ईरान में पुलिस और प्रदर्शनकारी दोनों का हथियार है तकनीक
१० नवम्बर २०२२तेहरान की लीमा और उनके दोस्तों को गिरफ्तारी, मारपीट और यहां तक कि मौत का डर सता रहा है. ईरान में ज्यादा अधिकारों और नये नेतृत्व की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल होना उनके इस डर की वजह है. हालांकि बदलाव की चाहत के साथ ही एन्क्रिप्टेड चैट से लेकर मोबाइल ऐप्स और तकनीक ने उन्हें सहारा दे रखा है.
मानवाधिकार कार्यकर्ता कहते हैं, असंतोष और प्रदर्शन को दबाने के लिए ईरान के अधिकारियों ने भी तकनीक को अपनाया है. प्रदर्शनकारियों को ट्रैक करने, विरोधियों की बात सुनने और सख्त ड्रेस कोड की अवहेलना करने वाली महिलाओं के लिए डिलीवरी ऐप्स, ट्विटर और चेहरा पहचानने वाली तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
वीपीएन का बढ़ा इस्तेमाल
टेक्सस में मियां ग्रुप में अधिकारी अजीन मोहजेरिन कहते हैं, तकनीक प्रदर्शनकारियों की लड़ाई में दोधारी तलवार बन गया है. मियां ग्रुप ईरान में अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों को मदद करती है. लीमा, 23 साल की छात्र हैं. वह सुरक्षा कारणों से अपना पूरा नाम नहीं बताना चाहतीं. वह प्रतिबंधित सोशल मीडिया साइटों, मैसेज ऐप चलाने से लेकर सुरक्षा बलों को चकमा देने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का इस्तेमाल करती हैं.
डेटा के मुताबिक कार्रवाईयों से बचने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल करने वाले ईरानियों की संख्या में रोजाना 1,000 फीसदी तक की बढ़त देखी गई है.
जवाबी कार्रवाई के लिए तकनीक का रुख
सितंबर में पुलिस हिरासत में 22 साल की कुर्द महिला महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान विरोध प्रदर्शनों की चपेट में है. प्रशासन की जवाबी कार्रवाई के तहत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ब्लॉक करना और इंटरनेट बंद करने के साथ बल प्रयोग के तरीकों को अपनाया गया.ईरानी अधिकारियों ने कहा है कि चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक का इस्तेमाल हिजाब ना पहनने वाली महिलाओं की पहचान करने और दंडित करने के लिए किया जाएगा. इसके लिए सार्वजनिक आदेश जारी किया गया था. अधिकारियों ने ऐसे चैनल भी बनाए हैं जो नागरिकों को टेलीग्राम, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्मों पर प्रदर्शनकारियों की मुखबिरी के लिए उकसाती है.
महसा अमीनी के लिए शोक मनाते लोगों पर सुरक्षा बलों ने चलाई गोलियां
पुलिस को चकमा देने के लिए तकनीक
लीमा गेरशाद नाम के एक क्राउडसोर्स ऐप का इस्तेमाल करती हैं जिससे 'अनुचित पोशाक' के लिए महिलाओं को कभी भी परेशान करने या हिरासत में ले लेने वाली मोरल पुलिस के रियल टाइम लोकेशन को ट्रैक और शेयर किया जा सकता है. लीमा ने कहा, "हम ऐप का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि हम डरे हुए हैं. सिर्फ ऐप की वजह से कई बार हम दिशा बदलने और मोरल पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहे हैं."
उन्होंने पिछले पांच महीनों में करीब एक दर्जन बार गेरशाद का इस्तेमाल किया है. ईरान में महिलाओं की मदद के लिए गेरशाद को 2016 में एक मानवाधिकार गैर-लाभकारी संगठन यूनाइटेड ने तैयार किया था. डिजिटल निगरानी बढ़ने के साथ यह पत्रकारों, कार्यकर्ताओं का पसंदीदा औजार बन गया है.
ईरान में यूनाइटेड की एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर फिरूजेह महमूदी ने कहा गेरशाद करीब 86,000 बार डाउनलोड किया जा चुका है. मोरल पुलिस को चकमा देने और पुलिसिया कार्रवाई के ठिकानों को रिपोर्ट करने के लिए यूजर्स ने इसका इस्तेमाल किया.
"ईरानी महिलाओं का समर्थन करने की जरूरत है क्योंकि मोरल पुलिस उन्हें सता और प्रताड़ित कर रही है."
वह कहती हैं, "यह एक संवेदनशील ऐप है, इसलिए कुछ लोग जब बाहर जाते हैं तो इसे फोन से हटा लेते हैं और इसके बजाय सुरक्षा बलों के स्थान को रिपोर्ट करने और देखने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि अगर इंटरनेट बंद हो, फिर कोई भी दांव नहीं चलता."
