सबरीमाला मंदिर में पहुंचीं दो महिलाएं
२ जनवरी २०१९केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर सदियों से पाबंदी थी. सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को लैंगिक भेदभाव मानते हुए गैरकानूनी करार दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज परंपरावादियों ने मंदिर के चारों ओर इंसानी बाड़ सी बना दी. उन्होंने महिलाओं के बराबरी के अधिकार के लिए लड़ने वाली कार्यकर्ताओं को मंदिर में दाखिल नहीं होने दिया. इस दौरान कई हिंसक प्रदर्शन भी हुए.
लेकिन दो जनवरी 2019 की तड़के 40 और 50 साल के बीच की दो महिलाएं इस बाड़ से पार पाते हुए मंदिर में पहुंच गईं. इस दौरान उन्हें पुलिस ने सुरक्षा दी. इसका वीडियो भी सामने आया है. वीडियो में कनका दुर्गा और बिंदु नाम की दो महिलाएं काले कपड़ों में मंदिर में दाखिल हुईं. बाद में पुलिस की सुरक्षा में एक महिला ने कहा, "हम मंदिर में 18 पवित्र सीढ़ियां चढ़कर नहीं बल्कि स्टाफ गेट से दाखिल हुए."
केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा, "यह तथ्य है कि वे महिलाएं मंदिर में दाखिल हुईं. मंदिर में उपासना करने की इच्छा रखने वाले हर शख्स को सुरक्षा देना पुलिस का दायित्व है."
महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ता इस कदम को भारत में लैंगिक भेदभाव पर एक बड़ी चोट मान रहे हैं. विवादित नारीवादी लेखिका मीणा कंदासामी ने ट्वीट करते हुए कहा, "विजुअल्स में उन्हें मंदिर में प्रवेश करते हुए देखने पर मेरे खुशी के आंसू निकल पड़े. हमें अपनी जगह हासिल करने और इतिहास में अपना रास्ता दर्ज कराने में कितना लंबा वक्त लगा."
बुधवार को जैसे ही महिलाओं के मंदिर में प्रवेश की जानकारी सामने आई, वैसे ही मंदिर प्रशासन में अफरा तफरी मच गई. मंदिर के मुख्य पुजारी ने शुद्धिकरण के लिए मंदिर को करीब एक घंटे के लिए बंद करने का आदेश दिया.
परंपरावादियों के मुताबिक मंदिर में मासिक धर्म की उम्र वाली महिलाओं के जाने पर सदियों से प्रतिबंध है. मंदिर पास के गांव से चार घंटे की खड़ी चढ़ाई पर है. परंपरावादियों के साथ साथ केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रही है. केरल कांग्रेस के उपाध्यक्ष के सुधाकरण ने कहा, "यह कपट है...सरकार को परंपरा के उल्लंघन की कीमत चुकानी होगी."
बीजेपी का कहना है कि अदालत ने इस आस्था को नजरअंदाज किया है कि मंदिर के देवता अयप्पा ब्रह्मचारी थे. कथाओं के मुताबिक अयप्पा एक लावारिस शिशु के रूप में मिले थे. पंडदलाम वंश के राजा ने उनका लालन पालन किया. यह वंश आज भी मंदिर का प्रबंधन करता है. 12 साल की उम्र में अयप्पा जंगल में एक बाघिन की सवारी करते हुए नजर आए. बच्चे ने एक बाण चलाया, जिस जगह बाण लगा, वहीं सबरीमाला मंदिर है.
ओएसजे/आरपी (रॉयटर्स, एएफपी)