कोलकाता रेप मर्डर: प्रदर्शन के दौरान अस्पताल पर हमला
१५ अगस्त २०२४पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में 'रीक्लेम द नाइट' अभियान के तहत 14 अगस्त की रात महिलाओं के नेतृत्व में एक बड़े प्रदर्शन का आयोजन किया गया. ये प्रोटेस्ट आरजी कर अस्पताल परिसर में एक जूनियर महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना के खिलाफ हुए.
कोलकाता रेप मामले पर क्या चाहते हैं डॉक्टर
प्रोटेस्ट को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा का जबरदस्त इंतजाम किया गया था. हालांकि, इसके बावजूद उपद्रवियों ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के परिसर में तोड़-फोड़ की. आरोप है कि इन्होंने प्रदर्शनकारियों और डॉक्टरों पर भी हमले किए.
वैसे तो महानगर में महज तीन जगह इस अभियान की अपील की गई थी, लेकिन शायद ही कोई ऐसा रास्ता बचा था जिसपर महिलाओं की भीड़ नहीं उमड़ी हो. इससे पहले दिल्ली के निर्भया घटना के विरोध में कोलकाता में ऐसे प्रदर्शन हुए थे. इस विरोध प्रदर्शन के दौरान 'हमें चाहिए आजादी' और 'अपराधी को फांसी दो' जैसे नारे भी लगते रहे.
प्रदर्शन कोलकाता तक ही सीमित नहीं रहे
राज्य के दूसरे हिस्सों में भी महिलाओं ने सड़कों पर उतरकर विरोध जताया और मोमबत्ती जुलूस निकाला. इन तमाम प्रदर्शनों से एक ही मांग उठी कि अपराधी को कड़ी-से-कड़ी सजा और महिलाओं को बेहतर सुरक्षा मिलनी चाहिए. महिला अधिकार और सुरक्षा पर एकजुट हुई प्रदर्शनकारी महिलाओं ने रेखांकित किया कि रेप के बाद पीड़िता को ही दोषी ठहराने की प्रवृत्ति पर भी अंकुश लगाया जाना चाहिए.
कोलकाता में आधी रात को मूल रूप से तीन जगह महिलाओं का जमावड़ा हुआ. पहला कॉलेज स्ट्रीट, दूसरा नंदन पिसर के बाहर और तीसरा जादवपुर विश्वविद्यालय के बाहर. इनमें जादवपुर वाला प्रदर्शन ही सबसे बड़ा था. दूर-दराज से हजारों की तादाद में लोग यहां पहुंचे थे. इनमें महिलाओं की तादाद सबसे ज्यादा थी, लेकिन इस भीड़ में सभी आयुवर्ग के लोग शामिल थे.
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यहां इस अभियान का समय रात को 11.55 बजे रखा गया था, लेकिन उसके करीब दो घंटे पहले से ही मौके पर भीड़ जुटने लगी थी. विश्वविद्यालय के गेट के बाहर सड़क पर ही एक अस्थायी जगह को घेरकर महिलाओं ने भाषण और नारेबाजी शुरू की, जो 12.30 बजे तक चलती रही. उसके बाद यह भीड़ रैली की शक्ल में नारे लगाते हुए जादवपुर थाने तक पहुंची. रात को डेढ़ बजे तक सड़कों पर महिलाओं का राज रहा.
महिला प्रदर्शनकारियों ने क्या बताया
इस अभियान की मुख्य बात यह थी कि इसमें तमाम वक्ता महिलाएं ही थीं. इस प्रदर्शन के कारण जादवपुर की ओर जाने वाले तमाम रास्तों पर आवाजाही ठप हो गई थी. कोलकाता की सड़कों पर इतनी भीड़ अमूमन दुर्गा पूजा के दिनों में ही उमड़ती है. फर्क यह है कि उस भीड़ के चेहरे पर उत्सव का उल्लास नजर आता है, लेकिन आधी रात को जुटी इस भीड़ के चेहरों पर नाराजगी थी और जोश भी.
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अभियान की आयोजकों में से एक शताब्दी दास डीडब्ल्यू से कहती हैं, "हम खुद को बेहद असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. पहले तो यौन उत्पीड़न और उसके बाद पीड़िता को ही दोषी ठहराने की प्रवृत्ति बेहद निराशाजनक है. रेप की स्थिति में लोग पहले पीड़िता के कपड़े और रात को बाहर निकलने के फैसले पर सवाल उठाते हुए उसे कटघरे में खड़ा कर देते हैं. आरजी कर की घटना को भी आत्महत्या बताकर लीपापोती का प्रयास किया गया. हमारा विरोध इसी रवैए को लेकर है."
