यूरोप में राजनीति का अखाड़ा बनी एक पाइपलाइन
रूस के साथ जब भी पश्चिमी देशों का विवाद बढ़ता है तो नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन सबके निशाने पर आ जाती है. इसके जरिए बाल्टिक सागर से होते हुए रूसी गैस सीधे जर्मनी आएगी. लेकिन अमेरिका समेत कई देश इस पाइपलाइन के खिलाफ है.
रूसी गैस की जरूरत
रूस की गिनती दुनिया में तेल और प्राकृतिक गैस से सबसे ज्यादा मालामाल देशों में होती है. खासकर यूरोप के लिए रूसी गैस के बिना सर्दियां काटना बहुत मुश्किल होगा.
पारंपरिक गैस रूट
अभी रूसी गैस यूक्रेन होकर यूरोप तक पहुंचती है. 2019 में रूसी कंपनी गाजप्रोम के साथ हुई डील के मुताबिक यूक्रेन को 2024 तक 7 अरब डॉलर गैस ट्रांजिट फीस के तौर पर मिलेंगे.
यूक्रेन का डर
रूस यूरोपीय बाजार के लिए अपनी 40 प्रतिशत गैस यूक्रेन के रास्ते ही भेजता है. लेकिन यूक्रेन को डर है कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन चालू होने के बाद उसकी ज्यादा पूछ नहीं होगी.
नॉर्ड स्ट्रीम 2
नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन रूसी गैस को सीधे जर्मनी तक पहुंचाने के लिए बनाई जा रही है. यह बाल्टिक सागर से गुजरेगी और इस पर 10 अरब यूरो की लागत आएगी.
क्या है फायदा
माना जाता है कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 के जरिए यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी को होने वाली रूसी गैस की आपूर्ति दोगुनी हो जाएगी. जर्मनी रूस गैस का सबसे बड़ी खरीददार है.
जर्मनी उत्साहित
इस पाइपलाइन से हर साल रूस से जर्मनी को 55 अरब क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस की आपूर्ति होगी. जर्मनी में चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर बहुत उत्साहित है.
दबाव
नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन का 90 फीसदी काम पूरा हो गया है. लेकिन इसके खिलाफ आवाजें लगातार तेज हो रही हैं. यूरोप के कई देशों के साथ-साथ अमेरिका भी इसे बंद करने के लिए दबाव डाल रहा है.
बुरी डील?
अमेरिका भी इसे जर्मन की लिए बुरी डील बताता है. नए अमेरिकी राष्ट्रपति भी बाइडेन भी इसके खिलाफ हैं. वैसे कई जानकार कहते हैं कि अमेरिका दरअसल यूरोप को अपनी गैस बेचना चाहता है.
रूस पर निर्भरता
फ्रांस और पोलैंड समेत कई यूरोपीय देशों का कहना है कि इस पाइपलाइन से रूस पर यूरोपीय संघ की निर्भरता बढ़ेगी और गैस का पारंपरिक ट्रांजिट रूट कमजोर होगा.
जर्मनी रुख पर कायम
रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नावाल्नी को हुई सजा के बाद नॉर्ड स्ट्रीम 2 के खिलाफ फिर आवाजें तेज हो गई हैं. लेकिन जर्मन सरकार का कहना है कि उसने पाइपलाइन को लेकर अपना रुख नहीं बदला है.
घरेलू राजनीति
जर्मनी में विपक्षी ग्रीन पार्टी और कारोबार समर्थक एफडीपी पार्टी भी इस प्रोजेक्ट को खत्म करने या रोकने की मांग कर रही हैं. मैर्केल के सत्ताधारी गठबंधन में भी इस पाइपलाइन के खिलाफ स्वर उभरने लगे हैं.