शरण की मुश्किल
उन देशों पर भी दबाव बढ़ रहा है जहां ये लोग शरण के लिए पहुंच रहे हैं. जर्मनी पूरा जोर लगा कर इन लोगों को शरण देने की कोशिश में है.
खास आवास
तेजी से बढ़ रहे शरणार्थियों की संख्या के कारण हर राज्य में आप्रवासियों के लिए विशेष ठिकाने बनाए गए हैं जहां ये शरणार्थी आवेदन स्वीकृत होने तक रह सकते हैं. पुराने अस्पतालों, मकानों और होटलों को भी इस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
होटल किराए पर
जर्मनी के कई शहरों में शरणार्थियों को जगह देने के लिए होटेल किराए पर लिए गए हैं. आना नाम का एक होटल फ्रैंकफर्ट में किराए पर लिया गया. इतना ही नहीं कोलोन में तो नीलामी में एक चार सितारा होटल (तस्वीर में) को शरणार्थियों के लिए खरीद लिया गया.
जहाजों में
बंदरगाह शहरों में पुराने जहाजों को भी इन लोगों के लिए उपयोग में लिया जा रहा है. कई शहरों में सुपर मार्केट के खाली गोदामों में या फिर कंटेनरों में भी रहने की व्यवस्था की जा रही है.
नई नीति
सितंबर में ही जर्मनी ने शरणार्थी नीति में बदलाव किए हैं. नई नीति के मुताबिक अब बाल्कान देशों से किसी को जर्मनी में शरण नहीं दी जाएगी. 2013 में डेढ़ फीसदी शरणार्थी सर्बिया, मैसेडोनिया और बोस्निया हर्जेगोविना से आए. कई अल्पसंख्यक समुदाय के शरणार्थियों ने बर्लिन में कुछ इस तरह से घर बना लिए थे.
समाज साथ आए
शुरुआत में जर्मनी में शरणार्थी आवास बनाए जाने का विरोध हुआ. लेकिन धीरे धीरे शहरों ने स्थानीय लोगों को अपने साथ लेना शुरू किया. अब ये लोग भी आप्रवासियों की मदद करने के लिए तैयार हुए हैं और लोगों में जागरूकता बढ़ रही है.
स्कूलों में
सीरिया और इराक से आने वाले बच्चों को अक्सर मुश्किल होती है कि वह अपनी पढ़ाई कहां करें. कई स्कूलों में खास सुविधा शुरू की गई है ताकि ये बच्चे भी स्कूलों में पढ़ाई कर सकें. भाषा सीखने के लिए उन्हें अलग से पढ़ाया भी जाता है.
60 फीसदी ज्यादा
जर्मनी के गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2014 में जनवरी से लेकर अक्टूबर तक एक लाख पंद्रह हजार लोग जर्मनी में शरण के लिए पहुंचे. ये संख्या पिछले साल की तुलना में 60 फीसदी ज्यादा है.
बढ़ेगी संख्या
इराक और सीरिया में जारी संघर्ष के कारण जर्मनी सहित यूरोपीय देशों में शरण की मांग करने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था के मुताबिक सीरिया और इराक से शरण मांगने वाले लोगों की संख्या सात लाख तक पहुंच सकती है.