चीन के ताइवान पर हमले के लिए तैयार हो रहा है अमेरिका
१ फ़रवरी २०२४जब अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की सेनाओं ने पिछली गर्मियों में युद्धाभ्यास किया था तो चर्चा इस बात की हुई थी कि चीन के बढ़ते सैन्य मंसूबों पर लगाम लगाने के लिए यह सब हो रहा है. लेकिन 'टैलिस्मैन सेबर' अभ्यास का मकसद सिर्फ चीन को आंखें दिखाना नहीं था.
अगस्त में जब ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने अन्य कई देशों के साथ मिलकर सैन्य अभ्यास किया तो अमेरिकी सेना हथियार और गोला-बारूद का बड़ा जखीरा पीछे छोड़ गई.
पिछले कुछ समय से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों में इस बात को लेकर चिंता बढ़ी है कि आने वाले समय में चीनी राष्ट्रपति कभी भी ताइवान पर कब्जा करने के लिए सेना भेज सकते हैं. चीन ताइवान को अपना इलाका मानता है लेकिन लोकतांत्रिक देश ताइवान इस बात का विरोध करता है और स्वतंत्र बने रहना चाहता है.
ऐसी परिस्थिति के लिए अमेरिकी सेना तैयारी करने में जुटी है. इसके लिए सबसे पहला कदम साज-ओ-सामान को सही जगह पर पहुंचाना है, और काम शुरू कर दिया गया है. 'टैलिस्मैन सेबर' युद्धाभ्यास के दौरान यही हुआ.
ऑस्ट्रेलिया में रखा है सामान
सेना के अधिकारियों ने बताया कि अगस्त में जब अमेरिकी सेना लौटी तो करीब 330 वाहन और 130 कंटेनर दक्षिण-पूर्व ऑस्ट्रेलिया के बैंडियानान में रख छोड़े गए. यह सामान 500 सैनिकों की टुकड़ी को युद्ध के लिए सप्लाई के लिए काफी है. इस सामान में वे सब चीजें हैं जो भविष्य में युद्धाभ्यास, किसी कुदरती आपदा या फिर युद्ध के दौरान काम आ सकती हैं.
प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी सेना के कमांडर जनरल चार्ल्स फ्लिन कहते हैं, "हम ऐसा आगे भी करने पर विचार कर रहे हैं. क्षेत्र में ऐसे बहुत से देश हैं जिनके साथ हमारे समझौते हैं.”
करीब दो दर्जन मौजूदा और पूर्व अमरिकी सैन्य कमांडरों से बातचीत में यह सामने आया है कि ताइवान को लेकर युद्ध होने की स्थिति में प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की तैयारी बाकी क्षेत्रों के मुकाबले काफी कम है.
इन विशेषज्ञों के मुताबिक युद्धाभ्यासों के दौरान अमेरिकी सेना का आकलन इस नतीजे पर पहुंचा है कि चीनी सेना विमानों को ईंधन की सप्लाई करने वाले बेड़ों पर हमला कर सकती है. इस तरह बिना सीधी लड़ाई के ही अमेरिकी सैन्य शक्ति की कमर तोड़ी जा सकती है.
इस वजह से अमेरिका अपने सैन्य साज-ओ-सामान का जखीरा फैला रहा है और ऑस्ट्रेलिया में सामान जमा करना उसी सिलसिले की एक कड़ी है. हालांकि आधिकारिक तौर पर दिए जवाब में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सहयोगी देशों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि अमेरिकी फौजें हर जगह मौजूद और आगे बढ़ने को तैयार हों.
वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने इन सवालों का सीधा-सीधा तो कोई जवाब नहीं दिया लेकिन एक प्रवक्ता ने कहा, "अमेरिका को ताइवान के आसपास अपना सैन्य संपर्क बढ़ाने से बचना चाहिए और ताइवान खाड़ी में तनावपैदा करने के कारण नहीं बढ़ाने चाहिए.”
पूरे जोरों से तैयारी जारी
अमेरिका में सरकार के आलोचक इन तैयारियों को भी नाकाफी मानते हैं. रिपब्लिकन सांसद और सैन्य तैयारियों की निगरानी करने वाली संसदीय उप-समिति के प्रमुख माइक वॉल्ट्ज कहते हैं कि सरकार इन कोशिशों पर समुचित धन नहीं खर्च रही है.
रूस के हमले के बाद यूक्रेन की सेना की मदद के लिए अमेरिकी सेना की ट्रांसपोर्टेशन कमांड ने 83 करोड़ अमेरिकी डॉलर के उपकरण और करीब 20 लाख गोले पहुंचाए हैं. दूर प्रशांत महासागर में स्थित ताइवान की मदद के लिए इतना ही सामान पहुंचाना कहीं ज्यादा महंगा और मुश्किल होगा.
अमेरिका ने औपचारिक तौर पर कभी नहीं कहा है कि चीन ने ताइवान पर हमला किया तो वह दखलअंदाजी करेगा लेकिन वहां के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बार-बार कहा है कि वह द्वीपीय देश की सुरक्षा में अपने सैनिक भेज सकते हैं.
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सेना को 2027 तक ताइवान पर कब्जे के लिए तैयार रहने को कहा है. ऐसे में ताइवान के आस-पास के इलाकों में अपनी सेना के लिए हथियार, उपकरण और ईंधन आदि तैयार रखना अमेरिका की प्राथमिकता है.
नाम ना बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, "अगर हमारे पास चलाने के लिए गोली ही नहीं होगी तो बड़ी समस्या हो जाएगी.” उन्होंने कहा कि ताइवान में युद्ध के लिए तैयारी पूरे जोरों पर है.
वीके/सीके (रॉयटर्स)