जयशंकर के सामने ऑस्ट्रेलिया ने उठाया सिखों का मुद्दा
५ नवम्बर २०२४ऑस्ट्रेलिया के आधिकारिक दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के सामने वहां की विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने कनाडा द्वारा भारत पर लगाए आरोपों पर चर्चा की.
भारत ने कनाडा के उस आरोप को खारिज कर दिया था जिसमें वहां के एक मंत्री ने गृह मंत्री अमित शाह पर कनाडा की धरती पर सिख अलगाववादियों को निशाना बनाने की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया था.
वॉन्ग ने कहा कि सिख समुदाय के लिए उनका संदेश यह है कि लोगों को ऑस्ट्रेलिया में सुरक्षित और सम्मानित जीवन का अधिकार है, चाहे वे कोई भी हों. वॉन्ग ने जयशंकर के साथ पत्रकार वार्ता में कहा, "हमने जांच के तहत आरोपों के बारे में अपनी चिंताओं को स्पष्ट कर दिया है. हमने कहा है कि हम कनाडा की न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करते हैं."
उन्होंने आगे कहा, "हम भारत को अपने विचार बताते हैं जैसा कि आप हमसे उम्मीद करते हैं और कानून के शासन और न्यायपालिका की स्वतंत्रता और स्पष्ट रूप से सभी देशों की संप्रभुता जैसे मामलों के संबंध में हमारा एक सैद्धांतिक रुख है."
हिंदू मंदिर पर हुई हिंसा पर क्या बोले जयशंकर
वहीं जयशंकर ने कहा कि कनाडा भारतीय राजनयिकों की निगरानी करता है. जयशंकर ने कहा ये "अस्वीकार्य" है. उन्होंने कहा, "कनाडा ने बिना कोई ठोस जानकारी दिए आरोप लगाने का एक पैटर्न बना लिया है."
ऑस्ट्रेलिया के कनाडा के साथ घनिष्ठ खुफिया जानकारी साझा करने वाले संबंध हैं, क्योंकि वह फाइव आईज अलायंस का सदस्य है जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड भी शामिल हैं.
जयशंकर ने 3 नवंबर को कनाडा के ओंटारियो राज्य के ब्रैम्पटन शहर में हिंदू सभा मंदिर के पास हुई हिंसा की भी निंदा की. जयशंकर ने कहा, "कनाडा में हिंदू मंदिर पर जो कुछ हुआ वह जाहिर तौर पर काफी चिंताजनक है."
सोशल मीडिया में 3 नवंबर को हुई हिंसा के कई वीडियो पोस्ट किए गए हैं. जिनमें कुछ लोग मंदिर परिसर में खालिस्तान का झंडा लेकर भारतीय तिरंगा लिए एक समूह से भिड़ते दिख रहे हैं. यह हिंसा तब हुई थी जब कनाडा स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारी मंदिर में गए थे. ट्रूडो ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, "ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर में हिंसा के ये कृत्य अस्वीकार्य हैं. हर कनाडाई को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है."
मोदी बोले, कार्रवाई करे कनाडा
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मंदिर परिसर में हुई हिंसा की कड़ी निंदा की थी. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "मैं कनाडा में हिंदू मंदिर पर सुनियोजित हमले की निंदा करता हूं. हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने की कोशिशें भी उतनी ही भयावह हैं. इस तरह के हिंसा के कृत्य भारत के संकल्प को कभी कमजोर नहीं कर पाएंगे."
उन्होंने कनाडा सरकार से कार्रवाई की मांग करते हुए कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि कनाडाई सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून-व्यवस्था कायम करेगी."
भारत और कनाडा के बीच संबंध पिछले साल तब तल्ख हो गए जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि सिख खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने का पुख्ता सबूत है. भारत ने कनाडा के इस आरोप को जोरदार तरीके से खारिज कर दिया था.
कनाडा और भारत के बीच पिछले साल से जारी विवाद अक्टूबर में एक बार फिर भड़क गया जब कनाडा और फिर भारत ने एक-दूसरे के छह-छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया.
जयशंकर ने कहा, "हम स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं, लेकिन हम यह भी मानते हैं कि आजादी का गलत इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए."
कनाडा एकमात्र ऐसा देश नहीं है जिसने भारतीय अधिकारियों पर विदेशी धरती पर हत्या की कथित साजिश रचने का आरोप लगाया है. अमेरिका के न्याय विभाग ने अक्टूबर में न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या की कथित नाकाम साजिश के संबंध में भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के कथित पूर्व अधिकारी विकास यादव पर आरोप तय किए थे.
अमेरिकी न्याय विभाग के अभियोग पत्र में यादव को भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का पूर्व अधिकारी बताया गया है. वॉशिंगटन ने आरोप लगाया था कि भारतीय एजेंट, खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल थे. पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है.
एए/वीके (एपी, रॉयटर्स)