रोहिंग्या आतंकवादियों ने किया हिंदुओं का नरसंहार
२३ मई २०१८रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 अगस्त 2017 को रोहिंग्या आतंकियों ने यह नरसंहार किया. इसी दिन रोहिंग्या आतंकियों ने पुलिसनाकों पर हमला किया और देश में संकट फैल गया. जवाबी कार्रवाई में म्यांमार की सेना ने रोहिंग्या विद्रोहियों के ठिकानों पर छापे मारे, जिसके चलते करीब सात लाख रोहिंग्या मुसलमानों को बौद्ध देश म्यांमार से भागना पड़ा. संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार सेना की कार्रवाई को "जातीय हिंसा" करार दिया था. साथ ही सैनिकों और हिंसक भीड़ पर नागरिकों की हत्या और गांवों को जलाने का आरोप लगाया था. लेकिन एमनेस्टी की रिपोर्ट रोहिंग्या मुसलमानों पर भी उत्पीड़न का आरोप लगाती है.
इसमें रखाइन के इलाके में हिंदुओं के जनसंहार की बात शामिल है. यह वही इलाका है जहां सेना मीडिया को कब्र में सड़ गई लाशों को निकालने की कार्रवाई दिखाने भी ले गई थी.
उस वक्त रोहिंग्या आतंकवादी संगठन, अराकान रोहिंग्या सैल्वेशन आर्मी (एआरएसए) ने इन हत्याओं की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया था. लेकिन मानवाधिकार संस्था ने अपनी जांच रिपोर्ट में पुष्टि करते हुए कहा है कि इस संगठन ने हिंदुओं को मारा था, जिसमें ज्यादातर बच्चे शामिल थे. ये हत्याएं उत्तरी माउंगदा के गांवों में हुई थी.
संस्था ने इस क्षेत्र के लोगों से की गई बातचीत के हवाले से कहा है कि यहां दर्जनों लोगों की आंखों पर पट्टी बांधकर नकाबपोश लोग और सादे कपड़े में आए रोहिंग्या, हिंदुओं को शहर से बाहर ले गए. 18 साल की राजकुमारी ने एमनेस्टी को बताया, "उन्होंने आदमियों की हत्या कर दी और हमसे कहा कि हम उस ओर न देखें. उन लोगों के पास चाकू थे और लोहे की रॉडें भी." उसने बताया कि उसने झाड़ियों में छिपकर अपने पिता, भाई और चाचा की हत्या होते हुए देखी थी.
रोहिंग्या लोगों को चुभती रमजान की यादें
संकट से पहले उत्तरी रखाइन मुस्लिम और बौद्ध बहुल इलाका माना जाता था और यहां हिंदु समुदाय अल्पसंख्यक था. माना जाता है हिंदु समुदाय के इन लोगों को ब्रिटिश हुकूमत सस्ती मजदूरी के चलते यहां ले आई थी. रखाइन प्रांत में हिंदू समुदाय के नेता नी माउल ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "अब ये हत्यारे बांग्लादेश भाग गए हैं." उन्होंने कहा, "इस मामले के कई गवाह हैं लेकिन हमें कोई न्याय नहीं मिला है. लोगों को इन हत्याओं के बारे में बताने में कोई दिलचस्पी नहीं है, बल्कि रोहिंग्या लोगों पर अत्याचार को वे तवज्जो देते हैं."
रोहिंग्या मामले पर म्यांमार सरकार की दुनिया भर में आलोचना होती रही है. लेकिन म्यांमार सरकार रोहिंग्या लोगों के खिलाफ किसी भी भेदभाव और हिंसा से इनकार करती रही है.
एए/आईबी (एएफपी)