अंतरिक्ष की खोज में ये होंगे 2024 के सबसे रोमांचक पल
२ जनवरी २०२४अंतरिक्ष में जारी तलाश पिछले 12 महीनों में एक नई ऊंचाई पर पहुंची. एक साथ 20 लोगों की अंतरिक्ष में मौजूदगी का नया कीर्तिमान बना. भारत के चंद्रयान-3 ने पहली बार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने में कामयाबी पाई. अंतरिक्ष पर्यटन के क्षेत्र में भी नई गतिविधियां जारी रहीं और यूक्लिड अंतरिक्ष टेलिस्कोप लॉन्च हुआ.
अंतरिक्ष में जारी खोजबीन की दिशा में 2024 भी काफी उत्साहजनक रहने की उम्मीद है. देखिए, इस साल क्या बड़ा होने वाला है.
आर्टेमिस 2
नासा नवंबर 2024 में आर्टेमिस 2 को लॉन्च करने की तैयारी में है. इस अभियान में चार अंतरिक्षयात्रियों को चांद के आसपास भेजा जाएगा. यह 10 दिन का लूनर फ्लाईबाय मिशन है, यानी चांद के करीब जाकर उसकी पड़ताल की जाएगी. यह अभियान 2025 में आर्टेमिस 3 अभियान के तहत अंतरिक्षयात्रियों को चांद पर उतारने से पहले एक अहम कदम होगा. 1972 में अपोलो 17 अभियान के बाद पहली बार चांद पर इंसान को उतारने की कोशिश की जा रही है.
नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने अप्रैल 2023 में टेक्सस स्थित जॉनसन स्पेस सेंटर के पास आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, "हम साथ मिलकर अन्वेषण के एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं, तारों की यात्रा करने वाली और सपने देखने वाली एक नई पीढ़ी के लिए. दी आर्टमिस जनरेशन के लिए."
आर्टेमिस 2, चंद्रमा की खोजबीन के अभियान से जुड़े एक विस्तृत आर्टेमिस कार्यक्रम का हिस्सा है. नासा के नेतृत्व में आगे बढ़ रहे इस अभियान में यूरोपियन स्पेस एजेंसी समेत छह प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियां शामिल हैं.
चांद पर उतरेंगे और रोबोट
नासा 2024 में चंद्रमा पर कई लैंडर भेजेगा, जो कर्मशियल लूनर पेलोड सर्विसेज (सीएलपीएस) का हिस्सा होंगे. अंतरिक्ष यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोबोटिक उपकरण भेजेंगे, जो वहां महत्वपूर्ण वैज्ञानिक जानकारियां जमा करेंगे.
इनमें मिट्टी के नमूने जमा करने के लिए वीआईपीईआर, बर्फ के नमूनों का रासायनिक विश्लेषण करने के लिए प्राइम-1 और चंद्रमा के अंदरूनी हिस्से में गर्मी के प्रवाह की तफ्तीश के लिए ब्लू घोस्ट मिशन-1 शामिल होंगे.
चीन भी मई 2024 में चंगे-6 भेजने की तैयारी कर रहा है. यह चंद्रमा के लिए रवाना किया जा रहा एक रोबोटिक अभियान होगा, जिसे चांद की सतह पर उतारा जाएगा. यह रोवर पहली बार चंद्रमा के सुदूर हिस्से से नमूने जमा करेगा. पाकिस्तान, फ्रांस, इटली और स्वीडन भी अपने उपकरणों के साथ इस अभियान में हिस्सा लेंगे. इनमें पाकिस्तान का लूनर ऑरबिटर भी शामिल होगा, जिसका नाम आइसक्यूब-क्यू है.
दूसरे सौर मंडल के चंद्रमाओं की यात्रा
इस साल जापान मार्शन मून्स एक्सप्लोरेशन (एमएमएक्स) रवाना करने की तैयारी कर रहा है. यह अभियान फोबोस के लिए भेजा जाएगा, जो कि मंगल ग्रह की कक्षा में सबसे बड़ा चंद्रमा है. इस अभियान के तहत एक रोबोट को फोबोस पर उतारने और उसके नमूने धरती पर लाने की योजना है.
इन नमूनों में करीब 20 ग्राम "रेगोलिथ" भी होगा, जो कि फोबोस की सतह पर मौजूद पत्थर और धूल है. वैज्ञानिकों के लिए ये नमूने बेशकीमती साबित हो सकते हैं.
अक्टूबर 2024 में नासा यूरोपा क्लिपर लॉन्च करने की भी तैयारी कर रहा है. यह अभियान बृहस्पति ग्रह का चक्कर लगाएगा और बृहस्पति के 90 से ज्यादा चंद्रमाओं में से एक यूरोपा के पास से गुजरकर उसकी भी पड़ताल करेगा.
यूरोपा क्लिपर 44 बार यूरोपा के करीब से गुजरेगा. उम्मीद है कि इस दौरान वो भविष्य में बृहस्पति पर होने वाली लैंडिग्स के लिए भी किसी संभावित जगह की पहचान करेगा. साथ ही, यह अभियान यूरोपा चंद्रमा के बर्फीले खोल और संभावित समुद्रों के बारे में भी डेटा जमा करेगा. जीवन के लिए जरूरी रासायनिक तत्व और यूरोपा की सतह से जुड़ी भूविज्ञान संबंधी जानकारियां भी तलाशी जाएंगी.
एस्टेरॉइड की पड़ताल
यूरोपियन स्पेस एजेंसी का हेरा मिशन अक्टूबर 2024 में दो एस्टेरॉइड की ओर रवाना होगा. इनके नाम हैं: डिडिमोस और डायमॉरफस. ये दोनों अपने व्यास में एक किलोमीटर से भी कम हैं. हेरा मिशन, नासा के डबल एस्टेरॉइड रीडायरेक्शन टेस्ट (डीएआरटी) की कड़ी में है, जो 2022 में डायमॉरफस से टकराया था और उसकी कक्षा बदल दी.
हेरा इन एस्टेरॉइडों का विश्लेषण करेगा. यह डायमॉरफस के मास और कायनेटिक्स से जुड़ी जानकारियां जमा करेगा, ताकि यह समझा जा सके कि डीएआरटी ने एस्टेरॉइड की कक्षा में कैसे बदलाव किया. इसके दिसंबर 2026 तक डिडिमोस सिस्टम में प्रवेश करने की उम्मीद है.
नासा का लूसी अभियान भी 2025 में एस्टेरॉइड सिस्टम के लिए रवाना होगा. ये एस्टेरॉइड बृहस्पति ग्रह की कक्षा में हैं और इन्हें ट्रोजन एस्टेरॉइड्स कहा जाता है. उम्मीद है कि लूसी अभियान हमारे सौर मंडल के निर्माण से जुड़ा डेटा जमा करेगा.
व्यावसायिक अंतरिक्ष उड़ानों में भी तेजी आएगी
इस साल आप अंतरिक्ष विमानों को लॉन्च होते हुए देखेंगे. ये ऐसे विमान होंगे, जो पृथ्वी की निचली कक्षा में उड़ान भर सकेंगे और पारंपरिक रनवेज से वापस धरती पर लौट सकेंगे.
सिएरा स्पेस ड्रीम चेजर लॉन्च करेगा. यह दोबारा इस्तेमाल किया जा सकने वाला अंतरिक्ष विमान है, जो रॉकेट के माध्यम से लॉन्च होता है. यह तीन से सात सदस्यों को ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है और इससे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सप्लाई भी पहुंचाई जा सकती है.