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जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन ने ईरान से की हमला ना करने की अपील

१२ अगस्त २०२४

इस्राएल और ईरान समर्थित गुटों के बीच गहराते तनाव में जर्मनी ने संघर्षविराम पर सहमति बनाने की अपील की है. जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन ने एक साझा बयान जारी कर ईरान और उसके सहयोगियों से इस्राएल पर हमला ना करने को कहा.

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फोन पर बात करते जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स. सांकेतिक तस्वीर.
शॉल्त्स ने जोर दिया कि "बदले की कार्रवाई में की जा रही हिंसा के घातक चक्र को रोकने, तनाव घटाने और लड़ाई की तीव्रता को कम करने के लिए रचनात्मक तरीके से काम किए जाने" की जरूरत है.तस्वीर: Michael Kappeler/dpa/picture alliance

जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने मध्यपूर्व में क्षेत्रीय युद्ध की आशंकाओं पर चिंता जताई है. शॉल्त्स ने इस संबंध में 11 अगस्त को इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू से फोन पर बात की.

जर्मन सरकार के एक प्रवक्ता ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि चांसलर ने ईरान और हिज्बुल्लाह समेत अन्य क्षेत्रीय शक्तियों की ओर से इस्राएल और उसके नागरिकों की सुरक्षा के खिलाफ पेश किए जा रहे खतरों की निंदा की. शॉल्त्स ने जोर दिया कि "बदले की कार्रवाई में की जा रही हिंसा के घातक चक्र को रोकने, तनाव घटाने और लड़ाई की तीव्रता को कम करने के लिए रचनात्मक तरीके से काम किए जाने" की जरूरत है.

शॉल्त्स ने दोहराया कि गाजा में संघर्षविराम और इस्राएली बंधकों की रिहाई से जुड़े समझौते को निर्णायक रूप देने का समय आ गया है. 7 अक्टूबर को इस्राएल पर हमास के हमले से शुरू हुए संघर्ष पर टिप्पणी करते हुए शॉल्त्स ने कहा कि इस लड़ाई में "कई सैन्य लक्ष्यों" को हासिल कर लिया गया है, लेकिन गाजा में बहुत बड़े स्तर पर लोगों की तकलीफें बनी हुई हैं.

आम जनता के साथ संवाद से जुड़े एक कार्यक्रम में बोलते हुए जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स.
जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन ने बिना देर किए इस्राएल और हमास के बीच लड़ाई खत्म करने की साझा अपील जारी की. तीनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने बयान में कहा, "लड़ाई अब खत्म होनी ही चाहिए और हमास के पास अब भी जो बंधक हैं, उन्हें रिहा किया जाना चाहिए." तस्वीर: Jens Krick/Flashpic/picture alliance

ईरान समर्थित गुटों की ओर से हमले का अंदेशा

बीते दिनों हमास के नेता इस्माइल हानियेह और हिज्बुल्लाह के सैन्य प्रमुख फुआद शुक्र की हत्या के बाद इस्राएल और ईरान समर्थित समूहों के बीच तनाव काफी बढ़ गया है. ईरान, हमास और हिज्बुल्लाह ने इस्राएल से बदला लेने की चेतावनी दी है. यमन, इराक और सीरिया में ईरान से समर्थन पाने वाले गुट पहले ही हमास और इस्राएल के बीच जारी लड़ाई में उतर चुके हैं.

ऐसे में मध्यपूर्व में जारी संघर्ष के और फैलने और तेज होने की आशंका है. कई देशों ने अपने नागरिकों से लेबनान छोड़ने की अपील की है. भारत ने भी अपने नागरिकों को एहतियात बरतने की सलाह दी है. बीते दिनों भारतीय एयरलाइंस कंपनी एयर इंडिया ने तेल अवीव के लिए विमान सेवाएं स्थगित करने की घोषणा की थी.

पश्चिमी देशों ने अपने नागरिकों को लेबनान से निकलने को कहा

ईरान में एक शख्स अपने हाथ में एक पोस्टर थामकर खड़ा है. पोस्टर पर (बाएं से दाएं) हमास के नेता इस्माइल हानियेह, ईरान के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की तस्वीर है.
हमास ने इस्राएल पर इस्माइल हानियेह की हत्या का आरोप लगाया है. इस्राएल ने अब तक ना तो इसमें अपनी भूमिका स्वीकार की है, ना ही इसे नकारा है.तस्वीर: Rouzbeh Fouladi/ZUMA Press/picture alliance

इस्राएल की सुरक्षा बढ़ा रहा है अमेरिका

ईरान के हमलों की आशंका को देखते हुए अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने अपने 'अब्राहम लिंकन स्ट्राइक ग्रुप' को मध्यपूर्व में जल्दी पहुंचने का निर्देश दिया है. इस स्ट्राइक ग्रुप में कई श्रेणी के लड़ाकू विमान और युद्धपोत हैं.

