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कानून और न्यायभारत

सवालों के घेरे में पत्रकार मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी

२८ जून २०२२

दिल्ली पुलिस ने सोमवार शाम को पत्रकार और फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार किया था. लेकिन उनकी गिरफ्तारी पर पत्रकारों के अलावा विपक्षी दल के नेता भी सवाल उठा रहे हैं.

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पत्रकार मोहम्मद जुबैर
पत्रकार मोहम्मद जुबैरतस्वीर: twitter.com/zoo_bear

ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में सोमवार शाम को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया. अदालत ने उन्हें एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजा है. जुबैर पर एक विशेष सुमदाय की धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मीडिया को बताया कि जुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए (धर्म, भाषा, नस्ल के आधार पर लोगों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश) और 295 (भारत के नागरिकों के किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर आहत करने) के तहत एक अलग मामला दर्ज है, जिसमें उन्हें गिरफ्तार किया गया है. इसके तहत तीन साल सजा या जुर्माने का प्रावधान है. इसी तरह से 153-ए के तहत दोषी पाए जाने पर तीन साल की सजा या जुर्माने या दोनों का प्रावधान है.

बताया जा रहा है कि स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) यूनिट ने जुबैर को सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक अशांति फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है. पुलिस के मुताबिक, उसे जुबैर के खिलाफ 27 जून को ट्विटर के जरिए एक शिकायत मिली थी, जिसमें जुबैर के एक ट्वीट का जिक्र किया गया था. यह ट्वीट साल 2018 में जुबैर द्वारा किया गया था.

ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने कहा कि जुबैर को 2020 से जुड़े एक अलग मामले में पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया गया था, जिसमें अदालत ने उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की थी. लेकिन उन्हें इस नए मामले में बिना किसी अनिवार्य नोटिस के गिरफ्तार कर लिया गया. सिन्हा का कहना है कि बार-बार अनुरोध के बावजूद उन्हें एफआईआर की कोई कॉपी नहीं दी जा रही है.

गिरफ्तारी पर उठते सवाल

जुबैर की गिरफ्तारी पर पत्रकार, कलाकार समेत सभी विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की है और उनकी रिहाई की मांग की है. गिल्ड ने एक बयान में कहा, "2018 के एक ट्वीट के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा 27 जून को फैक्ट चेकिंग साइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा करता है. ईजीआई की मांग है कि दिल्ली पुलिस मोहम्मद जुबैर को तुरंत रिहा करे."

गिल्ड ने जी-7 में भारत द्वारा उस प्रतिबद्धता का भी जिक्र किया जिसमें भारत ने 2022 रेजिलिएंट डेमोक्रेसीज स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर किए. भारत रेजिलिएंट डेमोक्रेसीज के तहत नागरिक समाज के अभिनेताओं की स्वतंत्रता, स्वतंत्रता और विविधता की रक्षा और ऑनलाइन व ऑफलाइन अभिव्यक्ति और राय की स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हुआ है.

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कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, लेफ्ट ने गिरफ्तारी की निंदा की है. कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, "बीजेपी की नफरत, कट्टरता और उनके झूठ को उजागर करने वाला हर शख्स उनके लिए खतरा है. सच की आवाज उठाने वाले एक शख्स को गिरफ्तार करने पर हजार और खड़े हो जाएंगे. अत्याचार पर हमेशा सत्य की जीत होती है."

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने यादव ने सरकार पर तंज करते हुए ट्वीट किया, "अच्छे नहीं लगते हैं उन झूठ के सौदागरों को सच की पड़ताल करने वाले… जिन्होंने अपनी आस्तीन में हैं पाले, नफरत का जहर उगलने वाले."

वहीं एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की है. उन्होंने कहा कि जुबैर को बिना किसी नोटिस के अज्ञात एफआईआर पर गिरफ्तार किया गया है.

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने दिल्ली पुलिस पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया  "साहिब को खुश करने के लिए वो घुटनों के बल बैठ गए. जुबैर को एक मनगढ़ंत केस में गिरफ्तार किया गया, जबकि मिसेज फ्रिंज शर्मा सुरक्षा के साये में जिंदगी का आनंद उठा रही हैं."

केरल के विधायक एमके मुनीर ने लिखा ट्वीट किया, "क्या विडंबना है कि नफरत फैलाने वाला, भड़काऊ भाषण देने वाला खुला घूम रहा है, जबकि इसका खुलासा करने वाले पत्रकार को हिरासत में लिया गया है."

वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम ने समाचार चैनल एनडीटीवी से कहा कि जिस गुनाह में मुकदमा दर्ज होता है उसमें सात साल सजा का प्रावधान है तो उस अभियुक्त को नोटिस देना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामलों में जिसमें सजा का प्रावधान सात साल से कम है तो निचली अदालत और हाईकोर्ट ने उन लोगों को तुरंत बेल पर छोड़ दिया है.

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वहीं संविधान विशेषज्ञ फैजान मुस्तफा का कहना है कि आधुनिक लोकतंत्र में ईशनिंदा नाम का अपराध नहीं होना चाहिए, लेकिन भड़काऊ बयान अपराध होना चाहिए. मुस्तफा कहते हैं, "पूरा खेल परसेप्शन का है. परसेप्शन लोगों का यह हो जाए कि कुछ लोगों को इसी अपराध में सजा नहीं दी जा रही है और गिरफ्तारी नहीं हो रही है और कुछ को गिरफ्तार किया जा रहा है, तो ऐसे में कानून का समान संरक्षण, कानून के समक्ष समानता के सिद्धांत कमजोर होते हैं और लोगों की नजरों में कानून का सम्मान कम होता है."

जुबैर ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक हैं और वे प्रतीक सिन्हा के साथ मिलकर इसे 2017 से चला रहे हैं. ऑल्ट न्यूज ऐसी फेक न्यूज की पड़ताल करता है जो सोशल मीडिया पर वायरल होती हैं और उनको लेकर अलग-अलग तरह के दावे किए जाते हैं.

जुबैर ने ही बीजेपी की प्रवक्ता रही नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी का क्लिप ट्विटर पर साझा किया था. जिसके बाद नूपुर ने जुबैर पर "माहौल खराब" करने का आरोप लगाया था. नूपुर का आरोप था कि क्लिप शेयर किए जाने के बाद उनको और उनके परिवार को जान से मारने की धमकी मिल रही थी.

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