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आतंकवादयूरोप

फिर से इस्लामिक स्टेट के निशाने पर क्यों हैं जर्मनी और यूरोप

क्रिस्टॉफ हाजेलबाख
३० अगस्त २०२४

जर्मनी के जोलिंगन शहर में हुआ हमला इस्लामिक स्टेट से जुड़ी नई हिंसक घटनाओं का उदाहरण है. विशेषज्ञों का कहना है कि मध्य-पूर्व में हो रहे घटनाक्रम के कारण इस्लामिक स्टेट एक बार फिर से जर्मनी और यूरोप को निशाना बना रहा है.

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जोलिंगन में हुआ हमला हाल के हफ्तों में पूरे यूरोप में इस्लामी हमलों और हमलों के प्रयासों की पूरी श्रृंखला में से एक था
जोलिंगन में हुआ हमला हाल के हफ्तों में पूरे यूरोप में इस्लामी हमलों और हमलों के प्रयासों की पूरी श्रृंखला में से एक थातस्वीर: Sascha Schuermann/Getty Images

जर्मनी के जोलिंगन शहर में 23 अगस्त को 'फेस्टिवल ऑफ डायवर्सिटी' उत्सव के दौरान चाकू से हुए हमले में तीन लोगों की मौत हो गई और आठ लोग घायल हो गए. आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. आईएस के मुखपत्र अमाक के मुताबिक, यह हमला ‘फलस्तीन और अन्य जगहों के मुसलमानों के लिए बदला है' और इसमें ‘ईसाइयों के एक समूह' को निशाना बनाया गया था.

थॉमस मुके ने डीडब्ल्यू को बताया, "चरमपंथी मध्य-पूर्व में चल रहे संघर्ष का इस्तेमाल अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए कर रहे हैं.” मुके हिंसा की रोकथाम के लिए बने नेटवर्क (वीपीएन) के लिए काम करते हैं. यह संगठन चरमपंथ को रोकने और हिंसक अपराधियों को कट्टरपंथ से दूर करने के लिए काम करता है.

जोलिंगन हमले के आरोपी 26 साल के सीरियाई को अदालत में पेश करने ले जाती जर्मन पुलिस
जोलिंगन हमले के आरोपी 26 साल के सीरियाई को अदालत में पेश करने ले जाती जर्मन पुलिस तस्वीर: Heiko Becker/REUTERS

7 अक्टूबर, 2023 को हमास ने कई इस्राएली नागरिकों को मार डाला था, जिसके जवाब में इस्राएल ने गाजा पट्टी पर हमला किया. इसके बाद से, मुके ने 2022 की तुलना में पश्चिमी यूरोप में हमले और हमले के प्रयासों की संख्या में चार गुना वृद्धि देखी है.

जोलिंगन में हुआ हमला हाल के हफ्तों में पूरे यूरोप में इस्लामी हमलों और हमलों के प्रयासों की पूरी श्रृंखला में से एक था. हालांकि, हर बार यह स्पष्ट नहीं होता है कि इन हमलों के पीछे आईएस का हाथ है.

जोलिंगन में हुए हमले के दिन, दक्षिणी फ्रांस के ला ग्रांद मोट्टे में एक यहूदी उपासनागृह के बाहर दो कारों में विस्फोट हुआ था.

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ऑस्ट्रियाई अधिकारियों ने अगस्त की शुरुआत में वियना में अमेरिकी गायिका टेलर स्विफ्ट के दो संगीत कार्यक्रमों से कुछ समय पहले दो संदिग्ध आईएस समर्थकों को गिरफ्तार किया था. ऑस्ट्रियाई सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक, मुख्य संदिग्ध उत्तरी मैसेडोनियन मूल का 19 वर्षीय ऑस्ट्रियाई था. उसने अपनी गिरफ्तारी के समय कहा कि वह ‘खुद को और लोगों के एक बड़े समूह को मारना चाहता था.' इस गिरफ्तारी के बाद संगीत कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था.

मई के आखिर में, मानहाइम शहर में रैली के दौरान चाकू से हुए हमले में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई थी और पांच अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. हमलावर 25 साल का एक अफगान युवक था. यह हमला इस्लाम के आलोचक समूह ‘पैक्स यूरोपा' के अध्यक्ष को निशाना बनाकर किया गया था. हालांकि, इस मामले में आईएसआईएस से कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया, लेकिन जांचकर्ताओं ने इसे ‘धार्मिक रूप से प्रेरित' बताया.

इस हमले के मद्देनजर, जर्मनी और फ्रांस दोनों जगहों पर अधिकारियों ने यूरोपीय फुटबॉल चैंपियनशिप और पेरिस ओलंपिक खेलों के दौरान आईएस की हिंसा के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की थी. हालांकि, ये दोनों कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गए और कोई बड़ी घटना नहीं हुई, लेकिन ऐसा शायद सिर्फ सख्त सुरक्षा उपायों और सीमा पर कड़ी निगरानी की वजह से हुआ.

