हाथियों का देश...लाओस
लाओस में 1975 में राजशाही समाप्त होने तक तीन सफेद हाथी राष्ट्रीय ध्वज और शाही ध्वज के प्रतीक थे. लेकिन अब वहां के जंगलों में कुछ सौ एशियाई हाथी ही बच गये हैं.
विलुप्त होने का खतरा
पशु संरक्षण से जुड़ी संस्था डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के मुताबिक पूरे एशिया में महज 30 हजार जंगली हाथी रहते हैं. वर्ल्ड नेचर कंजरवेशन यूनियन की ओर से जारी रेड लिस्ट में इन्हें अत्यधिक संरक्षित श्रेणी में रखा गया है.
हाथियों का स्वर्ग नहीं है लाओस
पूर्वी एशिया में स्थित लाओस के जंगलों में करीब 50 फीसदी की कमी आई है. वनों का कम होना और अवैध शिकार इन हाथियों के सबसे बड़े दुश्मन हैं. नर हाथियों के दांतों से गहने और सजावट का सामान तैयार किये जाते हैं.
मजदूरी के लिए इस्तेमाल
कई देशों में मादा हाथियों को इसलिए मार दिया जाता है कि उसके बच्चों को कामकाज के लिए बेचा जा सके. कई दूसरे देशों की तरह लाओस में भी हाथियों को लकड़ी की ढुलाई के काम में लगाने पर कानूनी प्रतिबंध नहीं है.
हाथियों को बचाओ
लाओस के सायाबुरी जैसे कुछ प्रांत में हाथियों की स्थिति बेहतर है. यहां उनकी सुरक्षा के लिए संरक्षित क्षेत्र बनाये गये हैं. पर्यटकों के लिए हाथियों को जंगलों के करीब स्थित प्राकृतिक गांवों में रखा जाता है.
पर्यटन का फायदा
देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए फ्रेंच पशु संरक्षण संस्था एलिफैंटएशिया के साथ मिलकर 2007 से ही हाथी महोत्सव मनाया जा रहा है. महोत्सव के दौरान हाथियों को काम करते देखा जा सकता है.
पालतू बनाये जाने की आलोचना
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ जैसी संस्था इस तरह के पर्यटन की आलोचक रही हैं. संस्था के मुताबिक रहन सहन के गलत तरीके और अपर्याप्त भोजन के कारण उनकी जल्द मौत हो जाती है. एशियाई हाथियों की जिंदगी 50 से 60 साल ही होती है.