सिक्के नहीं तो अब कार्ड से पैसा वसूलते हैं कलाकार
५ सितम्बर २०१८रोजाना जिन गलियों और सड़कों से लोग गुजरते हैं वहां देर-सवेर एक आर्थिक तंत्र विकसित हो जाता है. लंदन में भी कुछ ऐसा ही हुआ. शहर की भीड़-भाड़ वाली गलियों में हर शाम कलाकार जुटते, कोई गाना गाता तो कोई संगीत की धुन निकालता और इन्हें सुनकर वहां से गुजरने वाले अपनी जेब के सिक्के उन्हें दे देते. यह पूरी अर्थव्यवस्था जेबों में खनकते सिक्कों पर ही निर्भर हुआ करती थी. समय बदला तो लोग कार्ड का इस्तेमाल करने लगा. कैश के बजाय कार्ड पेमेंट के बढ़ते चलन ने इन कलाकारों के सामने मुश्किल खड़ी कर दी. गुजरते राहगीरों के पास अब देने के लिए सिक्के नहीं हुआ करते थे.
कमाई में आती इस कमी को देखते हुए यहां के कलाकारों ने अब अपने साथ कार्ड रीडर रख लिया है. लंदन के टूरिस्ट स्पॉट पर हर दिन गाने आती बुस्कर शेर्लट कार्डरीडर का इस्तेमाल करने वाली यहां पहली कलाकार थीं. शेर्लट कहती हैं, "लंदन में चीजें बदल रही हैं, लोग अब पेमेंट के लिए कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं." अब शेर्लट की पांच से 10 फीसदी आय सिक्कों की बजाय कार्ड से होने लगी है, जहां लोग गाना सुनने के बाद अकसर एक बार में 2 डॉलर तक उन्हें दे देते हैं.
ब्रिटिश ट्रेजरी की एक रिपोर्ट के अनुसार 2016 में महज 40 फीसदी पेमेंट ही कैश में हुए. लेकिन 2006 में यह हिस्सा तकरीबन 62 फीसदी का था. जनवरी 2018 में सरकार ने डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर लगाए जाने वाले सरचार्ज को हटाकर इनके इस्तेमाल को बढ़ावा दिया. वहीं अब लंदन के कुछ रेस्तरां भी स्वयं को कैशफ्री घोषित करने के लिए विशेष साइन-बोर्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह मामला दुकानों या कलाकारों तक ही सीमित नहीं है. लंदन के एक चर्च ने भी अब लोगों से दान लेने के लिए कार्ड रीडर का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. चर्च से जुड़े लोग भी इस तरीके को सुरक्षित मानते हैं. वे कहते हैं कि इस तरीके से पैसा सीधे बैंक खाते में जाता है जो कैश के बजाय बेहतर ही है.
सबको नहीं पंसद
लेकिन सब इस कैशलेस कल्चर से खुश नहीं है. वित्तीय विशेषज्ञ ब्रेट स्कॉट कहते हैं, "इस पूरे तंत्र में निगरानी का तत्व बहुत बड़ा है, इसमें आप पर नजर रखी जा सकती है. इसमें वित्तीय समावेशन का भी तत्व शामिल है साथ ही एक बड़ा सवाल साइबर सुरक्षा का भी है."
स्कॉट कहते हैं, "पिछले दो दशकों से बैंक, कार्ड कंपनियां, सरकारी विभाग और कई वित्तीय संस्थान लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि सिक्कों और नोटों का इस्तेमाल सुविधाजनक नहीं है. एक ढंग से आप यह भी कह सकते हैं कि इन तरीकों ने भुगतान के तरीकों को और भी कुशल बना दिया है." हालांकि स्कॉट यह भी मानते हैं कि कैशलेस प्रक्रिया सारी अनौपचारिक और गैर-संस्थागत गतिविधियों को एक प्रकार के डिजिटल दायरे में डालने की कोशिश कर रही है, जिसपर बड़े संस्थान आसानी से नजर रख सकते हैं और इनका प्रबंधन भी कर सकते हैं.
स्कॉट चेतावनी देते हुए कहते हैं कि इस नई अर्थव्यवस्था ने अपने तंत्र में से बेघर, रिफ्यूजी और बिना बैंक एकाउंट वाले लोगों को बाहर कर दिया है.
एए/एनआर (एएफपी)