सुरक्षित टूल के इस्तेमाल पर जोर
पिछले साल ईरान सबसे ज्यादा बार इंटरनेट बंद करने वाला देश था. सुरक्षा बल ड्रेस कोड का उल्लंघन करने वाली महिलाओं और नये नेतृत्व की मांग करने वालों पर लगातार कार्रवाई कर रहे हैं. ऐसे हालात में तकनीकी विशेषज्ञों ने डिजिटल निगरानी के लिए ईरान के गुप्त अभियान के खतरे का हवाला देते हुए प्रदर्शनकारियों से बच कर रहने की गुजारिश की है.
वाशिंगटन, डी.सी. में एक अधिकार संगठन फेमेना के फाउंडर सुसान तहमासेबी कहते हैं, "इनमें से बहुत से युवा जो गिरफ्तार हो रहे हैं, मारे गये हैं, हाई स्कूल या कॉलेज के छात्र हैं और उनके पास ऑनलाइन सुरक्षित होने के बारे में जानकारी नहीं है."
सितंबर में अमेरिकी अधिकारियों ने ईरानियों की मदद के लिए उपलब्ध इंटरनेट सेवाओं की रेंज बढ़ाने के लिए गाइडलाइन जारी किया ताकि निगरानी और सेंसरशिप को दरकिनार किया जा सके. वीपीएन इस्तेमाल करने वाले यूजर पहचान छिपा सकते हैं.
ईरानी फारसी में नाहोफ्ट- या 'हिडन' का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐप बनाने में मदद करने वाले युनाइटेड के महमूदी बताते हैं, एंड्रॉयड एन्क्रिप्शन ऐप फारसी टेक्स्ट को बेतरतीब शब्दों या तस्वीर में बदल देता है जिसे मैसेजिंग ऐप पर भेजा जा सकता है.
जब से विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, 30 से 40 लाख लोगों ने हर दिन साइफन पर लॉग इन किया है, जो यूजर्स को निजी सर्वर पर इंटरनेट का इस्तेमाल करने और फेसबुक और यूट्यूब जैसी प्रतिबंधित साइटों को मॉनिटर करने की इजाजत देता है.साइफन के मीडिया मैनेजर अली तेहरानी कहते हैं, "जो टूल निगरानी रखे या खिलाफ इस्तेमाल हो उसकी बजाय लोगों को इंटरनेट से जोड़ने के लिए सुरक्षित टूल के बारे में बताना महत्वपूर्ण है."
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असली नुकसान
गैर-लाभकारी टेक फर्म कांडू की फाउंडिंग डायरेक्टर नीमा फातेमी कहती हैं, "असली नुकसान किया जा रहा है."
साइबर सुरक्षा फर्म सीइआरटीएफए के फाउंडर अमीन सबेटी ने बताया, अधिकारी सेलफोन के जरिए भी लोकेशन ट्रैक कर नागरिकों की निगरानी कर रहे हैं. वह कहते हैं, "लोगों ने विरोध प्रदर्शनों में जाते वक्त अपने मोबाइल फोन बंद करना सीख लिया है, क्योंकि मोबाइल कंपनी के लिए उनकी सटीक लोकेशन पता करना आसान है."
हिमायती समूह ताराज की फाउंडर रोया पाकजाद कहती हैं, राइड या डिलीवरी ऐप्स का इस्तेमाल महिलाओं को बताने के लिए किया जाता है कि उन्होंने सही ढंग से हिजाब नहीं पहना. एजेंट डेटा तक पहुंचने में सक्षम हैं क्योंकि निजी फर्म डेटा सुरक्षा नहीं देती.
पाकजाद ने कहा, "सरकार हमेशा महिलाओं को अलग करने की इच्छुक रही है, ताकि वे अपनी सार्वजनिक भागीदारी को नियंत्रित करें और सार्वजनिक स्थानों पर अपनी मौजूदगी को सीमित करें, इसलिए वे मामूली तकनीकी तरीकों का इस्तेमाल कर सकती है. कोई चेक और बैलेंस नहीं हैं, तकनीक के इस्तेमाल पर कोई सीमा नहीं है."
न्यूयॉर्क की मीडिया द इंटरसेप्ट के मुताबिक ग्राहक अपने फोन का इस्तेमाल कैसे करते हैं, इसे जानने, बदलने या बाधित करने के लिए ईरानी अधिकारी एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा आंदोलनों को ट्रैक करने, एन्क्रिप्शन को डिकोड करने के लिए किया जाता है.
तहमासेबी ने कहा, तकनीक की ज्यादा समझ रखने वाली सरकार ईरानियों के लिए एक गंभीर खतरा है. यह पीढ़ी जितनी बहादुर है, उतनी ही बड़े जोखिमों का सामना कर रही है. वे सुरक्षाबलों के तरीकों से अवगत नहीं हैं जो निगरानी का इस्तेमाल कर उनके खिलाफ मामले बना रहे हैं.
केके/एनआर(रॉयटर्स)