सर्दियों की आहट के साथ शुरू हुआ दिल्ली में प्रदूषण का संकट
१४ अक्टूबर २०१९दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को सितम्बर के महीने में अपने शहर में आसमान की ओर देखकर इतनी खुशी महसूस की उन्होंने कई बार सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें साझा कीं जिनमें आसमान साफ दिखाई पड़ रहा था. उन्होंने लिखा भी कि कई सालों बाद दिल्ली में इस तरह का साफ और नीला आसमान दिखाई दे रहा है. उनका आकलन सही था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वायु की गुणवत्ता के लिहाज से, बीता सितम्बर पिछले 9 सालों में दिल्ली का सबसे साफ सितम्बर था. यह दिल्लीवालों के लिए बड़ी बात थी क्योंकि तीन करोड़ की आबादी वाला ये महानगर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शुमार हो चुका है. 2018 में दिल्ली की हवा की औसत गुणवत्ता का स्तर, जिसे आदर्श रूप से 50 के नीचे होना चाहिए, 112 था. दिसंबर में ये स्तर 450 तक पहुंच गया था.
इस साल सितम्बर में ये स्तर 98 दर्ज किया गया था, जो अच्छे स्तर की श्रेणी में नहीं, बल्कि संतोषजनक श्रेणी में है. लेकिन अक्तूबर का महीना बुरी खबर ले कर आया है. रविवार को शहर में वायु गुणवत्ता का स्तर 270 था, जो खराब श्रेणी में आता है. सोमवार की सुबह शहर के कई इलाकों में प्रदूषण का कोहरा भी देखा गया और वायु गुणवत्ता के स्तर को कई इलाकों में 235 से ऊपर ही पाया गया. मुख्यमंत्री केजरीवाल भी ऐलान कर चुके हैं की प्रदूषण का स्तर गिरना शुरू हो चुका है और दिल्लीवालों को हर साल की तरह इस साल भी एक कठिन समय से गुजरने के लिए तैयार हो जाना चाहिए.
वायु गुणवत्ता पर काम करने वाली केंद्र सरकार की संस्था सफर के अनुसार यातायात के धुंए के अलावा बारिश का न होना, पड़ोसी राज्यों से जलती हुई पराली के धुंए का आना, प्रदूषकों को उड़ा ले जाने वाली हवा की गति का कम होना और हवा बहने की दिशा का बदल जाना प्रदूषण के सबसे बड़े कारण हैं. सफर का पूर्वानुमान है कि प्राकृतिक कारणों से अक्तूबर के चौथै सप्ताह से वायु गुणवत्ता का स्तर और भी गिरना शुरू हो जाएगा और अगर पराली के धुंए और दिवाली में होने वाली आतिशबाजी को नियंत्रित नहीं किया गया तो यह स्तर और भी गिरेगा.
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की अनुमिता रॉयचौधुरी प्रदूषण के इस बढे हुए स्तर के लिए वाहनों के धुंए, भवन निर्माण से उड़ने वाली धूल और औद्योगिक प्रदूषण को सबसे ज्यादा जिम्मेदार मानती हैं. उनका जोर इस बात पर है कि मौसम में हुए बदलाव का हम कुछ नहीं कर सकते और पराली का धुंआ सिर्फ एक या दो महीने की घटना है जबकि बाकी स्रोतों से फैलने वाला प्रदूषण सालों भर रहता है. अनुमिता रॉयचौधुरी कहती हैं कि देखना ये है कि आने वाले दिनों में हम अपनी तरफ से प्रदूषण को गहराने से कितना रोक पाते हैं.
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मंगलवार से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू हो जाएगा जिसके तहत स्थिति के अनुसार अलग अलग उठाए जाने वाले जाने वाले कदम हैं. इनमें शामिल हैं पटाखे जलाने पर रोक, कूड़ा जलाने पर दंड, पार्किंग शुल्क में तीन से चार गुना वृद्धि, डीजल जनरेटर के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध, निर्माण कार्य पर भी प्रतिबंध, दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर रोक और निजी यातायात के लिए सम-विषम योजना का लागू होना. दिल्ली सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि 4 नवम्बर से सम-विषम योजना भी लागू हो जाएगी और इस बार पिछले साल से सबक लेते हुए योजना के पालन में न्यूनतम छूट दी जाएगी.
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