फ्रांस के राष्ट्रपति भारत के दौरे पर
१३ फ़रवरी २०१३राष्ट्राध्यक्षों का दौरा अब राजनीतिक की जगह आर्थिक हो गया है. ओलांद के साथ उनके पांच मंत्री होंगे, जबकि 60 फ्रांसीसी कंपनियों के प्रमुख दौरे में शामिल रहेंगे. राष्ट्रपति बनने के बाद ओलांद पहली बार एशिया जा रहे हैं और इसके लिए उन्होंने भारत को चुना है, जिसके साथ उनके देश को 12 अरब डॉलर के लड़ाकू विमानों का सौदा करना है. जाहिर है कि वह भी बिजनेस को तरजीह देना चाहते हैं.
मुश्किल यह है कि उनका दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है, जब भारत और इटली का हेलिकॉप्टर सौदा भ्रष्टाचार के विवाद में फंस गया है और आशंका जताई जा रही है कि हेलिकॉप्टर डील ही खारिज कर दी जाए. ऐसे में फ्रांस के 126 रफाल विमान बेचने के अति महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर भी सवाल उठ सकते हैं.
हालांकि भारत के रक्षा विशेषज्ञ कोमोडोर सी उदय भास्कर का मानना है कि भारत और फ्रांस के पचासों साल पुराने रिश्ते को एक हेलिकॉप्टर सौदे से नहीं जोड़ा जा सकता. उन्होंने डॉयचे वेले से कहा कि पैसों की कमी हो तो अलग बात है, "मुझे नहीं लगता कि हेलिकॉप्टर सौदे की वजह से फ्रांस के साथ रिश्तों पर कोई असर पड़ेगा, अगर असर पड़ेगा तो यह कि भारत का बजट घाटा लगातार बढ़ रहा है और अगर किसी तरह की हिचक होगी तो यह आर्थिक और पैसों की वजह से होगी." फ्रांस भारत का प्रमुख परमाणु ईंधन आपूर्तिकर्ता भी है.
कब मिलेंगे लड़ाकू विमान
फ्रांस में बने रफाल विमान माली में जलवा दिखा रहे हैं और ओलांद इस डील को पक्का करने की पूरी कोशिश करेंगे. हालांकि फ्रांसीसी राजनयिक सूत्रों का कहना है कि चीजें बहुत तेजी से हो रही हैं लेकिन "इस दौरे में समझौते पर हस्ताक्षर नहीं" होगा. रफाल बनाने वाली दासो कंपनी के मुख्य कार्यकारी एरिक ट्रापियर का कहना है कि भारत 126 विमानों के बाद 63 विमानों की दूसरी खेप भी लेना चाहता है. भारतीय वायु सेना प्रमुख एनएके ब्राउन समझते हैं कि यह सौदा जून तक पक्का हो जाएगा ताकि "जल्द ही इन्हें सेना में शामिल किया जा सके."
रूसी लड़ाकू विमान सुखोई के अलावा भारतीय वायु सेना में फ्रांसीसी मिराज भी है. भास्कर बताते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब अमेरिका जैसे देशों ने नजरें फेर ली थीं, तो फ्रांस ने एलिजे विमान दिए थे, जो पनडुब्बी भेदी विमान था. ओलांद के बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन भी भारत पहुंचने वाले हैं, जिन्होंने यूरोप के मिले जुले प्रोडक्ट यूरोफाइटर के लिए लॉबिंग की थी पर भारत ने फ्रांसीसी रफाल खरीदने का फैसला किया. समझौते के तहत शुरुआती 18 विमान फ्रांस से भेजे जाएंगे, जबकि बाद में हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड के साथ मिल कर इनका उत्पादन शुरू होगा.
भारत पर भरोसा
कभी बोफोर्स दलाली से हिल जाने वाले भारत में हाल के दिनों में एक बार फिर रक्षा सौदों पर सवाल उठ रहा है. इटली के हेलिकॉप्टर से पहले स्लोवाकिया के टाट्रा ट्रकों पर भी सवाल उठ चुके हैं. कोमोडोर भास्कर मानते हैं कि बोफोर्स के बाद भारत में सौदे मुश्किल हुए हैं लेकिन भारत ने भरोसा बनाए रखा है, "भारत के अंदर निर्णय लेने में बहुत समय लगता है. बोफोर्स के बाद से इसका असर बढ़ गया है. लेकिन अमेरिका रूस, फ्रांस या इटली जैसे हथियार सप्लाई करने वाले देशों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ा है. भारत के साथ विश्वसनीयता को लेकर कोई सवाल नहीं उठाया गया है."
रफाल सौदे के अलावा ओलांद कुछ और मसलों पर बात करेंगे. भारतीय समाचार एजेंसी पीटीआई के वरिष्ठ पत्रकार अजय कौल ने बताया कि शिक्षा और तकनीकी सहयोग पर भी बात होगी और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते पर भी चर्चा हो सकती है. कौल ने कहा, "इस दौरे में मुक्त व्यापार पर कोई बड़ी सफलता नहीं मिलने वाली है लेकिन मुद्दा बहुत आगे बढ़ चुका है, जिसमें भारत को फ्रांस जैसे देशों का समर्थन पहले से ही हासिल है."
आपसी तनाव
मानवाधिकार के मुद्दे पर पश्चिमी देश भारत पर सवाल उठाते रहे हैं. हाल ही में अफजल गुरु को फांसी हुई है और फ्रांस सहित दुनिया के बहुतेरे देश फांसी की सजा का विरोध करते हैं. कौल का मानना है कि ओलांद के दौरे में इस वजह से तल्खी आने की संभावना नहीं है, "भारत की लाइन रही है कि ये अंदरूनी मामले हैं और उसे इसमें किसी दूसरे पक्ष के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है."
भारत पगड़ी पर प्रतिबंध हटाने की मांग करता रहा है. धार्मिक निशानियों पर पाबंदी की वजह से फ्रांस में रहने वाले सिख पगड़ी नहीं पहन सकते. फ्रांस के पिछले राष्ट्रपति निकोला सारकोजी के साथ भी भारत ने यह मुद्दा उठाया था और पिछले दिनों विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी अपने फ्रांस दौरे पर इस पर बात की. यह फिर से बातचीत में मुद्दा बन सकता है. हालांकि कौल कहते हैं कि "भारत इसमें ज्यादा कुछ नहीं कर सकता क्योंकि यह उनका अंदरूनी मामला है."
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ
संपादनः महेश झा