मुंबई में पानी पूरी बेच कर क्रिकेटर बने हैं यशस्वी
७ अक्टूबर २०२०18 साल के यशस्वी ने अंडर 19 वर्ल्ड कप के छह वनडे मैचों में 400 रन बनाए. हालांकि राजस्थान रॉयल्स के साथ जुड़ने के बाद उनका सितारा बुलंदी पर जा पहुंचा है. करीब ढाई करोड़ रुपये में राजस्थान रॉयल्स का हिस्सा बने यशस्वी नए खिलाड़ियों में सबसे महंगे हैं. आज उन्हें देख कर यकीन करना मुश्किल है कि कुछ साल पहले तक उन्होंने किस हाल में अपने दिन गुजारे हैं. 11 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर से मुंबई आए यशस्वी के सामने सबसे पहली समस्या अपने सिर पर छत ढूंढने की थी.
फिलहाल वे यूएई में हैं जहां आईपीएल खेला जा रहा है. यशस्वी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "शुरुआत में रहने के लिए जगह ढूंढना मुश्किल काम था. मैं पहले एक डेयरी में सोता था, फिर मेरे चाचा के घर लेकिन वहां ज्यादा जगह नहीं थी, तो उन्होंने मुझे कहीं और जाने के लिए कहा. उसके बाद मैं आजाद मैदान के पास एक टेंट में रहा और दिन में वहां क्रिकेट खेलता था."
अपना खर्च चलाने के लिए उन्होंने कई छोटे मोटे काम किए, "रात में पानी पूरी बेचता था ताकि अपने लिए खाने के पैसे जुटा सकूं." यशस्वी ने क्रिकेट में स्कोरिंग और क्लब गेम्स के लिए गेंद उठाने का भी काम किया ताकि अपने क्रिकेट करियर का खर्च निकाल सकें. उनकी मेहनत का नतीजा तब दिखना शुरू हुआ, जब उन्हें मुंबई की टीम में जगह मिली और वे दुनिया के सबसे युवा बल्लेबाजों में शामिल हो गए.
17 साल 292 दिन की उम्र में उन्होंने वन डे मैच में दोहरा शतक लगाने का कारनामा कर दिखाया. राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें बेस प्राइस से 12 गुनी ज्यादा रकम देकर टीम के लिए खरीद लिया. हालांकि आईपीएल के दो मैचों में अभी वो कुछ खास नहीं कर पाए हैं.
शारजाह में खेल शुरू होने से पहले महेंद्र सिंह धोनी को हाथ जोड़ कर उन्हें प्रणाम करने वाले आज बड़े जोस बटलर, जोफ्रा आर्चर और स्टीव स्मिथ जैसे खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करने को बहुत कुछ सिखाने वाला मानते हैं. यशस्वी ने कहा, "इन सब महान खिलाड़ियों के साथ बात करना बड़ी बात है. मैं सबसे बात करता हूं और अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए उनसे सीखता हूं. स्टीव स्मिथ का सहयोग भी बहुत अच्छा है. वे काफी मददगार हैं और मैं उनसे कुछ भी पूछ सकता हूं. मैं उनके अंतरराष्ट्रीय अनुभव से सीखने की कोशिश कर रहा हूं."
यशस्वी अंडर 19 वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे. भारतीय टीम इस बार इस टूर्नामेंट की उपविजेता रही है. वे अपने खेल के लिए कोच ज्वाला सिंह को श्रेय देते हैं जिन्होंने मुंबई के मुश्किल वक्त में उनका साथ दिया. यशस्वी बताते हैं, "मैंने यहां प्रैक्टिस शुरू किया लेकिन पेंट की दुकान चलाने वाले मेरे पिता ने कहा - चलो वापस घर चलते हैं. लेकिन मैं रुकना चाहता था. एक दिन प्रैक्टिस के बाद मैं कोच जवाला से मिला और उन्होंने मुझे रहने के लिए जगह और मेरे खेल और फिटनेस में मदद करने की पेशकश की. एक खिलाड़ी के रूप में मुझे इससे बहुत मदद मिली."
दरअसल उनके कोच ज्वाला सिंह खुद भी स्टेट लेवल पर क्रिकेट खेलते थे लेकिन पैसा और गाइडेंस की कमी के कारण उन्हें खेल छोड़ना पड़ा. ज्वाला सिंह ने कहा, "मैं यश्वस्वी में अपनी जवानी के दिन देखता हूं, भगवान ने मुझे दूसरी इनिंग में बढ़िया से खेलने का मौका दिया है. मुझे हमेशा से यकीन है कि वह ऊंचे स्तर पर क्रिकेट खेलेगा."
कई युवा खिलाड़ियों की तरह यशस्वी भी सचिन तेंदुलकर को अपनी प्रेरणा मानते हैं. हालांकि वे कहते हैं, "मेरा ध्यान उन चीजों पर है जिन्हें मैं नियंत्रित कर सकता हूं और मैं भविष्य के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करता."
एनआर/आईबी (एएफपी)
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