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अधिकारियों ने 7 अक्टूबर, 2023 से पश्चिमी यूरोप में सात हमलों और हमलों के प्रयास के 21 मामले दर्ज किए हैं. मुके को लगता है कि यह वृद्धि आश्चर्यजनक नहीं है. वह कहते हैं, "आईएस ने पश्चिमी यूरोप में हमला करने का लक्ष्य बनाया है. उनका इरादा आतंक और डर फैलाने के साथ-साथ समाज को विभाजित करने का है, ताकि वे अपने मकसद के लिए ज्यादा लोगों की भर्ती कर सकें.”

हालांकि, हाल के समय में आईएस ने सबसे बड़ा हमला पश्चिमी यूरोप में नहीं, बल्कि रूस में किया है. यहां मार्च 2024 में मास्को के एक कॉन्सर्ट हॉल पर हुए आतंकवादी हमले में 140 से ज्यादा लोग मारे गए थे. हमले के बाद अमाक ने बताया, "इस्लामिक स्टेट के सैनिकों ने ईसाइयों की एक बड़ी सभा पर हमला किया, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए और घायल हुए.”

इंटरनेट के जरिए फैलाया जा रहा कट्टरपंथ

यह आतंकवादी संगठन 10 साल पहले पूरी दुनिया में तब चर्चा में आया, जब इसके तत्कालीन नेता अबू बकर अल-बगदादी ने मध्य-पूर्व और इसके आसपास के इलाकों में ‘खिलाफत' की स्थापना की घोषणा की. अगले साल आईएस का दबदबा काफी बढ़ गया. इसने सीरिया और इराक के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया. क्रूर हत्याओं और सिर कलम करने के वीडियो ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर पोस्ट किए गए.

मुके ने कहा, "आईएस इंटरनेट पर प्रचार के जरिए लगातार ऐसे हमलों को अंजाम देने का आह्वान कर रहा है. साथ ही, इस बारे में भी बता रहा है कि हमले कैसे किए जाएं. जैसे, हर जगह काफिरों को मारने के लिए कारों का इस्तेमाल करना.”

2016 में बर्लिन के क्रिसमस बाजार में इसी तरीके से भयावह हमला किया गया था. इसमें आईएस समर्थक ने बाजार में एक ट्रक घुसा दिया था, जिसमें 12 लोग मारे गए थे.

2019 तक, कई लोगों का मानना था कि मध्य-पूर्व में आईएस को सैन्य रूप से पराजित कर दिया गया है. यूरोप में भी आईएस के हमलों में कमी देखने को मिली थी. हालांकि, हमलों की नई घटनाओं के साथ जिहादवाद फिर से वापस आता दिख रहा है.

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मुके का कहना है कि अपराधियों में ज्यादातर युवा शामिल हैं. पश्चिमी यूरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों में से दो-तिहाई किशोर हैं. इन युवाओं को आकर्षित करने के तरीके भी उनकी उम्र के हिसाब से तैयार किए गए हैं. उन्होंने बताया, "इंटरनेट कट्टरपंथ और लामबंदी के साथ-साथ भर्ती में भी प्रमुख भूमिका निभाता है.”

कट्टरपंथ का तुरंत पता लगाने की कोशिश

विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में ऐसी घटनाओं में कमी होने की संभावना काफी कम है. 7 अक्टूबर, 2023 से मध्य-पूर्व में संघर्ष बढ़ना, आने वाले समय में आतंकी घटनाओं को बढ़ा सकता है.

जर्मनी की गृह मंत्री नैंसी फेजर कई इलाकों में चाकू ले जाने पर पाबंदी लगाने जैसी योजना पर विचार कर रही हैं. हालांकि, कई विशेषज्ञों को लगता है कि यह ज्यादा फायदेमंद नहीं होगा. उनके मुताबिक, जो व्यक्ति लोगों को चाकू से मारने का इरादा रखता है वह इस तरह की पाबंदी से शायद ही घबराएगा.

इसके बावजूद, थॉमस मुके के पास उम्मीद की एक किरण बाकी है. वह कहते हैं, "7 अक्टूबर से, काउंसलिंग हॉटलाइन पर कॉल की संख्या कई गुना बढ़ गई है. इससे हमें वह जानकारी मिलती है जिसकी मदद से हम शुरुआती दौर में ही कट्टरपंथ को रोकने की कोशिश कर सकते हैं.”

उन्होंने कहा, "ज्यादातर अपराधी युवा हैं और यह भी एक अवसर है. मैं इस बात पर भरोसा कर रहा हूं कि जो लोग कट्टरपंथी बन जाते हैं, उनके चरित्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव आएगा और यह उनके आसपास के लोगों द्वारा देखा जाएगा.”

वह आगे बताते हैं, "सबसे अहम बात यह है कि इन बदलावों की जितनी जल्दी हो सके रिपोर्ट की जाए, सहायता और समर्थन मांगा जाए. इसकी वजह यह है कि हर चरमपंथी समुदाय विशेष रूप से युवा पीढ़ी को आकर्षित करने और भर्ती करने का प्रयास करता है. वे अगली पीढ़ी हैं. यहीं पर हमारे पास अभी भी चरमपंथ और आतंकवाद पर लगाम लगाने का सबसे अच्छा मौका है.”