रेडियो पर टॉयलेट की मांग से बदलने लगी जिंदगी
२१ फ़रवरी २०१९तमिलनाडु की एक कपड़ा मिल में 200 मजदूरों के लिए केवल दो टॉयलेट थे. मिल की एक कॉलर ने रेडियो स्टेशन पर फोन करके बताया कि कैसे वह लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करती है. कई बार टॉयलेट की लाइन में बारी नहीं आती तो मजदूरों से कहा जाता कि वह मिल के उस कोने में जाकर पेशाब कर लें जहां खराब कॉटन को फेंका जाता है.
कॉलर ने बताया कि उसने इन बातों से अपमान तो महसूस किया ही साथ ही उसे गुस्सा भी बहुत आया. फिर तय किया कि वह स्थानीय रेडियो को फोन लगाएगी. जाहिर है कॉलर को सुनने वालों में मजदूर संघ के साथ-साथ कंपनी का मैनेजमेंट भी शामिल रहा होगा, क्योंकि इसके बाद कपड़ा मिल में टॉयलेट बनाना शुरू कर दिया गया.
आ गए तीन नए रेडियो स्टेशन
पिछले एक साल के दौरान तमिलनाडु में तीन ऐसे रेडियो स्टेशन सामने आए हैं, जो फ्री हैं और मोबाइल फोन से ऑपरेट होते हैं. इन रेडियो स्टेशनों पर कपड़ा मजदूर फोन करके अपनी समस्याओं को बताते हैं. चेन्नई, तिरुपुर और डिंडीगुल में चल रहे रेडियो पर मजदूर कपड़ा फैक्ट्री में होने वाले शोषण, कामकाज के लंबे घंटे, कम तनख्वाह और खराब माहौल पर चर्चा करते हैं. तकरीबन 200 कॉलर रोज इन रेडियो स्टेशनों पर फोन करते हैं.
तमिलनाडु है बड़ा गढ़
तमिलनाडु में टैक्सटाइल और कपड़ा उद्योग का बड़ा गढ़ है. वहां हर साल तकरीबन 40 अरब डॉलर का कारोबार होता है. मजदूर संघ से जुड़े लोग बताते हैं कि तमिलनाडु में कई कंपनियां नियमों को ताक पर रखकर काम करती हैं. बहुत कम ही कंपनियां है, जहां शिकायत पेटी या मजदूरों की समस्याओं को सुनने वाली कोई आंतरिक समिति होती है. ऑल वूमन तमिलनाडु टैक्सटाइल एंड कॉमन लेबर यूनियन (टीटीसीयू) की अध्यक्ष तिव्यारखुन सेसुराज ने कहा, "मजदूर नौकरी जाने के डर से अपनी बातें खुलकर नहीं कह पाते."
क्या कहते हैं श्रोता
चेन्नई की कपड़ा मिल में काम करने वाली पदमा बताती हैं कि वह इस रेडियो को रोज सुनती हैं. उन्होंने कहा, "रेडियो पर आने वाला शो एक ऐसी लत है जो हमें ताकत देती है." एक अन्य मजदूर कानी कहती हैं कि वह बैंकग्राउंड में रेडियो चालू कर काम करती रहती हैं. वह कहती हैं, "मुझे रेडियो शो में आने वाले मुद्दों पर बात करना अच्छा लगता है." कानी कहती हैं कि जब इतने सारे लोग आपको सुनते हैं तो आप खुद को अपने काम से जुड़ी तकलीफों में अकेला महसूस नहीं करते.
एए/आरपी (रॉयटर्स)