियों का निजी डाटा म्यांमार सरकार के साथ साझा किया जाए ताकि इनकी राष्ट्रीयता का सही पता चल सके. रोहिंग्या आतंकवादियों ने किया हिंदुओं का नरसंहार: रिपोर्ट
भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या लोग रहते हैं. इस साल जनवरी में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि भारत "दुनिया की शरणार्थी राजधानी" नहीं बन सकता. इस मामले में दो रोहिंग्या शरणार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर भारत की नागरिकता समेत अन्य अधिकारों की मांग की थी. करीब छह महीने पहले भी केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी राज्यों से इस मसले पर सतर्कता बरतने की अपील की थी.