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एक बार फिर लंबे आंदोलन के लिए कमर कस ली है किसानों ने

१३ फ़रवरी २०२४

किसान आंदोलन 2.0 का घटनाक्रम हूबहू पिछले आंदोलन की तरह आगे बढ़ रहा है. वही किसान, वही सरकार, वही ट्रैक्टर और वही बैरिकेड. किसान उतने ही उद्वेलित नजर आ रहे हैं और सरकार उन्हें रोकने के लिए उतनी ही आतुर.

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किसान
किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने की पूरी कोशिश की जा रही हैतस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS

चंडीगढ़ में किसानों और केंद्रीय मंत्रियों की घंटों चली बैठक बेनतीजा रहने के बाद किसान दिल्ली के लिए कूच कर चुके हैं. लेकिन पुलिस पंजाब से दिल्ली जा रहे किसानों को पंजाब-हरियाणा सीमा पर ही रोकने की पूरी कोशिश कर रही है.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पंजाब और हरियाणा के बीच शम्भू, जींद और खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए सीमेंट के बैरिकेड जैसे पुख्ता इंतजाम पहले से किए थे. लेकिन किसान जब रुके नहीं तो पुलिस ने वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले भी छोड़े.

किसानों को रोकने की पूरी कोशिश

सोशल मीडिया पर मौजूद कुछ वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिस ने आंसू गैस छोड़ने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया. ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि कुछ किसानों ने सीमेंट के बैरिकेड खुद ही हटा दिए. इनमें से कुछ किसानों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया.

शंभु दिल्ली से करीब 230 किलोमीटर दूर है. अनुमान लगाया जा रहा है कि वहां करीब 10,000 किसान मौजूद हैं. अगर किसान वहां से आगे निकल जाते हैं तो मंगलवार शाम तक दिल्ली की सीमा पर पहुंच सकते हैं. लेकिन दिल्ली की भी सभी सीमाओं पर दिल्ली पुलिस ने भी हरियाणा पुलिस की ही तरह इंतजाम किए हुए हैं.

किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के बैनरों तले 250 से ज्यादा किसान यूनियन ने इस प्रदर्शन की शुरुआत की है और दिल्ली चलने का नारा दिया है. दोनों संगठन दावा करते हैं कि करीब 250 किसान यूनियन उनके साथ जुड़े हुए हैं.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अनुमान है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से करीब एक लाख किसान दिल्ली की तरफ निकल चुके हैं. किसानों का कहना है कि वो एक बार फिर पिछले बार की ही तरह लंबे संघर्ष की तैयारी के साथ चले हैं.

सिंघु बॉर्डर
दिल्ली और हरियाणा के बीच सिंघु बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए पुलिस का इंतजामतस्वीर: Raj K Raj/Hindustan Times/Sipa USA/picture alliance

पंजाब के गुरदासपुर के रहने वाले हरभजन सिंह ने एनडीटीवी को बताया, "सुई से लेकर हथोड़े तक, हमारे पास जरूरत का हर सामान मौजूद है, यहां तक कि पत्थर तोड़ने के औजार भी. हम छह महीनों का राशन साथ लेकर अपने गांवों से चले थे. हमारे पास पर्याप्त डीजल है, हरियाणा से आने वाले हमारे भाइयों के लिए भी है."

ग्रामीण भारत बंद

इस बीच दिल्ली मार्च के अलावा किसानों का एक और कार्यक्रम है जो सरकार के लिए मुसीबत बन सकता है. किसान संगठनों ने 16 फरवरी को "ग्रामीण भारत बंद" का भी आह्वान किया है.

डीजल सब्सिडी को लेकर सड़कों पर उतरे जर्मन किसान

इसके तहत सुबह छह बजे से शाम के चार बजे तक पूरे देश के गांवों में सभी खेती संबंधित गतिविधियों और मनरेगा गतिविधियों को बंद रखने की कोशिश की जाएगी. सब्जियों और फसलों की बिक्री और सप्लाई भी बंद रहेगी.

राज्यों के परिवहन विभागों के कर्मचारी भी इस बंद में हिस्सा लेंगे, यानी परिवहन पर भी असर पड़ेगा. दिन में 12 बजे से शाम के चार बजे तक देश भर में मुख्य सड़कों पर चक्का जाम करने की भी कोशिश की जाएगी.