शरणार्थियों को वापस लेगा म्यांमार
३ अक्टूबर २०१७बांग्लादेश और म्यांमार ढाका में सोमवार को हुई बातचीत में पांच लाख रोहिंग्या को वापस भेजने की योजना बनाने के लिए एक कार्यदल बनाने पर सहमत हुए. उसके बाद जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी की बैठक में म्यांमार के सामाजिक कल्याण मंत्री विन म्यात आय ने कहा, "हमारी अगली प्राथमिकता उन शरणार्थियों को वापस लाना है जो भागकर बांग्लादेश चले गये हैं."
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वदेश वापसी का काम उनके लिए कभी भी शुरू हो सकता है जो वापस लौटना चाहते हैं. "शरणार्थियों की जांच म्यांमार और बांग्लादेश की सरकारों के बीच 1993 में हुई संधि के आधार पर होगी." उन्होंने कहा, "जिनकी पुष्टि शरणार्थी के रूप में हो चुकी है. उन्हें पूरी सुरक्षा और मानवीय मर्यादा की गारंटी के साथ वापस लिया जाएगा." इस बीच रोहिंग्या मुसलमानों के अलावा रोहिंग्या हिंदुओं के भी म्यांमार से बांग्लादेश भागने की खबर है. वे अपने परिवारों के सदस्यों के हमलों में मारे जाने की खबर दे रहे हैं और हिंसा के डर वापस लौटने से मना कर रहे हैं.
म्यांमार में रोहिंग्या के दर्जे का सवाल अभी भी साफ नहीं है जहां उन्हें अवैध आप्रवासी समझा जाता है और नागरिकता नहीं दी जाती. वे आम तौर पर बांग्लादेश की सीमा से लगे रखाइन प्रदेश में रहते हैं, 25 अगस्त को रोहिंग्या विद्रोहियों के हमलों के बाद सेना की कार्रवाई के बाद लाखों लोग वहां से भाग गये. संयुक्त राष्ट्र ने इसे जातीय सफाया बताया है. उसके बाद से म्यांमार ने रखाइन प्रदेश पर सख्ती से नियंत्रण किया है.
उपद्रव शुरू होने के बाद से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों को पहली बार रखाइन जाने की अनुमति दी गयी है. सरकार द्वारा आयोजित एक दिवसीय दौरे पर संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों, राजनयिकों और राहत संस्थाओं के प्रतिनिधियों को हिंसा के केंद्र माउन्गदाव ले जाया गया था. संयुक्त राष्ट्र ने दौरे का स्वागत किया और मानवीय सहायता की अनुमति दिये जाने पर जोर दिया. संयुक्त राष्ट्र ने कहा, "मानवीय तकलीफ का पैमाना कल्पना से परे है और संयुक्त राष्ट्र प्रभावित लोगों के साथ गहरी संवेदना व्यक्त करता है." उधर सोमवार को बांग्लादेश के विदेश मंत्री एएच मबलूद अली ने भी म्यांमार के स्टेट काउंसिलर दफ्तर के मंत्री क्याव टिंट सी से मुलाकात की.
रोहिंग्या शरणार्थियों को बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र के भरे हुए कैंपों में रखा जा रहा है जहां लगातार बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है. उधर म्यांमार की मीडिया के अनुसार और 10,000 लोग बांग्लादेश जाने के लिए सीमा पर इंतजार कर रहे हैं. बांग्लादेश के रोहिंग्या कैंपों में रह रहे विद्रोही लड़ना जारी रखने की बात कह रहे हैं. हालांकि अपने यहां इस्लामी चरमपंथ का सामना कर रही बांग्लादेश की सरकार रोहिंग्या शरणार्थियों के बीच चरमपंथियों के होने से इनकार करती रही है, लेकिन उसने टोह लेने के लिए कैंपों खुफिया पुलिस को तैनात कर रखा है. कैंपों में अराकाम रोहिंग्या सैल्वेशन आर्मी अरसा के बहुत से सदस्य हैं, पुलिस चौकियों पर 25 अगस्त को उनके हमलों के बाद सेना की कार्रवाई शुरू हुई थी.
एमजे/ओएसजे (रॉयटर्स, एएफपी)