दालों, कपास और मक्का पर एमएसपी देने को तैयार हुई भारत सरकार
१९ फ़रवरी २०२४रविवार को किसान प्रतिनिधियों से बातचीत के एक और दौर में केंद्र सरकार ने दलहन, मक्का और कपास के लिए एमएसपी की गारंटी का प्रस्ताव रखा. वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पत्रकारों को बताया कि सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक जो किसान फसलों में विविधता लाएंगे और अरहर, उड़द, मसूर दाल और मक्का उगाएंगे, उन्हें पांच सालों के लिए एमएसपी का अनुबंध दिया जाएगा.
प्रस्ताव के उद्देश्य
इस एमएसपी का भुगतान नाफेड जैसे सरकार द्वारा समर्थित सहकारी समूह करेंगे. गोयल ने बताया कि यह समूह ही इन उत्पादों को खरीदेंगे और खरीद की मात्रा पर कोई सीमा नहीं होगी. उन्होंने यह भी कहा कि कपास उगाने की शुरुआत करने वाले किसानों को इसी तरह की कीमत की गारंटी का प्रस्ताव दिया जाएगा.
किसान संगठन करीब दो दर्जन फसलों पर एमएसपी की गारंटी की मांग कर रहे हैं. उन्होंने अभी तक इस प्रस्ताव पर अपने फैसले की घोषणा नहीं की है. लेकिन कुछ जानकारों का कहना है कि धान और गेहूं जैसी ज्यादा पानी मांगने वाली फसलों की जगह दालें उगाने से दो फायदे हो सकते हैं.
एक तरफ तो भौम जलस्तर को समाप्त होने से रोका जा सकेगा और दूसरी तरफ दलहन का उत्पादन बढ़ने से आयात में कटौती की जा सकती है. भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा आयातक है. देश में अरहर और उड़द दालों के दाम लंबे समय से बढ़े हुए हैं और सरकार दामों को नीचे लाने में सफल नहीं हो पा रही है. मुर्गीपालन और इथेनॉल उद्योगों में मक्के की खपत की वजह से देश के अंदर मक्के की मांग भी बढ़ रही है.
किसानों की योजना
गोयल ने भी कहा कि इससे पंजाब में कृषि क्षेत्र को बचाने, भौम जलस्तर को सुधारने और जमीन को बंजर होने से रोकने में मदद मिलेगी. लेकिन इस पर सभी विशेषज्ञों की राय एक जैसी नहीं है. कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया कि यह प्रस्ताव किसानों की मांग से बहुत पीछे है.
अब देखना है कि किसान इस प्रस्ताव पर क्या फैसला लेते हैं. इस बीच किसानों ने अपने 'दिल्ली चलो' अभियान को रोका हुआ है. पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया था. किसानों ने भी वहीं डेरा डाल दिया है.
इस बीच 2020-21 के किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने इस अभियान से अलग पंजाब में बीजेपी के नेताओं के घरों के घेराव के अभियान की घोषणा की है. मोर्चा यह अभियान 20 से 22 फरवरी तक आयोजित करने की योजना बना रहा है. एसकेएम की मांग है कि केंद्र सरकार ने जो वादे 2021 में किए थे, उन्हें पूरा किया जाए.
(रॉयटर्स से जानकारी के साथ)