वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण शुरू
२४ जुलाई २०२३भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक टीम ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का "वैज्ञानिक सर्वे" शुरू कर दिया है. मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी ने निरीक्षण की अनुमति देने वाली वाराणसी जिला अदालत के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
पिछले शुक्रवार को वाराणसी के जिला जज एके विश्वेश ने मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था. सर्वे करने वाली एएसआई की टीम में 30 लोग शामिल हैं और सर्वे में दोनों पक्षों के वकील भी शामिल हैं. कोर्ट ने सर्वे की रिपोर्ट चार अगस्त तक पेश करने का आदेश दिया है.
क्यों हो रहा है सर्वे
वाराणसी की जिला अदालत ने शुक्रवार को हिंदू पक्ष की मांग स्वीकार करते हुए वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का एएसआई से सर्वे कराने की इजाजत दी थी. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि बिना कोई क्षति पहुंचाए वैज्ञानिक तरीके से सर्वे के लिए टीम बनाई जाए.
इस मामले पर अगली सुनवाई चार अगस्त को होगी और उस दिन एएसआई की ओर से अदालत को सर्वे टीम की जानकारी दी जाएगी और वैज्ञानिक तकनीक के बारे में बताया जाएगा. उस दिन तय होगा कि सर्वे किस तरह और कब से होगा.
वजूखाने में दावे वाले शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वे के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा चुका है. इस आदेश की वजह से सील वजूखाने का सर्वे नहीं होगा. वजूखाने के फव्वारे को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग है. जिला अदालत ने एएसआई को 10 बिंदुओं पर जांच करने का आदेश दिया है.
इन बातों की होगी जांच
एएसआई अपने सर्वे में यह पता लगाएगी कि ज्ञानवापी की पश्चिम दीवार पर ढांचा मौजूद है वह कितना पुराना है. निर्माण को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाए बिना रडार तकनीक से मस्जिदों के गुंबदों के नीचे के पूरे हिस्से की उम्र का पता लगाने की कोशिश की जाएगी.
सर्वे में धार्मिक, पुरातात्विक और ढांचे की वास्तविक उम्र से जुड़े सभी तथ्यों की पूरी सूची बनाकर अदालत में पेश करना होगा. एएसआई के निदेशक दोनों पक्षकारों से मिलकर चार अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करेंगे.
हिंदू पक्ष की दलील है कि ज्ञानवापी आदिविश्वेश्वर का मूल स्थान है . हिंदू पक्ष का दावा है कि पिछले साल मई में हुए सर्वे में मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर मिले निशान और अवशेषों से साफ है कि यह मंदिर की दीवार है. वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा है ज्ञानवापी में पहले से मस्जिद थी. मस्जिद को किसी धार्मक स्थल पर नहीं बनाया गया है.
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे साबित हो सके कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी.