लंदन में तीस साल से गुलाम
२२ नवम्बर २०१३एक महिला ने पिछले महीने एक समाजसेवी संगठन को फोन कर बताया कि उसे और दो और लोगों को बंधक बना कर रखा गया है. संगठन ने पुलिस से इस बात की शिकायत की. इसके बाद पुलिस ने उस महिला समेत तीन लोगों को आजाद कराया. पुलिस ने फोन कॉल को टैप करके घर का पता लगाया. फोन करने वाली महिला की उम्र 69 साल है और वह मलेशिया की है. इसके अलावा 57 साल की एक आयरिश महिला है और 30 साल की एक ब्रिटिश महिला भी है. हालांकि इन सब को पिछले महीने की 25 तारीख को आजाद कराया गया, पर लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने गुरुवार को जानकारी दी कि बंधुआ मजदूरी कराने के संदेह में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें एक महिला और एक पुरुष हैं. दोनों की उम्र 67 साल है. लेकिन संदिग्धों को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया. ये गिरफ्तारियां बंधुआ मजदूरी के खिलाफ अभियान के तहत हुईं हैं.
कब और कैसे हुआ
मेट्रोपॉलिटन पुलिस की मानव तस्करी शाखा के प्रमुख केविन हायलैंड ने कहा महिलाओं को "बहुत आघात" पहुंचा है. उन्होंने कहा, "हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि पिछले तीन दशकों में क्या हुआ और यह समझा जा सकता है कि इसमें वक्त लगेगा." शुरुआत में पुलिस ने कहा कि पीड़ितों में कोई संबंध हैं, लेकिन बाद में वह अपने रुख से पलट गई और कहा कि तीनों के बीच रिश्तों की जांच की जा रही है और शक के आधार पर कुछ नहीं कहा जा सकता. पुलिस का यह भी कहना है कि अभी तक ऐसा कुछ नहीं मिला है जिसके आधार पर कहा जा सके कि इसमें यौन मामले से जुड़ी कोई बात भी है. पुलिस ने संदिग्धों की राष्ट्रीयता के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी है.
इस घटना की जानकारी मिलने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इन महिलाओं के साथ ये सब कब शुरू हुआ होगा, उन्होंने इतने दिनों तक इसे क्यों सहन किया, वे लंदन कैसे आईं, उन्हें कितनी आजादी थी, उन पर कैसी पाबंदियां और शर्तें थीं, क्या उनके पड़ोसियों ने कभी उन्हें देखा, क्या इन लोगों ने कभी भागने की कोशिश की.
शारीरिक और मानसिक क्रूरता
इन महिलाओँ के नाम जाहिर नहीं किए गए हैं लेकिन फिलहाल वे सुरक्षित हैं और उन्हें ब्रिटेन में किसी जगह रखा गया है. हाइलैंड ने बताया कि कई ट्रॉमा एक्सपर्ट उनका इलाज कर रहे हैं. इन महिलाओँ की मदद करने वाले समाजसेवी संगठन की संस्थापक अनिता प्रेम ने बाताया कि उनकी हालत बेहतर है, "उनके जीवन के तीस साल का छिन जाना बेहद डरावना है." अनिता ने भी इन सवालों के जवाब नहीं दिए कि ये महिलाएं बंधक कैसे बनीं और क्या उनके बीच कोई संबंध है. उन्होंने बस इतना कहा, "इन लोगों ने शारीरिक और मानसिक तौर पर क्रूरता और गुलामी सही." अनिता ने ज्यादा ब्यौरा देने से यह कह कर इनकार कर दिया कि इससे अभियोजन में दिक्कत आ सकती है.
पीड़ितों में सबसे युवा 30 साल की महिला ने तो अपनी पूरी जिंदगी ही एक तरह से गुलामी में काटी है. इन महिलाओँ ने जबरन विवाह पर बीबीसी की बनाई एक डॉक्यूमेंट्री देखने के बाद समाजसेवी संगठन फ्रीडम चैरिटी को फोन किया. अनिता प्रेम का कहना है, "वे जानती थीं कि उन्हें आजादी चाहिए. फोन उठाने के लिए बहुत हिम्मत और बहादुरी की जरूरत पड़ी." संगठन ने फोन के बाद गुप्त रूप से इन महिलाओँ के साथ काफी देर तक बातचीत की और उन महिलाओँ का भरोसा हासिल किया. अनिता का कहना है कि ऐसा नहीं लगता कि उन्होंने पहले कभी भागने की कोशिश की हो.
अनिता प्रेम ने यह जरूर याद दिलाया कि सभी महिलाएं अंग्रेजी बोलती हैं और इन सालों में उन तक दुनिया की खबरें भी पहुंच रही थी. वे उन घरों से बिल्कुल खाली हाथ निकली हैं और उन्हें यह भरोसा दिलाना जरूरी है कि उनके सिर पर छत है और वे महफूज हैं.
एनआर/आईबी (रॉयटर्स)