ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे रहेगा जारी
३ अगस्त २०२३21 जुलाई को वाराणसी के जिला जज ने ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे का आदेश दिया था. सर्वे पर रोक लगाने की मांग करते हुए मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा था.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच ने अब सर्वे जारी रखने की इजाजत दे दी है. हाई कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि न्याय के लिए यह सर्वे जरूरी है. अदालत ने कहा कि कुछ शर्तों के साथ इसे लागू करने की जरूरत है. हाई कोर्ट ने कहा, "सर्वे करिए, लेकिन बिना खुदाई किए."
पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने एएसआई से सुनवाई खत्म होने तक मस्जिद का सर्वे शुरू न करने को कहा था. जुलाई के अंतिम सप्ताह में कोर्ट में दोनों पक्षों की तरफ से लगातार दो दिन बहस चली थी. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 27 जुलाई को अपने फैसले को रिजर्व कर लिया था.
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने हाईकोर्ट के फैसले पर कहा, "इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एएसआई को सर्वे करने के लिए कहा है. हाई कोर्ट ने जिला कोर्ट के फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए भी कहा है. कोर्ट ने सर्वे को मंजूरी दे दी है. एएसआई ने अपना हलफनामा दे दिया है."
हाई कोर्ट से हिंदू पक्ष को राहत
जैने ने कहा, "कोर्ट का आदेश आ गया है, ऐसे में अब कोई सवाल नहीं बनता है. हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों को खारिज किया है."
वाराणसी के जिला जज द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले आदेश को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने चुनौती दी थी. मुस्लिम पक्ष की ओर से दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच ने सुनवाई की.
कोर्ट में दलील देते हुए मुस्लिम पक्ष के वकील एसएफए नकवी ने असमायिक अदालती आदेश के जरिये ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण से मस्जिद के मूल ढांचे को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई थी. उन्होंने यह भी कहा था कि अयोध्या के बाबरी मस्जिद को गिराए का दंश देश ने झेला है. अब इस फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने पर विचार कर सकता है.
मस्जिद और मंदिर का विवाद
जिस ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण होना है, वहां मस्जिद है और मस्जिद के बिल्कुल बगल में काशी विश्वनाथ मंदिर है. ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई और पूरा विवाद इसी बात को लेकर है. काशी विश्वनाथ कोरिडोर बनने से पहले मंदिर और मस्जिद बिल्कुल एक साथ लगे दिखते थे लेकिन कोरिडोर बनने के बाद दोनों परिसर साफ तौर पर अलग दिखाई देने लगे हैं.
हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद के नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है. यह मंदिर कब बना, इसे लेकर कई अटकलें सामने आती हैं लेकिन हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मंदिर करीब दो हजार साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने बनवाया था जिसे मुगल सम्राट औरंगजेब ने 1664 में तुड़वा दिया और उस जगह पर मस्जिद बनवा दी.