यूरोप में बेहतर हुआ बुंडेसलीगा
२६ अप्रैल २०१३इस समय अंकों की तालिका में जर्मनी के 78,757 प्वाइंट हैं, जबकि इस तालिका में दूसरे स्थान वाले प्रीमियर लीग के 82,249 प्वाइंट हैं. पांच साल की रेटिंग में दोनों लीगों के बीच 3.492 प्वाइंट का अंतर है, लेकिन 2013-14 के सीजन के पहले यह अंतर सिर्फ 1,179 प्वाइंट का होगा.
जर्मनी ने सीजन समाप्त होने से पहले ही 2009-10 के बाद सबसे अच्छी रेटिंग हासिल की है. उस समय उसके 18.083 प्वाइंट थे जबकि इस सीजन में जर्मनी ने 17.071 प्वाइंट हासिल कर लिए हैं. इस सीजन में सिर्फ स्पेन की रैंकिंग बेहतर है, उसके 17,428 प्वाइंट हैं.
यूरोपीय फुटबॉल संघ यूएफा की रेटिंग के आधार पर ही चैंपियंस लीग में भाग लेने वाली टीमों का बंटवारा होता है. चोटी की तीन लीग की पहली तीन टीमों को चैंपियंस लीग में स्थायी जगह मिलती है. इन टीमों के अलावा लीग में चौथे स्थान पर आने वाली टीम प्ले ऑफ के जरिए चैंपियंस लीग में जगह बना सकती है.
जर्मनी की टीमें इस बार यूरोपीय टूर्नामेंटों में भी अच्छा खेल रही हैं. बायर्न और डॉर्टमुंड ने सेमी फाइनल के पहले लेग में स्पेनी क्लबों बार्सिलोना और रियाल को बड़े अंतर से पछाड़ा और दोनों टीमें इस साल फाइनल में पहुंचने के सपने देख रही है.
जर्मनी के स्टार ट्रेनर फेलिक्स मागाथ का मानना है कि भविष्य में यूरोप में जर्मन क्लबों का वर्चस्व होगा. "मुझे इसका विश्वास है कि बुंडेसलीगा का आने वाले सालों में यूरोप पर दबदबा होगा, क्योंकि वह वित्तीय संकट से लाभ उठा रहा है, जिसका निशाना मुख्य रूप से दक्षिण यूरोप है." कई जर्मन क्लबों के ट्रेनर रहे 59 वर्षीय मागाथ का कहना है कि बुंडेसलीगा इस समय दुनिया की सर्वोत्तम प्रतियोगिता है और फुटबॉल जर्मनी में अत्यंत लोकप्रिय है.
इतना ही नहीं, पिछले सालों में जर्मन क्लबों ने आधुनिक स्टेडियम बनाए हैं और वे लगातार भरे रहते हैं. 2011-12 में हुए पिछले सीजन में बुंडेसलीगा के 34 राउंड में हुए 306 मैचों के दौरान हर मैच में औसत 45,116 लोग स्टेडियम गए. जर्मन क्लबों को युवा खिलाड़ियों की अच्छी ट्रेनिंग देने की संरचना और खिलाड़ियों को खरीदने की चतुर नीति का भी लाभ मिल रहा है.
जर्मन फुटबॉल को विदेशों में भी प्रशंसा मिल रही है. विश्व चैंपियन स्पेन के ट्रेनर विसेंटे डेल बॉस्क ने चैंपियंस लीग में बायर्न और डॉर्टमुंड के प्रदर्शन के बाद कहा है कि जर्मनी अगले विश्व कप का तगड़ा दावेदार है. उन्होंने कहा कि जर्मन फुटबॉल ने आधुनिक काल की जरूरतों से तालमेल बिठा लिया है. जर्मन खेलों में बॉल पर कब्जे की परंपरागत क्षमता दिखती है. यदि यह क्षमता राष्ट्रीय टीम में आ जाए तो जर्मनी 2014 में टाइटल के बड़े दावेदारों में होगा.
एमजे/एएम (डीपीए, एसआईडी)