"या तो ट्रंप को चुनें या परमाणु युद्ध"
१३ अक्टूबर २०१६रूस के अतिराष्ट्रवादी नेता व्लादिमीर झिरीनोव्स्की ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा, "अमेरिका और रूस के बीच रिश्ते इससे खराब नहीं हो सकते. इससे खराब वह तभी होंगे जब युद्ध छिड़ जाए." तीखी बयानबाजी के लिए मशहूर वरिष्ठ रूसी नेता यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा, "8 नंवबर को राष्ट्रपति के लिए वोट डालने वाले अमेरिकी यह जरूर सोचें कि वे ट्रंप को वोट देते हैं तो वे पृथ्वी की शांति के लिए वोट देंगे. लेकिन अगर उन्होंने हिलेरी को वोट दिया तो यह युद्ध होगा. यह एक छोटी फिल्म की तरह होगा. हर जगह हिरोशिमा और नागासाकी होंगे."
झिरीनोव्स्की की प्रतिक्रिया ऐसे वक्त में आई है जब मॉस्को और वॉशिंगटन के बीच आपसी मतभेद चरम पर हैं. यूक्रेन और सीरिया के मुद्दे पर दोनों में पहले से ही तल्खी है, ऊपर से अमेरिकी चुनाव अभियान के दौरान राष्ट्रपति बराक ओबामा की डेमोक्रैटिक पार्टी पर लगतार साइबर हमले हो रहे हैं.
बुधवार को विकीलीक्स ने एक बार फिर क्लिंटन के चुनाव अभियान से जुड़े दस्तावेज सार्वजनिक किये. अमेरिका का आरोप है कि रूस ये साइबर हमले करवा रहा है. वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इन आरोपों को खारिज किया है. पुतिन ने कहा कि उनका देश अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों को प्रभावित करने में शामिल नहीं है. इससे उनके देश का कोई फायदा नहीं हो रहा.
(क्या हुआ हिरोशिमा और नागासाकी में)
झिरीनोव्स्की रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के करीबी माने जाते हैं. बीते महीने उन्हें रूसी राष्ट्रपति के हाथों सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला. कई रूसी झिरीनोव्स्की को सिर्फ सुर्खियां बटोरने वाला नेता मानते हैं, लेकिन कई उन्हें क्रेमलिन की नीतियों का वफादार सेवक कहते हैं. झिरीनोव्स्की कभी कभार विवादित बयानों के जरिये जनता का मूड भांपने की कोशिश भी करते हैं.
यह पहला मौका है जब रूसियों में भी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर खासी दिलचस्पी जगी है. ज्यादातर रूसी डॉनल्ड ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति बनते देखना चाहते हैं. रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप भी मॉस्को के साथ रिश्ते बेहतर करने पर जोर देते आ रहे हैं. चुनावी रैलियों में वह खुलकर इस बारे में बोल भी चुके हैं.
ट्रंप के सामने अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री और डेमोक्रैटिक पार्टी की हिलेरी क्लिंटन हैं. ट्रंप का आरोप है कि क्लिंटन मध्य पूर्व एशिया संकट और इस्लामिक स्टेट के जन्म के लिए जिम्मेदार है. क्लिंटन के ही कार्यकाल में यूक्रेन और सीरिया के विवाद शुरू हुए. शुरुआती दौर में पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए. सीरिया और यूक्रेन में रूस और पश्चिमी देश परस्पर विरोधी नेताओं व संगठनों का समर्थन करते रहे. हाल के समय में यूक्रेन का संकट कुछ ठंडा पड़ा तो सीरिया में रूस और अमेरिका आमने सामने आ गए हैं. अमेरिका की चेतावनियों के बावजूद रूस लगातार सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद की मदद करते हुए विद्रोहियों पर हवाई हमले कर रहा है.
(रूस और अमेरिका के पास सैकड़ों एटम बम)
ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स)