यूरोप में बढ़ी हैं यहूदी विरोधी भावनाएं
२२ जनवरी २०१९यूरोपीय आयोग द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में 50 प्रतिशत लोगों ने माना कि विरोधी भावनाएं उनके देश के लिए एक समस्या है. यूरोबैरोमीटर सर्वे के नाम से इस सर्वेक्षण में यूरोप के लोगों से यहूदी विरोधी दृष्टिकोण पर उनके विचार पूछे गए. कई पश्चिमी यूरोपीय देशों ने यहूदी विरोधी भावनाओं से लड़ने के लिए और प्रयास करने की बात कही है, खासतौर जर्मनी और फ्रांस में, जहां पिछले कुछ वक्त में यहूदियों के खिलाफ हिंसा के मामले बढ़े हैं.
क्या कहते हैं आकड़े
सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले यूरोपीय संघ के 50 प्रतिशत लोगों ने माना कि यहूदी विरोधी दृष्टिकोण उनके देश के लिए चिंता का विषय है, जबकि जर्मनी के 66 प्रतिशत लोगों ने ऐसा माना. इनमें ज्यादातर लोगों की उम्र 40 से ज्यादा है.
इसके अलावा सर्वे में पाया गया कि यूरोपीय संघ के 36 प्रतिशत लोगों को ऐसा लगता है कि यहूदी विरोधी दृष्टिकोण में पिछले पांच साल में वृद्धि हुई है, जबकि जर्मनी के 61 प्रतिशत लोगों ने ऐसा होने की बात कही. वहीं 53 फीसदी यूरोपीय लोगों ने माना कि उनके देश में यहूदी नरसंहार को नहीं मानना परेशानी की बात है, जबकि जर्मनी में यह आंकड़ा 71 प्रतिशत रहा.
इस सर्वेक्षण के बारे में यूरोपीय आयोग ने कहा है, "बहुत दुख की बात है कि यूरोप में यहूदी विरोधी भावनाएं अभी भी पनप रही हैं. ऐसे वक्त में जब नफरत को फिर से राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा है, हमारा यहूदी समुदाय अकसर भेदभाव, दुर्व्यवहार और यहां तक कि हिंसा के डर में जीता है."
यूरोपियन कमीशन फॉर जस्टिस की वेरा यूरोवा कहती है, "शिक्षा का स्तर जितना कम होगा, जागरूकता भी उतनी ही कम होगी. शिक्षा से ना केवल आप यहूदी नरसंहार को इंसानियत के अंत के तौर पर देखेंगे, बल्कि शिक्षा से आपको यह भी समझ आएगा कि यहूदी विरोधी भावनाएं आज भी यूरोप में बरकरार हैं."
मैर्केल ने भी माना
जर्मनी में 2015 के बाद से यहूदियों पर हिंसा के मामले बढ़े हैं. पिछले साल एक सीरियाई शरणार्थी का वीडियो सामने आया था जिसमें उसे एक आदमी पर हमला करते हुए अरबी भाषा में यहूदी कहते हुए सुना जा सकता था. बर्लिन में इसके खिलाफ आम जनता ने आवाज भी उठाई.
पिछले साल जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस्राएल के एक टीवी चैनल पर स्वीकारा कि जर्मनी में यहूदी विरोधी भावनाएं आज भी पाई जाती हैं. उन्होंने कहा था, "हम किसी भी नर्सरी, स्कूल, सिनागोग को बिना पुलिस सुरक्षा के नहीं छोड़ सकते, ये सच्चाई निराशाजनक है."
वैसे जर्मन सरकार ने इस पर काबू पाने के लिए कई कदम भी उठाए हैं. दिसंबर 2018 में एक ऐसी वेबसाइट शुरू की गई जहां पीड़ित यहूदी खुद पर हुए हमलों की रिपोर्ट कर सकते हैं.
रिपोर्ट: ल्यूइस सैंडर्स/एनआर