शरणार्थी मुद्दे पर जर्मन सरकार में बनी सहमति
६ जुलाई २०१८जर्मन सरकार का गठबंधन टूटने से बच गया है. चासंलर अंगेला मैर्केल ने सरकार में शामिल सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) के साथ भी शरणार्थी मुद्दे पर समझौता कर लिया है. इसके पहले मैर्केल ने सरकार में गृह मंत्री और क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) के नेता हॉर्स्ट जेहोफर के साथ भी ऐसा ही एक समझौता किया था. इसके तहत गैरकानूनी आप्रवासन पर लगाम कसने के लिए जर्मनी की सीमाओं पर कड़ा रुख अपनाने की बात कही गई थी. वहीं अब एसपीडी ने भी सरकार के सामने इस मसले पर अपनी चिंताए साफ कर दी है.
किन मुद्दों पर बनी सहमति
1. एसपीडी की चैयरमेन आंद्रेया नालेस ने कहा कि आप्रवासन के मुद्दे पर कोई एकतरफा कार्रवाई नहीं होगी. शरणार्थियों के आवेदन पर फैसला लेने की प्रक्रिया तेज होगी, साथ ही इसमें डबलिन समझौते को ही आधार माना जाएगा. डबलिन समझौता यूरोपीय संघ में शरणार्थी नीति को तय करने के लिए बनाया गया था.
2. सीएसयू नेता जेहोफर ने कहा कि नेताओं के बीच शरणार्थियों ने ट्रांजिट सेंटर के विचार को खारिज कर दिया है. लेकिन इसकी जगह शरणार्थियों को पुलिस केंद्रों में ट्रांजिट-प्रक्रिया से गुजरना होगा.
3. सरकार ने कहा कि अगर म्यूनिख हवाई अड्डे पर शरणार्थियों को "ट्रांजिट एकोमोडेशन एरिया" में नहीं ले जाया जा सकता है, तो जर्मन पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी.
नेताओं में समझौता
नालेस ने कहा कि सभी राजनीतिक दल शरणार्थी नीति के पुनर्गठन और नए उपायों पर सहमत हो गए हैं, जो एक "अच्छा समाधान" है. वहीं जेहोफर भी बैठक के बाद काफी संतुष्ट नजर आए. उन्होंने मीडिया से कहा, "आप एक बहुत ही खुश गृहमंत्री को देख रहे हैं." नेताओं के मौजूदा रुख से साफ है कि मैर्केल ने सरकार गिरने के खतरे को न सिर्फ खत्म किया है, बल्कि शरणार्थी मुद्दे पर एक नए सिरे से सहमति बनाई है.
जर्मनी की शरणार्थी नीति
साल 2015 के दौरान पैदा हुए शरणार्थी संकट के चलते जर्मनी ने गैर-यूरोपीय देशों के तकरीबन दस लाख शरणार्थियों को देश में जगह दी थी जिसके चलते देश के भीतर मैर्केल की लोकप्रियता कम हुई और धुर-राष्ट्रवादी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड (एएफडी) की जमीन बढ़ी. नतीजतन, साल 2017 के आम चुनाव में एएफडी को करीब 13 फीसदी वोट भी मिला. लेकिन 2015 के बाद जर्मनी में आने वाले शरणार्थियों की संख्या घटी है. 2016 में महज 2.80 लाख शरणार्थी ही जर्मनी में दाखिल हुए. इस मुद्दे ने न सिर्फ देश के भीतर मैर्केल की लोकप्रियता कम की, बल्कि सीडीयू की सहोदर पार्टी सीएसयू के नेता जेहोफर के साथ भी चांसलर अंगेला मैर्केल के मतभेद खुलकर सामने आ गए.
जर्मनी-ऑस्ट्रिया के बीच
गुरुवार को जेहोफर ने ऑस्ट्रियाई चांसलर सेबास्टियान कुर्त्स के साथ शरणार्थी मुद्दे पर बात की. दोनों नेताओं ने भूमध्य सागर के रास्ते, उत्तरी यूरोप में दाखिल होने वाले रिफ्यूजी और शरणार्थियों पर नियंत्रण के लिए "दक्षिणी मार्ग" कहे जाने वाले रास्ते को बंद करने की इच्छा जताई. इसके पहले ऑस्ट्रियाई चांसलर जेहोफर के सीमाओं पर ट्रांजिट सेंटर बनाए जाने के प्रस्ताव पर सवाल उठा चुके हैं. उनका तर्क था कि ऐसे ट्रांजिट सेंटर की वजह से ऑस्ट्रिया में शरणार्थियों का आना बढ़ सकता है.
मैर्केल और ओरबान
वहीं बर्लिन में मैर्केल और हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान के बीच मुलाकात भी कम विवादास्पद नहीं रही. मैर्केल ने ओरबान के रुख को शरणार्थी संकट के लिए एक "समस्या" कहा. मैर्केल ने कहा कि शरणार्थी दर्जा मांग रहे इन लोगों के साथ मानवीयता का रुख रहना चाहिए. उन्होंने कहा, "हम ये नहीं भूल सकते कि ये मसला इंसानों से जुड़ा है." इसके उलट ओरबान ने कहा कि यह अधिक मानवीय होता अगर यूरोप आने को प्रोत्साहित न करते हुए यूरोप की सीमाएं बंद कर जाती.
अब सवाल है कि इसका यूरोपीय संघ के लिए क्या मतलब होगा. क्या मैर्केल का एसपीडी और सीएसयू नेताओं के साथ हुआ यह समझौता उन्हें यूरोपीय संघ के अन्य सदस्यों से तालमेल बिठाने में मदद करेगा?
एए/आईबी (डीपीए, रॉयटर्स)