खबरों के मुताबिक, पिछले हफ्ते तक यह प्रशांत महासागर में तैनात था. इस्राएल की सुरक्षा को और मजबूत करने के इरादे से अमेरिका ने गाइडेड मिसाइल सबमरीन को भी इस क्षेत्र में तैनात करने की घोषणा की है.

गाजा में स्कूल पर इस्राएली हमले की निंदा

विस्फोटक स्थितियों के मद्देनजर पश्चिमी देश तनाव घटाने की कोशिशों में लगे हैं. इस बीच 10 अगस्त को इस्राएल ने गाजा में एक स्कूल परिसर पर हमला किया. इस स्कूल में फलस्तीन के करीब 6,000 विस्थापित लोग रह रहे थे. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इस हमले में कम-से-कम 90 लोग मारे गए हैं.

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इस हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हो रही है. जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने भी इस घटना की निंदा करते हुए एकबार फिर गाजा में संघर्षविराम की अपील की. जर्मन विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "गाजा से आ रही खबरें भयावह हैं. सुरक्षा पाने की कोशिश कर रहे आम लोगों की हत्या स्वीकार्य नहीं है. स्कूलों पर इस्राएली सेना के बार-बार हो रहे हमले रुकने चाहिए और इनकी जल्दी जांच होनी चाहिए."

मंत्रालय ने आगे लिखा, "इस पूरे क्षेत्र को तत्काल अमेरिका, मिस्र और कतर द्वारा प्रस्तावित संघर्षविराम और बंधकों को रिहा किए जाने की जरूरत है. तकलीफों को कम करने के इस अवसर पर अब तत्काल अमल किया जाना चाहिए." साथ ही, मंत्रालय ने आम लोगों की आड़ लेने के लिए हमास की भी आलोचना की.

संघर्षविराम की कोशिशें

12 अगस्त को जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन ने भी एक साझा बयान जारी कर ईरान और उसके सहयोगियों से इस्राएल पर हमला ना करने की अपील की है. तीनों देशों ने कहा है कि हमले से क्षेत्रीय तनाव और गहराएगा. साथ ही, संघर्षविराम और बंधकों की रिहाई पर सहमति बनाने का मौका भी प्रभावित होगा.

मध्यपूर्व में युद्ध और भड़कने से कैसे रोके अमेरिका

फलस्तीन और इस्राएल का विवाद कैसे सुलझेगा

पिछले हफ्ते अमेरिका, कतर और मिस्र ने भी इस्राएल और हमास से अपील की थी कि वे तत्काल संघर्षविराम की बातचीत शुरू करें. एक साझा बयान में तीनों देशों ने कहा कि यह वार्ता 15 अगस्त से दोहा या काहिरा में शुरू हो सकती है. तीनों देशों के नेताओं ने कहा कि संघर्षविराम का मसौदा तैयार है. बस इस समझौते पर अमल कैसे किया जाएगा, इस पर विस्तार से चीजें तय करना है.

क्या और भड़क जाएगा हिजबुल्लाह-इस्राएल संघर्ष

इस्राएल ने कहा कि वह बैठक में हिस्सा लेने के लिए अपने प्रतिनिधि भेजेगा. वहीं, हमास ने मध्यस्थों से कहा कि वे संघर्षविराम समझौते पर नई बातचीत शुरू करने की जगह पिछली वार्ताओं के आधार पर योजना पेश करें.

रॉयटर्स के मुताबिक, हमास ने अपने बयान में आरोप लगाया है कि उसने वार्ता प्रक्रिया के प्रति अपना लचीलापन दिखाया है, लेकिन इस्राएली गतिविधियां संकेत देती हैं कि वह संघर्षविराम पर समझौते के लिए गंभीर नहीं है. इस बयान में भी हमास ने इस्राएल पर इस्माइल हानियेह की हत्या का आरोप लगाया है. इस्राएल ने अब तक ना तो हानियेह की हत्या में अपनी भूमिका स्वीकार की है, ना ही इसे नकारा है.

एसएम/आरपी (एपी, रॉयटर्स, डीपीए)