रूस में पांचवीं बार पुतिन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पांचवीं बार राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है. जोसेफ स्टालिन के बाद वो सबसे लंबे समय तक देश का नेतृत्व करने वाले सोवियत या रूसी नेता हैं.
सबसे लंबे समय तक रूस का नेतृत्व
2000 से शुरू हुआ यह सफर अगले छह साल के लिए एक बार फिर पक्का हो गया है. इस कार्यकाल को पूरा कर वह 29 साल तक देश का नेतृत्व करने वाले जोसेफ स्टालिन से आगे निकल जाएंगे. मुमकिन है कि छह साल बाद रूस की जनता उन्हें एक बार और मौका दे कर ऐसा रिकॉर्ड बनवा दे जिसे तोड़ने का सपना देखना भी मुश्किल लगे.
पांच बार राष्ट्रपति दो बार प्रधानमंत्री
व्लादिमीर पुतिन पहली बार 1999 में प्रधानमंत्री बने. 2000 में वह राष्ट्रपति बन गए और 2008 तक इस पद पर रहे. तब राष्ट्रपति के लिए लगातार दो कार्यकाल का ही नियम था, जो 4 साल का होता था. 2008 में दमित्री मेदवेदेव राष्ट्रपति और पुतिन प्रधानमंत्री बन गए. 2012 में उन्होंने फिर राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली. पहले संशोधन में कार्यकाल 6 साल का हुआ और दूसरे संशोधन में दो बार की सीमा खत्म हुई.
पांच अमेरिकी राष्ट्रपति
व्लादिमीर पुतिन ने रूस का नेतृत्व करते हुए अमेरिका के पांच राष्ट्रपतियों का सामना किया है. पहली बार जब देश की कमान उनकी मुट्ठी में आई तब बिल क्लिंटन अमेरिका के राष्ट्रपति थे. उसके बाद जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा के दो कार्यकाल और ट्रंप और बाइडेन के एक एक कार्यकाल में रूस उनके हाथ में ही रहा. हालांकि संबंधों की दशा और दिशा इस पूरे दौर में खराब ही होती गई है.
चीन के तीन राष्ट्रपति
पुतिन के कार्यकाल में चीन ने तीन राष्ट्रपति देख लिए और मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अगर कानून में बदलाव नहीं किया होता तो इसमें एक नाम और जुड़ जाता. जियांग जेमिन के साथ शुरू हुआ यह सफर हू जिंताओ से होता हुआ शी जिनपिंग तक आ पहुंचा है. इस पूरे सफर में चीन-रूस की दोस्ती और गहरी हुई है.
जर्मनी के तीन चांसलर
अंगेला मैर्केल का 16 साल लंबा कार्यकाल होने के बावजूद पुतिन ने जर्मनी के तीन चांसलरों के साथ काम किया है. जब वह पहली बार देश के राष्ट्रपति बने तब गेरहार्ड श्रोएडर जर्मनी के चांसलर थे. उसके बाद अंगेला मैर्केल ने कमान संभाली और फिर ओलाफ शॉल्त्स ने. श्रोएडर और मैर्केल के जमाने में जो रिश्ता परवान चढ़ा था वह शॉल्त्स के दौर में बिखर गया है.
भारत के तीन प्रधानमंत्री
भारत के साथ रूस की दोस्ती पुरानी है. पुतिन के राष्ट्रपति बनते वक्त भारत की कमान अटल बिहारी वाजपेयी के हाथ में थी, उसके बाद मनमोहन सिंह आए और फिर नरेंद्र मोदी. इस पूरे दौर में दोनों देशों का रिश्ता मजबूत ही हुआ है. प्रतिबंधों की अनदेखी करके भी दोनों देश एक दूसरे का साथ निभा रहे हैं.
ब्रिटेन के सात प्रधानमंत्री
व्लादिमीर पुतिन ने ब्रिटेन के सात प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है. टोनी ब्लेयर के साथ शुरू हुआ सफर अब ऋषि सुनक तक आ पहुंचा है. सिर्फ इतना ही नहीं ब्रिटेन के शाही परिवार का नेतृत्व भी उनके राष्ट्रपति रहते बदल चुका है. ब्रिटेन यूरोपीय साझीदारों के साथ ही रूस के साथ अपने रिश्तों का निभाता है.
उत्तर कोरिया के दो नेता
माना जाता है कि उत्तर कोरिया को रूस से काफी मदद मिलती है. गिने चुने मौकों पर जब उत्तर कोरियाई नेता आधिकारिक दौरे पर देश के बाहर गए तो उनकी मंजिल रूस ही था. वहां बीते कई दशकों से देश का नेता आजीवन इस पद पर रहता है. पुतिन को वहां भी दो नेताओं यानी किम जोंग उन और उनके पिता के किम जोंग इल के साथ काम करने का मौका मिला. दोनों देशों की दोस्ती और मजबूत हुई.
पुतिन की ताकत
रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी के अधिकारी रहे पुतिन ने चेचेन विद्रोहियों को ताकत के दम पर नियंत्रित करके रूसी जनता को अपनी शक्ति का अहसास दिलाया. दूसरी तरफ यूरोप और दूसरे कई देशों के साथ तेल और गैस का कारोबार करके देश को आर्थिक मुश्किलों से बाहर निकाला. इसने उनके लिए राजनीति में कई बड़ी सफलताओं का रास्ता बना दिया.
प्रतिबंधों पर भारी दोस्ती
सोवियत संघ के विघटन के साथ रूस के सामने जहां विशाल आर्थिक चुनौतियां थी वहीं अंतरराष्ट्रीय पटल पर सिमटती भूमिका उसे हतोत्साहित कर रही थी. ऐसे समय में पुतिन ने रूस की कमान संभाली और उसे एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय राजनीति का बड़ा खिलाड़ी बना दिया. सीरिया से लेकर, ईरान, तुर्की, उत्तर कोरिया, चीन और भारत समेत तमाम देशों के साथ रूस की गहरी दोस्ती है, जो प्रतिबंधों के दौर में भी उसका साथ दे रहे हैं.