धरने में पहुंची एक महिला पी. नंदिता डीडब्ल्यू से कहती हैं, "आरजी कर अस्पताल में हुई घटना में प्रशासन असली दोषियों को बचाने का प्रयास कर रहा है. इसलिए पीड़िता के घरवालों को पहले बताया गया कि उस डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली है. इसी के खिलाफ विरोध जताने हम यहां आए हैं."
किसी भी पार्टी के झंडे को अनुमति नहीं
'रीक्लेम द नाइट' अभियान की खासियत यह थी कि इसे राजनीति से दूर रखा गया था. इसी वजह से किसी भी पार्टी के नेता को झंडे के साथ इसमें शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई थी.
वैसे, सीपीएम ने इसे राजनीतिक कार्यक्रम बनाने का प्रयास किया था. आयोजकों के सहमत नहीं होने के बाद पार्टी के विभिन्न युवा संगठनों की ओर से आरजी कर अस्पताल के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया. लेकिन उसके कुछ देर बाद ही युवक-युवतियों के एक समूह ने अस्पताल पर हमला कर तोड़-फोड़ की. अस्पताल के गेट के बाहर धरने के लिए बने अस्थायी मंच को भी तोड़ दिया गया.
अभियान को देशव्यापी समर्थन
कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से पढ़ीं रिमझिम सिन्हा 'रिक्लेम द नाइट' का चेहरा बन गई हैं. उनकी अपील पर ही बंगाल समेत पूरा देश इस अभियान के पीछे खड़ा हो गया. रिमझिम डीडब्ल्यू से कहती हैं, "मैंने यह कल्पना तक नहीं की थी कि इस अभियान को इतने बड़े पैमाने पर देशव्यापी समर्थन मिलेगा."
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प्रेसीडेंसी की इस पूर्व छात्रा ने 10 अगस्त को फेसबुक पोस्ट के जरिए इस अभियान की अपील की थी. वह बताती हैं, "देश में ऐसी किसी घटना की स्थिति में कोलकाता हमेशा एक ठोस संदेश देता रहा है. मैंने अपने मित्रों व परिजनों से बातचीत के बाद वह पोस्ट डाली थी. मैंने सोचा था कि कुछ लोग जरूर आएंगे, लेकिन इतने ज्यादा लोगों के जुटने की कल्पना भी नहीं की थी."
टीएमसी में मतभेद
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में इस अभियान पर दो गुट बन गए. एक इसके समर्थन में था और दूसरा विरोध में. अलग-अलग इलाकों में आयोजित अभियान में कुछ तृणमूल नेता भी शामिल हुए. इस अभियान में शामिल होने वाले तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर राय डीडब्ल्यू से कहते हैं, "मैं एक बेटी का पिता और एक पोती का दादा हूं. मैंने महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर इसमें हिस्सा लेने का फैसला किया है. महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. हमें इसके खिलाफ एकजुट होना होगा."
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दूसरी ओर, टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल गोष ने अपने एक ट्वीट में लिखा है, "याद रखें, रात का कोलकाता महिलाओं के कब्जे में ही रहता है. विभिन्न पेशों से जुड़ी और सब्जी वगैरह बेचने वाली महिलाएं सारी रात काम करती हैं. एक घटना के बहाने कुछ लोग राजनीति करने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे लोग बंगाल को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं. कुणाल ने डीडब्ल्यू से कहा, "हमें सीपीएम के दौर में बंगाल में होने वाली घटनाओं और बीजेपी-शासित राज्यों की घटनाओं को भी याद रखना होगा."
ममता बनर्जी ने लगाया राजनीति करने का आरोप
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 14 अगस्त को आरोप लगाया कि बांग्लादेश की तरह उनकी सरकार को भी गिराने की कोशिश की जा रही है. आंदोलन में ज्यादा छात्र शामिल नहीं हैं. कुछ निहित स्वार्थ वाली ताकतें इसके पीछे हैं जो यहां सरकार गिराना चाहते हैं. स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित एक सभा में उन्होंने कहा, "मुझे सत्ता का कोई मोह नहीं है, लेकिन मैं अन्याय के आगे घुटने नहीं टेकूंगी. सीपीएम और बीजेपी इस घटना पर राजनीति कर रही हैं."
इस बीच दिल्ली से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष और सचिव 14 अगस्त को कोलकाता पहुंचे. उन्होंने शाम को पीड़िता के घर जाकर उसके परिजनों से मुलाकात की. उन्होंने इससे पहले आईएमए के पदाधिकारियों के साथ भी बैठक की.
आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 9 अगस्त की रात एक जूनियर ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार के बाद उसकी गला दबाकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया.