2025 तक बाल श्रम खत्म करना बड़ी चुनौती
२९ जनवरी २०२१2025 तक बाल श्रम पर रोक लगाने का लक्ष्य वैश्विक वास्तविकताओं से परे नजर आता है. बाल मजदूरी करने वाले बच्चे बदतर गरीबी और हाशिए पर धकेले जा सकते हैं. शिक्षाविदों के एक समूह ने अधिक यथार्थवादी लक्ष्यों के लिए आग्रह किया है. पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र ने साल 2021 को बाल श्रम उन्मूलन के अंतरराष्ट्रीय वर्ष के रूप में मनाने की शुरूआत की है. यूएन का कहना है कि इस दिशा में तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है क्योंकि कोविड-19 के कारण अधिक बच्चे खतरे में आते दिख रहे हैं और सालों की प्रगति संकट में पड़ती दिख रही है.
शिक्षाविदों के मुताबिक उद्देश्य महामारी के पहले भी अवास्तविक था. कोरोना महामारी ने स्कूली शिक्षा को बाधित किया और इस दौरान दुनिया भर के लाखों बच्चों के लिए मुसीबतें बढ़ी हैं. ओपन डेमोक्रेसी द्वारा प्रकाशित एक खुले खत में 101 प्रोफेसरों और शोधकर्ताओं ने हस्ताक्षर किए हैं. उन्होंने खत में लिखा, "उन्हें काम से हटाने से कोई मदद नहीं मिलने वाली है और टूटी हुई जिंदगी को संवारने के लिए उन्होंने जो काम किया वह उन्हें गहरी भुखमरी की ओर ले जाता है."
शिक्षाविदों का कहना है कि इसके बजाय ऐसी नीतियां बनाई जानी चाहिए जो काम करने वाले बच्चों और उनके परिवारों को विभिन्न अनुभवों और इससे निपटने में मदद कर सके. साथ ही वैज्ञानिक अनुसंधान की भी उन्होंने सिफारिश की है. ट्रॉनहैम में नार्वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर ततेक अबेबे के मुताबिक, "बाल श्रम के उन्मूलन का वर्तमान वैश्विक प्रयास गोरे, पश्चिमी, मध्यम वर्ग के बचपन के आदर्श के अनुभवों पर आधारित है."
हस्ताक्षर करने वालों में अबेबे भी शामिल हैं. वे कहते हैं, "यह इस विश्वास पर आधारित है कि बच्चों को स्कूल जाना चाहिए और उन्हें मजदूरी नहीं करनी चाहिए. हालांकि सच्चाई यह है कि दुनिया के अधिकांश हिस्सों में बच्चों का जीवन श्रम-मुक्त नहीं है." खत में कहा गया है कि उपयुक्त कार्य शैक्षिक लाभ ला सकता है और इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
खत में दीर्घकालिक रणनीतियों को अपनाने के लिए कहा गया है जिनमें हानिकारक बाल श्रम को खत्म करने के तरीकों में सुधार करना शामिल है और बाल मजदूरी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के प्रयासों के बजाय बच्चों की हालत सुधारने पर जोर देने को कहा गया है.
एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
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