हाथी के पांव बनाते हैं घर
हाथी न केवल अपनी सूंड के लिये मशहूर हैं बल्कि इसके पांव भी अपने आप में खास हैं. इन पैरों के निशां जमीन पर कई पशुओं का आश्रयस्थल बनते हैं.
पारिस्थतकी विशेषज्ञ (ईको इंजीनियर्स)
हाथियों के बिना अफ्रीका की कल्पना करना भी नामुमकिन सा लगता है. हाथी वहां के पर्यटन का मुख्य आकर्षण हैं. लेकिन हाथी ईकोसिस्टम इंजीनियर का भी काम करता है और अन्य पशुओं के रहने के लिये वातावरण तैयार करता है.
हाथी के पांव
हाथी का वजन पांच मीट्रिक टन के करीब होता है और जब इस विशाल जीव के पैर सवाना और आस-पास के जंगलों में पड़ते हैं वहां गड्ढे हो जाते हैं. गड्ढे भी छोटे-मोटे नहीं बल्कि गहरे.
मिनी पूल
मिट्टी के प्रकार मुताबिक हाथी के पैर का निशान 1.5 मीटर तक गहरा हो सकता है. जब इस गहराई में पानी भरता है तो यह छोटे पूल सा बन जाता है. जो कीड़े-मकौड़े के लिये घर का काम करता है.
कीड़े-मकौड़ों की संख्या
सेंकेनबर्ग नेचर रिसर्च सोसाइटी के शोधकर्ताओं ने रवांडा में हाथीं के पैरों के निशानों का गहरा अध्ययन किया. इनके मुताबिक कीड़े-मकौड़ों की तकरीबन 61 वैरायटी इनमें रह सकती है.
भविष्य के लिये जगह
कई जानवर इन छोटे पूल में अपने अंडे देते हैं. मच्छर और मक्खियां इन गड्ढों के इस्तेमाल में सबसे आगे होते हैं. अंडे देने के पांच दिन के भीतर ही इस पानी से भरे पूल में लारवा नजर आने लगता है.
मक्खियों का घर
मक्खियां इन पूल को अपना घर मानती हैं और शत्रुओं से रक्षा करने में भी अपनी जी-जान लगा देती है. अब हाथी के पैर से बने घर की रक्षा ये मक्खियां नहीं करेंगी तो कौन करेगा.
दूसरा पहलू
इस पूल में रहने वाले मच्छर कई जानवर और पशु-पक्षियों का भोजन भी बनते हैं. हालांकि इन मच्छरों का इस तरह से पलना भी अच्छा नहीं है. ये मच्छर मलेरिया और डेंगू के लिये जिम्मेदार हैं. (ब्रिगिटे ओस्टेराथ )