किसानों का आज फिर दिल्ली कूच
६ मार्च २०२४किसानों का "दिल्ली चलो" मार्च एक बार फिर शुरू हो रहा है. किसान संगठनों का कहना है कि बुधवार को बड़ी संख्या में किसान इकट्ठा होंगे और दिल्ली की ओर बढ़ेंगे. किसानों के आंदोलन को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने बॉर्डर पर निगरानी बढ़ा दी है.
मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि किसान बुधावर को ट्रेन, बस और मेट्रो से दिल्ली आने की तैयारी कर रहे हैं और जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करना चाहते हैं. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 3 मार्च को पंजाब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों से दिल्ली पहुंचने की अपील की थी. उन्होंने 10 मार्च को "रेल रोको" आंदोलन की अपील की है. उन्होंने कहा था कि पहले से चल रहे विरोध स्थल पर भी किसानों की संख्या बढ़ाई जाएगी.
पंढेर ने कहा था कि दूर-दराज के किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली से दिल्ली नहीं पहुंच सकते हैं. ऐसे में उन्हें ट्रेन से पहुंचना चाहिए और एमएसपी के लिए सरकार पर दबाव बनाना चाहिए.
दिल्ली पुलिस अलर्ट
दिल्ली पुलिस का कहना है कि किसानों के विरोध-प्रदर्शन के कारण बुधवार को गाड़ी चालकों को जाम का सामना करना पड़ सकता है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर किसानों के इकट्ठा होने से सुबह से ही भारी जाम लगने लगा है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, पुलिस बल टिकरी, सिंघु और गाजीपुर सीमाओं के साथ-साथ रेलवे, मेट्रो स्टेशनों और बस अड्डों पर कड़ी निगरानी रखेगा.
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मीडिया से कहा, "हमने तीनों सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी है. हालांकि हमने किसी सीमा या मार्ग को बंद नहीं किया है लेकिन गाड़ियों की जांच की जाएगी." हालांकि दिल्ली पुलिस ने नई दिल्ली इलाके में किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी है.
जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन के सभी निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं. आदेशों के मुताबिक किसी भी प्रदर्शनकारी को जंतर-मंतर विरोध स्थल के अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. यह आदेश 26 फरवरी को लागू किया गया था और अभी भी प्रभावी है.
किसानों की क्या है मांग
18 फरवरी को किसानों के साथ पिछली बैठक में सरकार ने दलहन, मक्का और कपास के लिए एमएसपी की गारंटी का प्रस्ताव रखा था. वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पत्रकारों को बताया कि सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक जो किसान फसलों में विविधता लाएंगे और अरहर, उड़द, मसूर दाल और मक्का उगाएंगे, उन्हें पांच सालों के लिए एमएसपी का अनुबंध दिया जाएगा. हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों ने मांग ठुकरा दी और अपने विरोध स्थलों पर लौट गए.
23 दिनों से पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर जमा किसानों की मांग है कि उन्हें एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाए.