किम के न्योते पर उत्तर कोरिया जाएंगे पुतिन
१४ सितम्बर २०२३किम जोंग उन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को उत्तर कोरिया आने का न्योता दिया है. उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया और रूसी राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक पुतिन ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है. फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पुतिन दुर्लभ मौकों पर ही देश से बाहर गए हैं.
बख्तरबंद ट्रेन से चार साल बाद रूस पहुंचे किम
पूर्वी रूस के शहर व्लादिवोस्तोक में मुलाकात के दौरान पुतिन और किम दोनों एक दूसरे को "कामरेड" कहकर पुकार रहे थे. बुधवार को रूस के सबसे आधुनिक स्पेस लॉन्च परिसर में दोनों नेताओं ने बातचीत की. लजीज पकवानों के बीच रूसी वाइन का जाम टकराते हुए किम ने पश्चिम के साथ युद्ध में "महान रूस" की जीत का संदेश दिया. इस दौरान दोनों देशों के रक्षा मंत्री भी थे.
मुलाकात के दौरान 70 साल के पुतिन और 39 साल के किम ने एक दूसरे को तोहफे में एक-एक राइफल भी दी. पुतिन ने अंतरिक्षयात्रियों के सूट का दस्ताना भी किम को गिफ्ट किया. क्रेमलिन के मुताबिक इन तोहफों से किम बहुत खुश हुए.
पुतिन-किम की जोड़ी एक नई मुसीबत
अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने मॉस्को और प्योंग्यांग की इस बढ़ती नजदीकी पर चिंता जताई है. आशंका है कि उत्तर कोरिया रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए हथियार दे सकता है और इसके बदले पुतिन, किम को संवेदनशील मिसाइल टेक्नोलॉजी ट्रांसफर कर सकते हैं.
गुरुवार को किम, रूसी शहर कोम्सोमोल्स्क ऑन आमूर की एक मिलिट्री व सिविल एविएशन फैक्ट्री में गए. पुतिन के मुताबिक उत्तर कोरियाई शासक ने व्लादिवोस्तोक में रूसी नौसेना का प्रशांत बेड़ा भी देखा.
किम ने लॉन्च की न्यूक्लीयर अटैक पनडुब्बी
अभी यह साफ नहीं है कि पुतिन उत्तर कोरिया की कितनी मांगें पूरी करेंगे. रूस खुद भी दुनिया में हथियारों का बड़ा विक्रेता है. यूक्रेन युद्ध के चलते उसने गोला बारूद का उत्पादन बढ़ाया है. इसके बावजूद उत्तर कोरिया की सप्लाई लाइन मॉस्को के लिए मददगार साबित हो सकती है. बीते कई दशकों से युद्ध के लिए रेडी रहने वाले उत्तर कोरिया के पास गोला बारूद और रॉकेटों का बड़ा जखीरा है. सोवियत संघ से नजदीकी के कारण उसके कई हथियार रूसी सेना के लिए आसान भी माने जाते हैं.
किम से मुलाकात कर क्या संदेश दे रहे हैं पुतिन
1948 में अस्तित्व में आए उत्तर कोरिया को सोवियत संघ का सहारा मिलता रहा. शीत युद्ध के दौरान भी मॉस्को ने प्योंग्यांग की खूब मदद की. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद ये समर्थन गुम हो गया. हाल के बरसों में उत्तर कोरिया पर सबसे ज्यादा असर चीन का दिखता है. उत्तर कोरिया के शासक मॉस्को और बीजिंग के साथ रिश्तों में समान संतुलन रखने की खूब कोशिश करते हैं.
पुतिन आज तक सिर्फ एक बार बतौर राष्ट्रपति उत्तर कोरिया गए हैं. साल 2000 के उस दौरे में पुतिन ने किम जोंग उन के पिता और तत्कालीन शासक किम जोंग इल से मुलाकात की थी. लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद से दोनों देश बड़ी तेजी से करीब आए हैं.
परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम के चलते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया पर कई प्रतिबंध लगाए हैं. किम और पुतिन की मुलाकात के दौरान जब क्रेमलिन के प्रवक्ता से पूछा गया कि क्या रूस इन प्रतिबंधों को अपने स्तर पर हटाएगा? इसके जवाब में दिमित्री पेशकोव ने कहा कि रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक जिम्मेदार सदस्य है. इसके बाद उन्होंने कहा कि रूस अपने हितों के मुताबिक उत्तर कोरिया से रिश्ते बढ़ाएगा.
ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी)