रोज एक सिगरेट पीने पर भी आधा खतरा
२५ जनवरी २०१८एक बड़ी रिसर्च के नतीजे गुरुवार को जारी हुए. रिसर्च से जुड़े यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर एलन हैकशॉ के मुताबिक, "अगर कोई 20 की बजाए हर रोज एक सिगरेट पीता है तो हम हम सोचते हैं कि खतरा पांच फीसदी ही है लेकिन यह सिर्फ फेफड़ों के कैंसर के लिए ही सच है, हार्ट अटैक के मामले में एक पैकेट की तुलना में एक सिगरेट से जोखिम महज पचास फीसदी ही कम होता है."
प्रोफेसर एलन हैकशॉ का कहना है कि सिगरेट पीने वालों को बेवकूफ नहीं बनना चाहिए. दूसरे शब्दों में कहें तो हर दिन कुछ सिगरेट या फिर सिर्फ एक सिगरेट पीने से नुकसान नहीं होगा यह सोचना गलत है. ईमेल पर पूछे सवाल के जवाब में प्रोफेसर ने कहा, "यह अच्छा है कि कोई सिगरेट पीने में कमी करे और सकारात्मक रूप से उन्हें इसके लिए बढ़ावा दिया जाना चाहिए लेकिन अगर दिल की बीमारियों में इसका कोई फायदा लेना है तो उन्हें सिगरेट पूरी तरह से छोड़ना होगा."
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर साल दुनिया भर में 70 लाख लोग तंबाकू की वजह से मौत के शिकार बनते हैं. इनमें से करीब 20 लाख लोग दिल की बीमारियों से मरते हैं. प्रोफेसर एलन हैकशॉ और उनकी टीम ने 141 पुराने रिसर्च के नतीजों का विश्लेषण करने के बाद यह नतीजा निकाला है जो मेडिकल जर्नल बीएमजे में छपा है.
रिसर्चरों ने तुलना कर देखा कि एक दिन में एक पैकेट सिगरेट पीने वालों की तुलना में हर दिन एक सिगरेट पीने वाले पुरुषों में भी दिल की बीमारियों का जोखिम 46 फीसदी था. अभी इसके कारणों का पता तो नहीं लेकिन महिलाओं में यह थोड़ा कम यानी करीब 31 फीसदी था. हैकशॉ ने कहा, "इसके पीछे जैविक अंतर या फिर जीवनशैली में फर्क हो सकता है."
संपूर्ण रूप में देखें तो लंबे समय तक धूम्रपान से जीवन प्रत्याशा 12-15 साल घट जाती है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पॉल एवेयार्ड भी इस रिसर्च में शामिल थे. उनका कहना है, "पहले जिन नतीजों के बारे में संदेह जताया जा रहा था यह रिसर्च उन्हें पुख्ता करती है. यह अनुमान स्वाभाविक है, जो भी सिगरेट पी रहे हैं उन्हें बंद कर देना चाहिए." इसके साथ यह सोचना भी गलत है कि धूम्रपान में कमी का कोई असर नहीं होता. प्रोफेसर पॉल ने कहा, "यह मानने के कई कारण है कि सिगरेट का कम इस्तेमाल कई बीमारियों जैसे कि, फेफड़ों की बीमारी और फेफड़े के कैंसर को कम करने में काफी मदद करती है. इन दो बीमारियों की धूम्रपान के कारण जल्दी होने वाली मौतों में बड़ी भूमिका है."
एनआर/एमजे (एएफपी)