तीन लाख हत्याओं का दोषी
१६ सितम्बर २०१४93 साल के ऑस्कर ने मई से जुलाई 1944 के बीच आउश्वित्स शिविर में काम किया. इस दौरान हंगरी से साढ़े चार लाख लोगों को वहां लाया गया था. शिविर में पहुंचते ही लोगों की जांच की जाती थी कि क्या उनसे किसी तरह का काम करवाया जा सकता है. जिन लोगों को काम करने लायक नहीं समझा जाता, उन्हें गैस चैम्बर में भेज दिया जाता था. मारे गए लोगों में से अधिकतर यहूदी थे.
शिविर में लाने के बाद उन लोगों से उनका सब सामान छीन लिया जाता था. ऑस्कर का काम इस सामान को नष्ट करना था. सामान की तलाशी लेने के बाद वह नकद और कीमती चीजों को अलग कर लेता और अधिकारियों को सौंप देता. अभियोगपक्ष के वकीलों ने एक बयान में कहा है कि ऑस्कर उन लोगों में शामिल था जिन्होंने चालीस के दशक में नरसंहार को अंजाम देने में मदद की. हालांकि ऑस्कर के वकील ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं दी है. ऑस्कर का कहना है कि उसने किसी भी तरह के अत्याचार में हिस्सा नहीं लिया, ना ही किसी को नुकसान पहुंचाया, बल्कि वह केवल अपनी नौकरी कर रहा था.
साल 2005 में जर्मन पत्रिका श्पीगल को दिए एक इंटरव्यू में ऑस्कर ने माना कि उसने शिविर में कई दर्दनाक हादसों को देखा. समाचार एजेंसी एपी को उसने एक घटना के बारे में बताया जिसमें एक अन्य पहरेदार ने एक बच्चे की किलकारी को बंद करने के लिए उसे पैरों से पकड़ा और एक ट्रक पर दे मारा.
ऑस्कर के मामले को इतने सालों बाद इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि 2011 में जर्मन सरकार ने एक बिल पारित किया, जिसके तहत नाजी काल में छोटे पद पर काम करने वाले लोगों पर भी नकेल कसी जा सके. इस कानून के आने से पहले केवल उन्हीं लोगों पर मुकदमे चलाए जा सकते थे जिन्होंने खुद किसी तरह का अत्याचार किया हो.
कानून बनने के बाद जांच दल ने तीस लोगों की सूची जारी की. ऑस्कर इन्हीं में से एक है. हनोवर की अदालत में यह इस तरह का चौथा मुकदमा है. आरोपियों की सेहत के कारण दो मुकदमों को स्थगित करना पड़ा, जबकि तीसरे की मुकदमे के दौरान ही मौत हो गयी.
आईबी/एएम (एएफपी, डीपीए)