वैल्प्रोएट ने दी जन्मजात बीमारी
२६ अप्रैल २०१७आम तौर पर सोडियम वैल्प्रोएट मिर्गी के रोगियों को दी जाती है. गर्भावस्था के दौरान भी कुछ महिलाओं को चक्कर आने की शिकायत हो, तब यह दवा दी जाती है. लेकिन अब पता चला है कि यह दवा गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए बेहद खतरनाक है. फ्रांस में ऐसे 4,100 मामले आये हैं, जहां इस दवा के चलते बच्चों में गंभीर समस्याएं सामने आयीं.
फ्रेंच नेशनल एजेंसी फॉर सेफ्टी ऑफ मेडिसिन और नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस एडमिनिस्ट्रेशन की साझा रिपोर्ट के मुताबिक गर्भ में पल रहे बच्चे पर इस दवा का चार गुना ज्यादा असर पड़ता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक शोध में इस बात का साफ पता चला है कि इस दवा के चलते शिशु में जन्मजात डिफेक्ट सामने आते हैं. ऐसे बच्चों की रीढ़ की हड्डी और उनके हार्ट में डिफेक्ट होता है. साथ ही उनके जननांग भी विकृत होते हैं.
फ्रेंच नेशनल एजेंसी फॉर सेफ्टी ऑफ मेडिसिन के साइंटिफिक डायरेक्टर मोहम्मद जुराइक के मुताबिक, "शोध इस बात की पुष्टि करता है कि वैल्प्रोएट की प्रकृति बहुत ही टेराटोजेनिक है." टेरानटोजेन एजेंट से बनने वाली दवाओं को टेराटोजेनिक कहा जाता है. यह एजेंट भ्रूण के विकास में बाधा डालता है.
फ्रांस के मेडिकल स्टोर्स में वैल्प्रोएट डेपाकाइन नाम से बेचा जाता है. इस दवा का शिकार होने वाले बच्चों ने अधिकारियों पर सुस्ती का आरोप लगाया है. यह दवा 1980 के दशक से इस्तेमाल की जा रही है. दवा बनाने वाली कंपनी सनोफी के खिलाफ अब मुकदमा भी चल रहा है. 2,900 परिवारों ने सामूहिक याचिका के जरिये कंपनी पर केस ठोका है.
दुनिया के कई देशों में आज भी वैल्प्रोएट दवाओं का इस्तेमाल होता है. भारत में भी दो दर्जन से ज्यादा दवाओं में यह मौजूद है.
(कैसे रखें गर्भावस्था में ख्याल)
ओएसजे/आरपी (एएफपी, रॉयटर्स, एपी)