विकीलीक्स के दावे पर आश्चर्य नहीं: इराकी मंत्री
२३ अक्टूबर २०१०इराक के अधिकार मंत्रालय का कहना है कि विकीलीक्स ने जो दावा किया है उसमें चौंकाने वाली कोई बात नहीं है. मंत्रालय के प्रवक्ता कामिल अल अमीन ने कहा, "रिपोर्ट में कोई नई बात नहीं है क्योंकि बहुत सी घटनाओं के बारे में पहले ही जानकारी दी जा चुकी है. इनमें अबू गारिब जेल और अमेरिकी फौज से जुड़े दूसरे मामले हैं."
अबू गारिब की जेल सद्दाम हुसैन के शासन के दौरान भी बेहद कुख्यात रही. अमेरिकी फौज ने इराक पर हमले के बाद इस जेल पर कब्जा कर लिया. इस दौरान ऐसी कई खबरें आईं कि यहां पर इराकी कैदियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता रहा.
विकीलीक्स ने इराक में मौजूद अमेरिकी फौज से जुड़े 40 हजार दस्तावेज जारी किए हैं. इनमें इस बात का भी जिक्र है कि सेना ने दुर्व्यवहारों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. अमीन ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया जताने से इनकार कर दिया. इन दस्तावेजों में इस बात का भी दावा किया गया है कि 15000 इराकी नागरिकों की ऐसी घटनाओं में मौत हुई जिनका कहीं जिक्र नहीं है.
अमेरिकी और ब्रिटिश अधिकारियों का कहना है कि नागरिकों की मौत के बारे में कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है लेकिन जो रिकॉर्ड मौजूद हैं उनके मुताबिक हमले के दौरान मारे गए 1,09,000 लोगों में से 66081 आम नागरिक थे. अमीन का कहना है कि मारे गए लोगों की संख्या इराकी स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के बराबर ही है.
अमीन के मुताबिक, "बहुत सारे लोगों की मौत हुई और बिना किसी कागजात के उन्हें दफना दिया गया. यहां तक कि इराक में सरकार बनने के बाद भी इस तरह की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण नहीं हो सका है. मंत्रालय के पास इस बात के भी प्रमाण हैं कि कई लोगों को जान बूझ कर मारा गया."
विकीलीक्स पर जारी दस्तावेजों से समझा जा सकता है कि अमेरिकी फौज किस तरह से लोगों के साथ बदसलूकी कर रही थी. एक रिपोर्ट के मुताबिक एक कमरे में 95 कैदियों को रखा गया और वहां इतनी जगह भी नहीं थी कि कैदी अपने पैर फैला सकें. इन सबकी आखों पर पट्टी बंधी थी और सबका चेहरा एक तरफ कर दिया गया था.
एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि कई कैदियों के जिस्म पर सिगरेट से दागे जाने के निशान थे. उन्हें लगातार मारा पीटा जाता था और जख्मों पर कोई दवा या पट्टी नहीं लगाई जाती थी. महिला कैदियों से दुर्व्यहार की भी कई खबरें हैं. इन सब दुर्व्यवहारों की शिकायत होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती थी.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः वी कुमार